Shopping Tips- जीवन में हमें अक्सर नई-नई चीजों और वस्तुओं की जरूरत होती है, जिनको खरीदने के लिए या तो हम खुद बाजार जाते हैं, या फिर घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं। बाजार में जितने ज्यादा उपभोक्ता बढ़े हैं, उसी अनुपात में सामान बेचने वालों की भी संख्या बढ़ी है। टेक्नोलॉजी और डिजिटलीकरण के इस दौर में धोखाधड़ी और ठगी के मामले में भी लगातार बढ़ रहे हैं। उपभोक्ताओं का आएदिन शोषण हो रहा है। ये शोषण गुणवत्ता में कमी, सस्ती चीजों को ऊंचे दाम पर बेचने, मिलावट करने और घटिया माल के रूप में किया जा रहा है।
उपभोक्ताओं को इसी शोषण से बचाने के लिए सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण कानून बनाया है। आप ऑफलाइन खरीदारी करें या ऑनलाइन एक उपभोक्ता के रूप में आपको अपने अधिकारों की सही और पूरी जानकारी होना जरूरी है। अगर खरीदारी करते वक्त आप अपने अधिकारों और कर्तव्यों का पूरा ख्याल रखते हैं, तो निश्चिततौर पर आपको आगे कोई परेशानी नहीं होगी। तो चलिए आज हम उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जानते हैं।
जानें उपभोक्ता अधिकारों को
एक उपभोक्ता को सुरक्षा का अधिकार, जानकारी का अधिकार, प्रतिनिधित्व का अधिकार, विवाद निवारण का अधिकार और ग्राहक शिक्षा का अधिकार कानूनी रूप से प्राप्त हैं। उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए सरकार ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता संरक्षण आयोग का गठन किया है। वस्तु की क्वालिटी, क्वांटिटी, पोटेंसी, प्यूरिटी, स्टैंडर्ड और कीमत के बारे में सही जानकारी हासिल करना उपभोक्ता का अधिकार है। इन अधिकारों की मदद से अनुचित व्यापार प्रथाओं को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है।
हर छोटी सी छोटी चीज का बिल लें
आप चाहे पांच रुपए की चीज खरीदें, 500 रुपए की या 50 हजार रुपए की, आपको दुकानदार से हर चीज का बिल लेना चाहिए। बिल लेने से एक तो इस बात का प्रमाण आपके पास होता है कि आपने किस तारीख पर किस दुकानदार से क्या चीज खरीदी थी। और दूसरा दुकानदार बेची गई चीज पर टैक्स चोरी नहीं कर पाएगा। सरकार को भी इससे उचित कर राजस्व प्राप्त होगा, जो आखिर हमारे कल्याण के ही काम आएगा।
सुरक्षा का रखें ध्यान
उपभोक्ता को किसी वस्तु की गारंटी, गुणवत्ता चिन्ह और प्रमाणपत्र सहित उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में पूछने का अधिकार है। इसलिए कोई भी खरीदारी करते वक्त उत्पाद या सेवा की सुरक्षा से जुड़े जितने सवाल या शंकाएं हैं, उन्हें खरीदारी से पहले ही दूर कर लेना चाहिए। सुरक्षा का अधिकार उन वस्तुओं और सेवाओं के खिलाफ उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करता है जो जीवन या संपत्ति के लिए हानिकारक हो सकते हैं। सुरक्षा के अधिकार के अंतर्गत उपभोक्ता को वस्तु में किसी प्रकार की मिलावट तो नहीं की गई यह जानने का अधिकार है।
यह भी देखे-लिविंग रूम को इन 5 स्मार्ट तरीकों से ऑर्गजाइज़ करें
हर छोटी-बड़ी सूचना मांगे
किसी उपभोक्ता को उत्पाद खरीदते समय उसकी बारीकियों के बारे में जानने का पूरा अधिकार है। इस अधिकार का उद्देश्य वस्तु की मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और माल की कीमत आदि के बारे में पूछताछ करने में मदद करना है। इसलिए दुकानदार से आप हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी सूचना मांगने के अधिकारी हैं। अगर दुकानदार कोई भी जानकारी देने से मना करता है या आनाकानी करता है तो आप इसकी शिकायत कर सकते हैं।
अपनी मर्जी से चुने उत्पाद
इस अधिकार के तहत हर उपभोक्ता को अपनी पसंद की वस्तु चुनने और उसे खरीदने का अधिकार देता है। दुकानदार या विक्रेता उपभोक्ता की पसंद के बिना कोई भी वस्तु खरीदने पर उसे मजबूर नहीं कर सकता। विक्रेता अक्सर उपभोक्ताओं को तमाम उत्पादों के साथ उलझन में डालकर उन्हें अपनी पसंद का उत्पाद बेचने की कोशिश करते हैं। इसलिए उपभोक्ताओं को हमेशा खरीदारी करने से पहले खुद रिसर्च कर उत्पादों के बारे में जानकारी जुटानी चाहिए।
गुणवत्ता से न करें समझौता
उपभोक्ता को कभी भी सामान की गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहिए। सस्ते के लालच में फंसकर कम गुणवत्ता वाला सामान खरीदने से बचना चाहिए। उपभोक्ता की जिम्मेदारी है कि वह किसी भी सामान को खरीदने से पहले आईएसआई, एगमार्क, बीएसआई, वूलमार्क और एफपीओ जैसे मानक चिन्हों की जांच करें। ये मानक चिन्ह उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में सही जानकारी प्रदान करते हैं।
जल्दबाजी में न करें शॉपिंग
खरीदार चाहे ऑफलाइन की जा रही हो या ऑनलाइन, जल्दबाजी कभी नहीं करनी चाहिए। किसी भी वस्तु या सेवा की खरीदारी करने से पहले पूरी रिसर्च करनी चाहिए। खरीदारी करने से पहले अपना एस्टीमेट बनाना चाहिए। जल्दबाजी में सामान खरीदने से कई बार गलत और अनुपयोगी चीज घर में आ जाती है, जिससे समय की बर्बादी और बेवजह परेशानी होती हे।