Gopinath Temple History: भगवान श्रीकृष्ण के कई रूपों के बारे में आपने सुना और पढ़ा होगा। भगवान की इन्हीं लीलाओं और रूपों के साक्षात उदाहरण हैं देशभर में बने उनके अनोखे मंदिर। इन मंदिरों का आकर्षण एक ओर जहां भक्तों को अपनी ओर खींचता है, तो दूसरी ओर विज्ञान को चुनौतियां देता है। श्रीकृष्ण के इन मंदिरों के रहस्य आजतक कोई नहीं जान पाया है। जब जान पाए हैं तो यह कि भगवान श्रीकृष्ण आज भी अपने भक्तों के बीच हैं। रहस्यों और आश्चर्यों को अपने में समेटा एक ऐसा ही मंदिर स्थित है राजस्थान की राजधानी जयपुर में। चलिए जानते हैं क्या है इसमें खास।

इसलिए खास है श्रीकृष्ण की यह प्रतिमा

Jagannath Temple History
This statue was built by Vajranabh, the great-grandson of Shri Krishna himself, to fulfill his grandmother’s wish.

जयपुर को छोटीकाशी भी कहा जाता है। यहां सैकड़ों मंदिर हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है प्राचीन गोपीनाथ मंदिर। इस मंदिर की खास बात है यहां विराजित श्रीकृष्ण की प्रतिमा, जिन्हें श्रृंगार के साथ-सा​थ घड़ी भी धारण करवाई जाती है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा कई मायनों में बेहद खास है। इस प्रतिमा को स्वयं श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने अपनी दादी की इच्छा पूरी करने के लिए बनवाया था। यह भी मान्यता है कि कंस ने जिस शिला पर अपनी बहन देवकी के नवजात बच्चों को मारा था, उसी से इस प्रतिमा का निर्माण किया गया है। मान्यता है कि वज्रनाभ ने उस शिला के तीन टुकड़े करवाए थे। उससे श्रीकृष्ण की तीन प्रतिमाओं का निर्माण करवाया गया, जिन्हें राजस्थान के अलग-अलग शहरों में विराजित किया गया। इनमें करौली के मदन मोहन जी, जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी और गोपीनाथ जी शामिल हैं। माना जाता है कि ये तीनों ही विग्रह करीब पांच हजार साल पुराने हैं। इनमें साक्षात श्रीकृष्ण विराजित हैं।

ऐसे जयपुर आए श्रीकृष्ण

माना जाता है कि श्री गोपीनाथ जी की यह प्रतिमा पहले वृंदावन में स्थापित की गई। लेकिन जब औरंगजेब मंदिरों का तोड़ने लगा तो 1775 में ठाकुर जी को छिपाकर जयपुर लाया गया। इसके बाद उसे जयपुर के परकोटे में स्थापित किया गया और नाम दिया गया श्री गोपीनाथ जी।  और ऐसे जयपुर को मिल गए अपने गोपीनाथ जी।

इस प्रतिमा में हैं प्राण  

माना जाता है कि भगवान श्री गोपीनाथ की प्रतिमा में प्राण है और इसमें श्री कृष्ण की धड़कनें आज भी चलती हैं।
It is believed that the statue of Lord Shri Gopinath has life and the heartbeat of Shri Krishna continues even today.

माना जाता है कि भगवान श्री गोपीनाथ की प्रतिमा में प्राण है और इसमें श्री कृष्ण की धड़कनें आज भी चलती हैं। बताया जाता है कि मंदिर में प्रतिमा स्थापित करने के बाद इसकी सेवा में लगे लोगों को एहसास हुआ कि श्रीकृष्ण की इस प्रतिमा में प्राण हैं। आजादी से पहले जब यह बात एक अंग्रेज अफसर को पता चली तो उसे विश्वास नहीं हुआ। उसने कहा कि जब प्रतिमा में प्राण हैं तो इसकी धड़कनें भी चलेंगी। और इसे साबित करने के लिए वह एक ऐसी घड़ी लेकर आया जो धड़कनों से चलती थी। जब श्री कृष्ण को यह घड़ी धारण करवाई गई तो यह चलने लगी। जिसके बाद अंग्रेज अफसर सहित सभी लोगों को यह विश्वास हो गया कि इस प्रतिमा में प्राण हैं। आज भी श्रीकृष्ण की प्रतिमा को घड़ी धारण करवाई जाती है। माना जाता है कि इस मंदिर में श्रीकृष्ण से जो भी मांगो, वो मिल जाता है।  कृष्ण जन्माष्टमी पर इस मंदिर में दर्शन करने हजारों श्रद्धालु आते हैं। इस बार जन्माष्टमी की अष्टमी तिथि 6 सितंबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी। जिसका समापन 7 सितंबर 2023 को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर होगा। 

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...