ज्यादा देखभाल बच्चों को बनाती है निर्भर: Child Care Tips
Child Care Tips

Child Care Tips: माता-पिता की जि़म्मेदारी को कभी भी आसान काम नहीं माना जा सकता क्योंकि इसके साथ बहुत सी चुनौतियां जुड़ी होती हैं। हम सभी का माता-पिता की जिम्मेदारी निभाने का अलग स्टाइल होता हैै, लेकिन अत्यधिक दुलार और देखभाल का बच्चों पर विपरीत असर पड़ता है।

जरूरत से ज्यादा लाड़-दुलार करने वाले माता-पिता बच्चे के व्यवहार के अनुसार उनके लिए कोई सीमा नहीं तय कर पाते हैं। ऐसे अभिभावकों को यह चिंता होती है कि उनके बच्चे को किसी चीज की कमी महसूस न हो, इसलिए बगैर कोई तय सीमा या स्पष्ट नियमों या दिशानिर्देशों के उनकी सभी मांगें पूरी की जाती हैं। ऐसे माता-पिता अपने बच्चों के बुरे बर्ताव के प्रति भी टालने का रवैया रखते हैं और उनका जरूरत से अधिक ख्याल रखते हैं। माता-पिता द्वारा देखभाल किया जाना उचित है लेकिन अनुशासन और बच्चों की देखभाल के बीच एक संतुलन बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।

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माता-पिता द्वारा अत्यधिक देखभाल के संभावित परिणाम-

अत्यधिक देखभाल करने वाले माता-पिता आम तौर पर तमाम गतिविधियों में अपने बच्चों की मदद करने की कोशिश करते हैं, भले ही बच्चे में उस चीज को पूरा करने के लिहाज से उचित कुशलताएं मौजूद हों। दरअसल इस स्तर की देखभाल बच्चे के संपूर्ण विकास में एक बाधा बन सकती है, इसके अलावा इससे बच्चों की आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनने की क्षमता भी बाधित होती है।

अगर माता-पिता अपने बच्चे की इच्छाएं और मांग को हद से ज्यादा पूरा करते हैं तो बच्चे में खुद को उस योग्य समझने की भावना विकसित होने लगती है और वह बगैर किसी शर्त के अपनी मांग पूरी होने की उम्मीद करने लगता है। ऐसे रवैये वाले बच्चे की देखभाल व्यवहार के लिहाज से करना माता-पिता के लिए मुश्किल हो जाता है, बल्कि लंबी अवधि में यह जीवन में बच्चे की समझौता करने की समझ के लिए भी बाधक बन जाता है।

जिन बच्चों को अपनी हर मांग बगैर किसी शर्त के पूरी होने की आदत पड़ जाती है, उनमें नखरे करने की प्रवृत्ति होने की आशंका भी अधिक होती है जिससे माता-पिता की चुनौतियां और भी बढ़ जाती हैं।

आखिरकार अत्यधिक देखभाल और हर वक्त बच्चे से जुड़े रहने की माता-पिता की आदत से बच्चे के आत्मकेंद्रित होने की आशंका भी बढ़ जाती है, जिससे वह दूसरों का दृष्टिकोण नहीं समझ पाता है।

एक उदाहरण पेश करें। विभिन्न गतिविधियों को पूरा करने में बच्चों की मदद कर देखभाल और चिंता का प्रदर्शन करने के बजाय यह अधिक लाभदायक होगा कि माता-पिता बच्चे के लिए उचित और संयमित व्यवहार का एक उदाहरण, एक मॉडल पेश करें, जिसे वह अपनी गलती को महसूस करे और आत्मसात करे।

परिस्थिति कोई भी हो, बच्चे को दंड देने से बचें और इसके बजाय बच्चे की पसंदीदा कोई चीज वापस लेने जैसे उपाय आजमाएंं। व्यवहार संबंधी अनुबंध तैयार करें और उन्हें समय, लोगों और परिस्थितियों के मुताबिक लागू करें। किसी भी अनुचित या अप्रिय व्यवहार को नकारना बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चा जब भी व्यवहार संबंधी अनुबंध का उल्लंघन करे तो माता-पिता को हर बार उसका उल्लेख करना चाहिए और बच्चे को एक संभावित परिणाम की उम्मीद करने योग्य बनाना चाहिए।

जरूरत से ज्यादा कठोर रुख न अपनाएं लेकिन मजबूत और दृढ़प्रतिज्ञ बने रहें, ताकि आपका बच्चा आपकी बातों से नाराज हुए बिना सीखे और याद रखे। इसके अलावा माता-पिता के लिए शांति बनाए रखना और अनुशासन एवं प्रभावी ढंग से देखभाल करने के साथ प्रेम की अभिव्यक्ति के बीच एक संतुलन बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अंतिम निर्णय लेने की प्रक्रिया में बच्चे को शामिल करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे बच्चे की दृष्टिकोण से भी जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता की भावना बढ़ती है। इसके अलावा इससे बच्चे के सामने तर्क पेश करने और बातचीत करने में भी मदद मिलती है।