Lalita Saptami Vrat 2023: सनातन धर्म में राधा कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। धरती, आकाश, पशु पक्षी और पेड़ पौधे सभी राधा कृष्ण के अटूट प्रेम के साक्षी रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी की धुन पर राधा रानी के साथ साथ उनकी सखियां भी मोहित हो जाती थी। भगवान श्रीकृष्ण सभी सखियों को प्रेम से गोपी कहते थे। सभी गोपियों में 8 गोपियां श्री तुंगविद्या, श्री ललिता, श्री विशाखा, श्री चित्रलेखा, श्री चंपकलता, श्री इंदुलेखा, श्री रंगदेवी और श्री सुदेवी राधा रानी की करीबी सखियां थी। आठों गोपियों ने राधा रानी के प्रति कृष्ण की प्रेम लीला में सदैव उनका साथ दिया।
इनमें से राधा रानी की एक सखी श्री ललिता को आज भी पूजनीय माना जाता है। इस साल 22 सितंबर 2023 को ललिता सप्तमी मनाई जाएगी। राधा कृष्ण की सबसे करीबी सखी ललिता का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ था। श्री ललिता जयंती को संतान सप्तमी, दुबड़ी सप्तमी, अपराजिता सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है। आज इस लेख के द्वारा हम जानेंगे कि राधा कृष्ण को श्री ललिता इतनी प्रिय क्यों थी और ललिता सप्तमी का महत्व क्या है।
राधा रानी से चौदह वर्ष बड़ी थी श्री ललिता
पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि राधा कृष्ण की अनन्य भक्त श्री ललिता अपनी सखी राधा रानी से चौदह वर्ष, आठ महीने और सत्ताईस दिन बड़ी थी। सभी गोपियों में श्री ललिता की आयु सबसे अधिक थी। श्री ललिता को भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की नि: स्वार्थ सेवा और भक्ति करने का श्रेय प्राप्त है। इसीलिए श्री ललिता के जन्म दिवस को श्री ललिता जयंती के रूप में मनाया जाता है। श्री ललिता सप्तमी के दिन श्री राधाकृष्ण के साथ श्री ललिता की पूजा भी की जाती है।
श्री ललिता, राधा कृष्ण के दिव्य प्रेम को दर्शाने वाली भक्त हैं। राधा रानी की सखी श्री ललिता पीले रंग की आभा लिए हुए हैं और श्री कृष्ण के प्रति स्नेष रखने के कारण मोरपंख से बने हुए वस्त्र धारण करती हैं। श्री ललिता के जन्म स्थान पर आज भी सूर्य की रोशनी में उनके चरण कमलों के निशान दिखाई देते हैं। श्री ललिता के मन में राधा कृष्ण के प्रति जो आत्मीय स्नेह है उसी के रूप में श्री ललिता सप्तमी का उत्सव मनाया जाता है
श्री ललिता सप्तमी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि श्री ललिता के असीम स्नेह और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने अपनी सखी श्री ललिता को यह वरदान दिया था कि श्री ललिता राधा कृष्ण की अनन्य भक्त के रूप में पूजनीय होंगी। श्री ललिता सप्तमी का व्रत रखने से संतान सुख से वंचित विवाहित जोड़ों को गुणवान संतान की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से संतान स्वस्थ और दीर्घायु होती हैं। मान्यता है कि जिन स्त्रियों का बार बार गर्भपात होता हैं उन्हें श्री ललिता सप्तमी का व्रत रखना चाहिए। जो व्यक्ति श्री ललिता सप्तमी का व्रत करता है उसे राधा कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के पिछले जन्म के पापों का नाश होता है और बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
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