बच्चों को सिखाएं बात करने का तरीका: Parenting Tips
Teach Children How to Talk

Parenting Tips: बच्चों को छोटी उम्र से ही बात करने का सही सलीका सिखाना बहुत जरूरी है। तभी वो अपनी बात को सामने वाले शख्स के सामने रखने का तरीका सीखते हैं। ये संस्कार उन्हें जीवन में बहुत मदद करता है। जिसकी वजह से लोग उनकी बात को सुनना पसंद करते हैं और उनके सुझाव पर विचार करते हैं। 

एक स्वस्थ समाज में सम्प्रेषण की जरूरत को हम सभी समझते हैं। बिना सम्प्रेषण जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। पूरी प्रकृति ही सम्प्रेषण करती है। संचार के इतिहास की बात करें तो हम जानते हैं कि संचार के लिए भाषा की जरूरत होती है। भाषा अपने समय और क्षेत्र के हिसाब से बदलती रहती है। भाषा वो जरूरत है जिसके बिना हम समाज के विकास की कल्पना नहीं कर सकते हैं। अपने सन्देश को पहुंचाने के लिए केवल भाषा ही एकमात्र पुल है। जब हम भाषा की बात करते हैं तो जाहिर है कि लहजे पर भी चर्चा होगी ही। जब आप अपनी कोई बात कहना चाहते हैं तो उसके लिए महज भाषा ही नहीं बल्कि एक सटीक लहजे की दरकार होती है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या भाषा में बदलाव आया है? क्या लहजा भी परिवर्तित हुआ है यानी कि बात करने के तरीके में भी कुछ बदलाव हुए हैं या ये कहें कि अब सलीके में खासी कमी देखने को मिलती है। तो चलिए जानते हैं कि बात करने का सही तरीका हमारे बच्चों के लिए क्यों जरूरी है और अगर इसकी कमी है तो ये कौन सी समस्याएं पैदा कर सकती हैं। 

क्या है बात करने का सही तरीका 

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हम कई बार कहते हैं कि मैं कहना ये चाहता या चाहती थी लेकिन उसने कुछ और ही समझ लिया। हम कई बार ये महसूस करते हैं कि हम शायद अपनी बात को ठीक तरह से समझा नहीं पाते हैं। अपनी बात को सरल तरह से कहना ही जरूरी नहीं होता बल्कि उसे सही लहजे में प्रेषित करना भी आपकी जिम्मेदारी है। तो जरूरी है कि हम अपने बच्चों को सही लहजा सिखाएं उनकी आवाज में ही मिठास नहीं बल्कि बातें भी प्यारी हों और ऐसा तभी संभव है जब आप बच्चे से सरल लहजे में बात करें। बच्चों में कुछ छोटी-छोटी आदतें जैसे- प्रणाम करना, हाल पूछना, शुक्रिया कहना, माफी मांगना और मदद करना न सिर्फ उनके व्यवहार को बेहतर बनाएगी बल्कि उन्हें बात करने का सही तरीका मिलेगा। बच्चों को कोई भी भाषा सिखाएं लेकिन उस भाषा में उसे व्यवहार करना जरूर सिखाएं।  

बच्चों के सामने कैसे करें बात

क्योंकि बच्चे वही सीखते हैं जो आप उनके सामने करते हैं इसलिए बेहद जरूरी है कि हम बच्चों के सामने ठीक तरह से व्यवहार करना है। बच्चों के सामने सिर्फ आपकी ठीक भाषा ही नहीं बल्कि आपका लहजा भी बहुत मायने रखता है। ऐसे में जब घर के बड़े कोई बात कर रहे हों तो बच्चों को अलग कमरे में या खेलने जाने के लिए कहिये क्योंकि हो सकता है बात करते वक्त आपका लहजा सख्त हो क्योंकि अक्सर हम बातचीत करते वक्त अपना लहजा या अपनी भाषा की सरलता भूल जाते हैं। बच्चों में बड़ों की तुलना में जिज्ञासा ज्यादा रहती है वो सभी कुछ जानना चाहते हैं और कोई भी शब्द जो कुछ नया सुनते हैं तो उसे दोहराने लगते हैं। किसी भी तरह की बात बच्चों के सामने करने से परहेज ही करना चाहिए क्योंकि बच्चे किसी भी नई चीज या बात को याद रखते हैं फिर उन्हें समझाना भी मुश्किल हो जाता है।

क्यों है इसकी जरूरत

अगर हम गौर करें कि झगड़ों की वजह क्या होती है तो आप देखेंगे कि लगभग सभी झगड़े हमारे सही तरह से अपनी बात रखने से और ठीक तरह से बात करने से सुलझ सकते हैं। क्योंकि कई बार झगड़ों की कोई खास वजह नहीं होती लेकिन सामने वाला शख्स आपके ठीक तरह से बात न कर पाने के कारण गुस्से में लड़ने लगते हैं। जैसे कबीर दास जी कह गये हैं कि ‘ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए, औरन को शीतल करे आपहुं शीतल होए।’ बिलकुल यही भाव रखना हमें अपने बच्चों को सिखाने की जरूरत है। क्योंकि कई ऐसे झगड़े और फसाद सिर्फ आपके सौम्यता से बात करने से ठीक हो जाते हैं। इसलिए अपनी बात को सही तरह से रखना बेहद जरूरी है, जिसे हमें अपने बच्चों को शुरू से ही सिखाना चाहिए। ठ्ठ