क्या सच में भगवान श्री कृष्ण आज भी करते हैं यहां रासलीला: Nidhivan Mystery
Nidhivan Mystery

Nidhivan Mystery: दुनिया में काफी सारी चीजें ऐसी हैं जिनका राज आज तक कोई नहीं जान सका है और वह रहस्यमई हैं। इन्हीं जगहों में से एक है वृंदावन में स्थित निधिवन। अगर आप श्री कृष्ण के भक्त हैं तो आपने इस जगह के मंदिर के बारे में तो जरूर सुना ही होगा। वृंदावन को श्री कृष्ण की ही भूमि कहा जाता है और यहां पर श्री कृष्ण के काफी सारे मंदिर भी है। लेकिन निधिवन सबसे अलग और खास है और इसके पीछे इसके अपने कारण हैं। अगर यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि निधिवन में आज भी श्री कृष्ण सूर्यास्त होने के बाद आते हैं और रासलीला करते हैं। 

निधिवन का अर्थ (Nidhivan Meaning) 

 Nidhivan Mystery
निधि वन ,श्री कृष्ण आज भी यहां गोपियों के साथ रासलीला करते है।

निधिवन का मतलब ही रहस्मयी वन है। यह एक जंगल है जो काफी गहरा है और काफी बड़े-बड़े पेड़ों और हरियाली से भरपूर है। यह पेड़ भी काफी खास माने जाते हैं क्योंकि यह खोखले हैं। लेकिन फिर भी हरे हैं और इनकी शाखाएं नई नई हर मौसम में देखने को मिलती हैं। 

क्यों है निधिवन इतना खास?

इस जगह से जुड़ी हुई कहानी काफी रोचक हैं। अगर श्री कृष्ण की बात करें तो ऐसा माना जाता है की इस जगह पर वह अकेले नहीं आते हैं बल्कि अपने साथ गोपियों को भी लेकर आते हैं। साथ में राधा रानी भी आती हैं। गुरु हरिदास जी द्वारा यह वन बनाया गया था। वह श्री कृष्ण के काफी बड़े भक्त थे और उनकी काफी अराधना किया करते थे। ऐसा माना जाता है कि इनकी भक्ति से खुश हो कर ही श्री कृष्ण यहां पर आने लगे थे। 

रंग महल के बारे में भी जानें

रंग महल के बारे में भी जानें
रंग महल पर काफी सारी श्री कृष्ण और राधा रानी की मूर्तियां हैं।

इस जगह पर काफी सारी श्री कृष्ण और राधा रानी की मूर्तियां भी हैं। इसके साथ ही एक रंग महल नाम की जगह भी है जिसका अपना अलग महत्त्व है। यहां आने पर भक्तों को हर जरूरी चीज की प्राप्ति होती है। यहां बेड, टूथ ब्रश, कपड़े , मिठाई, गहने, पानी आदि रखा रहता है। रंग महल के कपाट बंद होने से पहले यहां के पुजारी रोजाना आरती करते हैं। सुबह कपाट खोलने पर हर चीज जगह से थोड़ी इधर उधर हुई मिलती है जैसे किसी ने इनका प्रयोग किया है।

सुबह मिलता है गीला ब्रश 

जैसे ही रात को भगवान का आसन लगाया जाता है और जरूरी सामान जैसे ब्रश आदि रखा जाता है तो सुबह सारी चीजें थोड़ी अव्यवस्थित मिलती हैं।  ऐसे में मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोगों का कहना है कि सुबह दातुन भी गीला मिलता है। 

ललिता कुंड निधिवन के अंदर

यदि आप निधिवन देखने जाएंगे तो आपको यहां पर एक ललिता नामक कुंड भी मिलेगा। इस कुंड के पीछे मान्यता है कि एक बार रासलीला के दौरान श्री राधा जी की खास सहेली ललिता को प्यास लगी। तब उस समय श्री कृष्ण जी ने बांसुरी से वहां एक कुंड बना  दिया।  इसलिए इसे ललिता कुंड कहा जाता है।

जान लें मंदिर की सख्त समय सीमा

इस मंदिर की समय सीमा का सबको पालन करना होता है। यहां की समय सीमा काफी सख्त है ताकि रात में किसी तरह की परेशानी न हो । 5 बजे शाम को मंदिर को बंद कर दिया जाता है और इसके बाद इसमें किसी को भी जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। बहुत से लोगों ने इन बातों का पालन नहीं किया और वह अपने मन में आने वाले सवालों को ढूंढने के लिए 5 बजे के बाद भी मंदिर में गए। अगर स्थानीय लोगों की मानी जाए तो ऐसे लोगों ने रासलीला देखने के बाद या तो अपना मानसिक संतुलन खो दिया या फिर वह शोक के कारण मर गए।

रात में बंद हो जाते हैं खिड़की-दरवाजे

 पेड़ भगवान श्री कृष्ण की गोपियों में तब्दील हो जाते हैं
पेड़ भगवान श्री कृष्ण की गोपियों में तब्दील हो जाते हैं

