श्री खाटू श्याम जी को क्यों कहा जाता है हारे का सहारा? जानें रोचक बातें और अन्य नामों की कहानी: Khatu Shyam Baba
Khatu Shyam Baba

Khatu Shyam Baba: देशभर का प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी कई रोचक बातें और मान्यताएं हैं। यह मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर है खाटू श्याम जी के मंदिर में हर साल बड़े पूजा उत्सव आयोजित होते हैं और लाखों भक्त यहां आकर उनके दर्शन भक्ति में लगे रहते हैं। खाटू श्याम को भगवान कृष्ण के रूप में पूजा जाता है। खाटू श्याम जी को अक्सर हारे का सहारा कहा जाता है, क्या आपने कभी सोचा है कि हारे का सहारा क्यों कहा जाता है? दरअसल, खाटू श्याम जी को हारे का सहारा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका अर्थ है कि वह हारे हुए लोगों का सहारा है।

हारे का सहारा का अर्थ है कि खाटू श्याम जी परम भक्तियुक्त, निष्कलंक और प्रेमभाव से भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें सांसारिक संघर्षों और समस्याओं से मुक्ति प्रदान करते हैं। उन्हें आदि पुरुष, परब्रह्मा, भगवान कृष्ण, राधा कृष्ण, बाल कृष्ण, श्याम सुंदर, द्वारकाधीश, माखन चोर, मुरारी, यशोदानंदन, देवकीनंदन, गोपीनाथ, माधव, मुकुंद, यादव, वासुदेव, मधुसूदन, मुरलीधर, नंदनंदन, द्वारकानाथ, रथयात्रा, जगन्नाथ, स्वयंभू, अंतर्यामी, जगजीवन गोविंद, बृजेश आदि नामों से पुकारा जाता है। इन सभी नामों के बारे में तो हर कोई जानता है। लेकिन इनके अलावा क्या आपको पता है खाटू श्याम जी को हारे का सहारा के अलावा तीन बाण धारी, शीश के दानी जैसे भी नामों से जाना जाता है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे की खाटू श्याम जी को इन नामों से क्यों जाना जाता है, तो चलिए जानते हैं।

Also read : Khatu Shyam Mela 2023: कौन हैं खाटूश्यामजी? जानें श्रीकृष्ण से जुड़ा ये इतिहास

जानें, खाटू श्याम का इतिहास

Khatu Shyam Baba
Khatu Shyam Baba History

खाटू श्याम का इतिहास महाभारत काल से है। खाटू श्याम पांडव पुत्र भीम के पोते थे। खाटू श्याम से खुश होकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया था, कि कलयुग में वे उनके नाम से पूजे जाएंगे। खाटू श्याम जी का नाम बचपन में बर्बरीक था। उन्हें सभी लोग बर्बरीक के नाम से पुकारा करते थे। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें उनके घुंघराले बालों की वजह से श्याम नाम दिया था।

क्यों कहा जाता है तीन बाण धीर

Khatu Shyam
Khatu Shyam

खाटू श्याम जी को तीन बाण धीर कहने के पीछे का अर्थ यह है कि जब बर्बरीक से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें तीन अभेघ बाण दिए थे, इसलिए उन्हें तीन बाण धीर भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है की इन तीन बाणों में इतनी ताकत थी कि महाभारत का युद्ध इन तीनों बाणों द्वारा ही खत्म किया जा सकता था। इतना ही नहीं भगवान शिव से प्राप्त किए गए इन तीन बाणों से पूरे ब्रह्मांड को जीता जा सकता था।

क्यों कहा जाता हैं शीश के दानी

भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण कर बर्बरीक से शीश दान में मांग लिया और बर्बरीक ने अपना शीश तलवार से काट कर दान कर दिया। इस कारण उनको शीश का दानी भी कहा जाता है। दरअसल, महाभारत के युद्ध में जाने से पहले बर्बरीक की मां ने बर्बरीक से कहा था कि तुम्हें हारने वाले पक्ष का साथ देना है। भगवान श्री कृष्ण जानते थे कि कौरवों को हारता देखकर बर्बरीक कौरवों का साथ देंगे जिससे पांडवों का हारना तय है। इसलिए तब भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया।