किरमिक राक्षस का वध कर ऐसे न्याय के देवता बनें महासू, जानिए पूरी कथा: Mahasu Temple
Mahasu Temple Katha

एक ऐसा मंदिर जहां पर न्याय के देवता विराजते हैं।

इस मंदिर की आसपास ही नहीं बल्कि पूरे देश में इतनी मान्यता है कि हर साल यहां राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक दान किया जाता है।

Mahasu Temple: उत्तराखंड के हनोल में स्थित महासू देवता मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे दिल से कुछ मांगता है तो देवता उनकी मनोकामना को ज़रूर पूरा करते हैं। महासू देवता भोलेनाथ के अवतार माने जाते हैं, जिन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर सभी को न्याय मिलता है और देश-विदेश से हर साल यहाँ लाखों श्रद्धालु महासू देवता के दर्शन करने आते और उनसे न्याय की गुहार लगाते हैं।

एक नहीं, चार देवता हैं महासू

Mahasu Temple
Mahasu Temple

महासू देवता मंदिर में सिर्फ एक देवता नहीं, बल्कि चार देवता विराजते हैं। ये चारों देवता भाई हैं, जो भगवान शिव के ही रूप है। इन्हें सामूहिक रूप से महासू देवता कहा जाता है। इनके नाम हैं बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू और चालदा महासू ।

इसलिए कहे जाते हैं न्याय के देवता

 God of justice
God of justice

मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार टौंस नदी के आसपास के क्षेत्रों में एक किरमिक नाम का राक्षस हुआ करता था, जिसका काफी आतंक था। इस राक्षस से पूरी जनता परेशान थी, लेकिन कुछ कर नहीं पा रही थी। छुटकारा दिलाने के लिए हुणाभाट नाम के एक ब्राह्मण ने भगवान शिव और शक्ति की आराधना की।पूजा से भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए और उनके ही द्वारा हनोल में चार भाइयों की उत्पत्ति हुई, जिनका नाम था महासू है। महासू ने किरमिक राक्षस का वध किया गया और उसके मौत के साथ ही इस क्षेत्र से उसका आतंक खत्म हो गया। इसके बाद पूरे क्षेत्र में महासू की देवता के रूप में पूजा की जाने लगी और इन्हें न्याय के देवता की उपाधि दी गई।

गर्भगृह में भक्तों का जाना है मना

महासू देवता के मंदिर में सभी दर्शन कर सकते हैं लेकिन इस मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों को जाने की मनाही है। इस जगह पर केवल मंदिर के पुजारी को ही जाने की अनुमति है। लोक मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर में कई दशकों से एक ज्योति जलती रहती है, जो आज तक नहीं बुझी है। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर के गर्भगृह में पानी की एक धारा बहती है। किसी को नहीं मालूम कि ये पानी कहां से आ रहा है और जाता कहाँ पर है। इसी पानी को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है।

मंदिर से जुड़ी कुछ अनोखी बातें 

Mahasu temple facts
Mahasu temple facts

महासू देवता मंदिर के गर्भगृह के ठीक ऊपर एक विशाल पत्थर मौजूद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भीमसेन खुद घाटा पहाड़ से उठाकर लाए थे। इस पत्थर को भीम छतरी नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के प्रांगण में सीसे के दो गोले मौजूद हैं, जिन्हें उठाना हर किसी के बस की बात नहीं है। कहा जाता है कि सीसे के इन गोलों से भीम कंचे खेला करते थे। ये गोले दिखने में छोटे लगते हैं, लेकिन इन्हें उठाना मुश्किल है। कहा जाता है कि उठाना मुश्किल है लेकिन कोई भक्त सच्चे और पवित्र मन से उठाये तो ये उठाए भी जा सकते हैं। महासू देवता को उत्तराखंड सहित हिमाचल में भी अपने ईष्ट देवता के रूप में पूजा जाता है।

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