यहां के आस पास के घरों की खिड़कियां भी सूरज के अस्त होने के बाद बंद हो जाती हैं और कोई भी व्यक्ति अपने घर के खिड़की दरवाजे नहीं खोलता। लोगों का मानना है कि भगवान को रासलीला के दौरान किसी के द्वारा दखल करना बिलकुल भी पसंद नहीं है। बहुत से लोगों ने यह भी कहा है कि रात में उन्हें पायलों की आवाजें सुनाई देती हैं और बांसुरी की आवाज भी सुनने को मिलती है। इसके अलावा बहुत सारे लोगों का यह भी मानना है कि रात में पेड़ भगवान श्री कृष्ण की गोपियों में तब्दील हो जाते हैं तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह पेड़ भगवान श्री कृष्ण की 16,000 रानियां हैं जो हर रात को जीवित हो जाती हैं। 

सांसारिक बंधन से मुक्त 

जो लोग मंदिर में रात के समय या 5 बजे के बाद जाते हैं वह रासलीला देख कर या श्री कृष्ण के दर्शन पा कर इस सांसारिक दुनिया का मोह त्याग देते हैं और इस बंधन से मुक्त हो जाते हैं। ऐसे काफी सारे लोगों की समाधियां भी मंदिर के आस पास हैं।

क्या है इसके पीछे की असलियत ?

वास्तु गुरु का बताना है कि इस वन की संरचना ही कुछ इस प्रकार है कि यह रहस्य से भरा हुआ लगता है। अनियमित आकार होने के कारण निधिवन के चारों ओर चार दिवारी हैं और मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है। इनका कहना है कि 16000 रानियों वाली बात भी बिलकुल झूठ है क्योंकि इस वन में 1600 वृक्ष भी मुश्किल से हैं। इनकी शाखाएं भी इतनी मजबूत नहीं की रात में पशु पक्षी इन पर बैठ सकें।

क्यों जाना जाता है राधा जी को?

दुनिया के किसी भी कोने में प्रेम की बात हो और किशन जी का जिक्र ना आए ऐसा हो नहीं सकता। श्री कृष्ण और राधा का प्रेम जगजाहिर है और उनसे जुड़ी बहुत सी कहानियां भी। श्री राधा को कृष्ण जी से उस समय लगाव हुआ था जब वह 8 वर्ष के थे और राधा जी उनकी दैवीय शक्तियों को जानती थी। इसलिए राधा जी ने बड़े ही प्यार और सम्मान के साथ उनकी स्मृतियों को अपने दिल में सजाए रखा। साथ ही अपने इस रिश्ते को खूबसूरती से निभाया। कहा जाता है कि कृष्णा अपनी बांसुरी से इसलिए भी विशेष प्रेम रखते थे क्योंकि उसकी आवाज से राधा उनके पास खिची आती थीं। 

श्री कृष्ण जी का विवाह किसके साथ हुआ?

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कृष्णा और राधा का प्रेम वृंदावन से शुरू हुआ था और मथुरा जाने से पहले किशन जी वापस आने का वादा कर गए थे लेकिन ऐसा हो नहीं सका मथुरा पहुंचकर कुछ समय बाद श्री कृष्ण जी का विवाह रुकमणी से हो गया। कंस के वध के बाद श्री कृष्ण ने द्वारका जाकर वहां द्वारका नगरी बसाई और द्वारकाधीश कहलाए। लेकिन बाद में जब वह श्री राधा से मिलने गए तब तक उनका विवाह हो चुका था। विवाह बंधन में बंधने के बाद श्री राधा ने अपने गृहस्थ जीवन की सारी रस्में निभाईं।

कब गयीं थीं राधा कृष्णा से मिलने द्वारकाधीश

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गयीं थीं राधा कृष्णा से मिलने द्वारकाधीश

 जब राधा गृहस्थ जीवन की सब रस्मों से मुक्त हो गईं तो वह श्री कृष्णा से मिलने गयीं। वहां जाकर पता चला कि श्री कृष्णा जी का भी रुक्मणी और सत्यभामा से विवाह हो चुका है। श्री राधा जी कुछ समझ पाती उससे पहले ही जब किशन जी ने उन्हें देखा तो वह बहुत खुश हो गए और दोनों एक दूसरे को बहुत देर तक निहारते रहे । श्री राधा जी ने श्री कृष्णा से कहा कि वह उनकी नगरी में रुकना चाहती हैं। इस अनुरोध पर श्री कृष्णा ने उन्हें अपने महल में एक देविका के तौर पर रख लिया। लेकिन वक्त के साथ-साथ उन्हें महसूस होने लगा कि वह कृष्णा में रम नहीं पा रहीं इसलिए उन्होंने दूर जाने की सोची।

क्या राधा की भी मृत्यु हुई थी? क्या हुआ था उसके बाद?

