नीट पास होने के बाद काउं‍सलिंग में कुछ बातों का रखें ध्‍यान: Neet Counselling
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Neet Counselling: नीट परीक्षा के परिणाम आ गए हैं। 20 लाख् से भी अधिक परीक्षार्थियों में से 11 लाख 45 हजार ने परीक्षा क्ल्यिर की है। अब इनके सामने एक और चुनौती है कि काउंसलिंग में अच्‍छा कॉलेज मिलेगा या नहीं। पास करने वाले हर परक्षार्थी को एमबीबीएस के लिए कॉलेज मिल ही जाए ये भी संभव नहीं हैं। नीट रिजल्‍ट आने के बाद परीक्षार्थी को बेस्‍ट कॉलेज पाने की दौड़ में शामिल होना पडता है। ऐसे में परीक्षा के बाद एक बार फिर उन्‍हें अच्‍छे कॉलेज और मनचाहे सब्जेक्ट की चिंता सताने लगती है। इस समय पास होने की खुशी के साथ साथ अब अच्‍छे कॉलेज मिल जाने का स्‍ट्रेस से उन्‍हें गुजरना पड़ता है। इस प्रेशर से सिर्फ स्‍टूडेंट ही नहीं उनके परिजनों को भी गुजरना पड़ता है। आपको बता दें कि भारत में सरकारी मेडिकल कॉलेज की फीस कम होती है और प्राइवेट कॉलेज मनचाही फीस लेते हैं। ऐसे में सभी को सरकारी कॉलेज मिलने की चाह रहती है। काउंसलर आधुनिता नथानी कहती हैं कि सबसे पहले परिजनों को बच्‍चों को स्‍ट्रांग बनाने के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। सरकारी कॉलेज में सीट्स मिल जाती है तो अच्‍छा है नहीं तो निराश नहीं हों इससे बच्‍चों का मनोबल भी गिरता है। अगर अफोर्ड कर सकते हैं तो प्राइवेट कॉलेज के लिए तैयार रहें। उनके मुताबिक काउंसलिंग की प्रक्रिया के दौरान पॉजिटिव रहें और अपनी रैंक, कोर्स की वरीयता, अपना एप्‍टीट्यूड देखकर काउंसलिंग के लिए आगे बढ़ें। अपने डाक्‍यूमेंट्स को भी वैरीफाई कर लें। जरूरी डाक्‍यूमेंट्स की लिस्‍ट बनाकर उन्‍हें रजिस्‍ट्रेशन से पहले क्रास चेक करें। ऐसा न हो एडमिशन के समय आप छोटे छोटे कामों से परेशान हों।

अपनी रैंक के हिसाब से कॉलेज सर्च शुरू कर दें

अच्‍छी रैंक पाने वाले अभ्‍यर्थी को कॉलेज के बारे में ज्‍यादा सोचना नहीं पडता। लेकिन अगर आफकी रैंक कम है तो आपको कॉलेज के बारे में रिसर्च करना जरूरी है। पिछले कुछ सालों की काउंसलिंग के रिजल्‍ट्स देंखें। किस कॉलेज का क्‍या कट ऑफ रहा है उस हिसाब से अपनी रैंक को ध्‍यान में रखते हुए कॉलेज की लिस्‍ट बना लें। कांउसलिंग के वक्‍त उन्‍हीं कॉलेज का वरीयता दें। ऑल इंडिया काउंसलिंग में रजिस्‍टेशन करने साथ साथ स्‍टेट काउंसलिंग के लिए भी आवेदन देना जरूरी है। अगर आपकी रैंक मिड लेवल की है तो स्‍टेट काउंसलिंग पर फोकस करें। क्‍योंकि नेशनल काउंसलिंग के जरिए हर स्‍टेट के कॉलेज में 15 परसेंट सीटें आरक्षित होती हैं। बाकी 85 परसेंट स्‍टेट के अभ्‍यर्थियों के लिए रहती हैं। तो अपनी रैंक को ध्‍यान में रखते हुए दोनों ही काउंसलिंग के लिए आवेदन करें। नेशनल और रीजनल काउंसलिंग कई चरणों में होती है। इसलिए अगर आपका पहले राउंड में नहीं हो पाया है तो निराश न हों और दूसरे राउंड के लिए स्‍टेट लेवल पर कॉलेज का चुनाव करें। क्‍योंकि आप जिस स्‍टेट से हैं उसमें आपको सीट मिलने के चांसेज ज्‍यादा हैं।

सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में लगभग एक लाख से अधिक सीट हैं। प्राइवेट कॉलेज में भी एडमिशन काउंसलिंग के जरिए ही होता है। अगर आपको सरकारी कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाता तो प्राइवेट कॉलेज का चुनाव भी सोच समझकर करें। कई बार ब्रोकर बोल देते हैं कि प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन दिला सकते हैं। मगर किसी भी तरह की धोखाधडी से बचें और काउंसलिंग के जरिए ही सीट के लिए आगे बढें।

कोर्स का चुनाव रैंक के आधार पर नहीं अपनी प्रिफरेंस के आधार पर करें

सबसे पहले तो अपना गोल तय करें। क्‍योंकि नीट यूजी एमबीबीएस और बीडीएस दोनों के लिए कम्‍बाइंड एग्‍जाम होता है। तो आप जब प्रिफरेंस भरें तो क्लियर होना चाहिए कि आप एमबीबीएस करना चाहते हैं या बीडीएस। ऐसा न हो कि आप किसी दबाव में या अपने बजट में सरकारी कॉलेज के लिए सिर्फ अपनी वरीयता बदल दें। बहुत बार ऐसा होता है कि स्‍टूडेंट्स जो करना चाहते हैं उस सब्‍जैक्‍ट में एडमिशन न मिलने पर बिना सही रिसर्च के दूसरे सब्‍जैक्‍ट को चुन लेते हैं। अगर आपका इंट्रेस्‍अ उस सब्‍जैक्‍ट में नहीं होगा तो आपका फ्यूचर सेक्‍योर नहीं हो सकता। अगर आप बीडीएस या कोई और चॉइस कर रहे हैं तो पहले अच्‍दे से सोच लें क्‍योंकि इसके बाद आपके फ्यूचर आस्‍पेक्‍ट पूरी तरह बदल जाएंगे। आप फ्यूचर के बारे में पेरी तरह सोच विचार करने के बाद ही कोर्स का चयन करें। आधुनिता कहती हैं कि ये सिर्फ मेडिकल के लिए ही नहीं किसी भी फील्‍ड में एप्‍लीकेबल है। स्‍टूडेंट्स को अपने एप्‍टीटुयूड, पर्सनैलिटी और कोर्स के प्रति इंट्रेस्‍ट के साथ साथ उस कोर्स के फयूचर की स्‍टडी के बाद ही कोर्स का चुनाव करना चाहिए।

कॉलेज के बारे में भी कर लें रिसर्च

आधुनिता नथानी स्‍टूडेंट्स को कॉलेज के बारे में रिसर्च करने की सलाह देते हुए कहती हैं कि आप अपनी लोकेशन, अपनी वरीयता के हिसाब से कॉलेज के बारे में भी पहले से रिसर्च कर लें। सरकारी कॉलेज में पेशेंअ एक्‍सपोजर अच्‍छा मिल जाता है। तो प्राइवेट कॉलेज का चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखें। स्‍पेशलाइजेशन, टीजिंग फैकल्‍टी,रिसर्च के मौके और वहां से पास आउट कैंडिडेट का प्रोफाइल चेक करके कॉलेज के बारे में जानकारी ले सकते हैं।