समय के साथ साथ शारीरिक रूप से कमजोर होती गयीं और अपने आखिरी समय में भगवान कृष्ण को पुकारा। भगवान ने उनसे कहा,” बताओ क्या चाहती हो, वह पूरा कर दूंगा।” लेकिन राधा ने सिर्फ इतना कहा कि वह उनको इस बांसुरी की मधुर तान के साथ देखना चाहते हैं। कृष्णा जी बांसुरी की तान तब तक छेड़ते रहे, जब तक श्री राधा के शरीर में प्राण रहे और फिर उन्होंने अपने शरीर को त्याग दिया। श्री राधा की मृत्यु के बाद भगवान कृष्ण वियोग को सह नहीं पाए और उन्होंने अपनी इस बांसुरी को तोड़कर आसपास की झाड़ी में फेंक दिया। फिर उन्होंने कभी कोई वादक यंत्र पर तान नहीं छेड़ी।

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तो यह थी निधिवन से जुड़ी कुछ बातें जिनका सभी लोगों को पता होना चाहिए। इस तरह को रहस्य से भरी चीजें अपने आप में ही काफी महत्त्व रखती हैं और जब यह श्री कृष्ण से जुड़ी हो तो महत्त्व और अधिक बन जाता है।

FAQ | क्या आप जानते हैं

निधि वन कहां पर है और कितने बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है?

निधि वन, वृंदावन में है और भगवान श्री कृष्ण की अपनी गोपियों के साथ व राधा रानी जी के साथ रासलीला रचाने के लिए निधिवन जाना जाता है।  लगभग ढाई एकड़ में फैला है निधिवन।

मथुरा के आसपास प्रमुख दर्शनीय स्थल कौन-कौन से हैं?

वृंदावन से तो आप सब परिचित हैं। क्या आप जानते हैं कि यहां पर इस दर्शनीय स्थल के अलावा कंस किला, भूतेश्वर महादेव, पिपलेश्वर महादेव, बलभद्र कुंड, ध्रुव टीला, बटुक भैरव, अंबरीथ टीला, गोकर्ण महादेव, कंस वध स्थल,महाविद्या देवी मंदिर जैसे पूजनीय स्थल हैं।

क्या हम रात के समय निधिवन जा सकते हैं?

नहीं निधिवन या रंग में दोनों में शाम के 5:00 बजे के बाद प्रवेश निषेध है।

क्या निधिवन वाकई रहस्यों से भरा है?

कई सालों से माना जा रहा है कि यहां रात के समय श्री कृष्ण राधा जी के संग रासलीला रचाते हैं। साथ में आसपास के सभी पेड़ गोपियों में परिवर्तित हो जाते हैं।लेकिन इस बात की सच्चाई क्या है यह एक रहस्य आज तक बना हुआ है।

निधिवन में कौन से पेड़ हैं?

निधिवन में तुलसी के खोखले वृक्ष हैं। यह है आपस में इस प्रकार लिपटे हुए हैं जैसे नृत्य कर रहे हो ऐसा माना जाता है कि यह वृक्ष  राधा की सहेलियां हैं।

क्या वाकई में निधिवन में किसी की मृत्यु हुई?

बताया जाता है कि रात के समय जिसने भी इस वन में रुक कर चोरी से रासलीला देखने की कोशिश की तो उनकी मृत्यु हो गई या उनकी आंखों की रोशनी चली गई अथवा मानसिक विक्षिप्त हो गए।

वृंदावन में लोग क्यों नाचते हैं?

वृंदावन में बहुत से बड़े छोटे मंदिर हैं और हर मंदिर में सुबह शाम भजन कीर्तन होते रहते हैं। माना जाता है कि भगवान कृष्ण को गोपियों के संग रास लीला अति प्रिय थी। भगवान कृष्ण जी की बांसुरी की तान पर सभी रानियां और पटरानियां नृत्य किया करती थीं। इस दिव्य प्रेम की अनुभूति के लिए मंदिरों में लोग भजन के समय नाचते हैं।

वृंदावन और तुलसी के बीच में क्या है संबंध?

तुलसी का दूसरा नाम है वृंदा और सब तरफ तुलसी के वृक्ष हैं। इसीलिए इस जगह को वृंदावन कहा जाता है।

कब बना निधिवन?

बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की रासलीला का यह निधिवन गुरु हरिदास द्वारा बनवाया गया है।

कहां पर है बंसी चोर राधा जी का मंदिर?

निधिवन के पास ही स्थित है बंसी चोर राधा जी का मंदिर। इस मंदिर के महंत जी का कहना है कि एक बार राधा जी ने झूठा गुस्सा दिखलाते हुए कान्हा जी की बंसी छिपा दी थी। यह वही जगह है इसलिए इस मंदिर का नाम है बंसी चोर राधा जी का मंदिर।

कब पिघला पहाड़?

लोकतंत्र कथा के अनुसार एक बार युवावस्था में श्री कृष्णा जी अपने दोस्तों के साथ इस जंगल में लुका छुपी खेल रहे थे और खेल-खेल में भगवान एक पहाड़ के पीछे छुप गए वहां आज भी श्री कृष्णा के पैरों के निशान हैं। कहा जाता है कि कृष्णा जी की मधुर बांसुरी की आवाज से पहाड़ भी पिघल का चट्टान बन गया था।