उत्तराखंड का फल ही नहीं बल्कि संस्कृति भी है 'काफल': Kafal
Kafal

Kafal: उत्तराखंड के हरे-भरे पहाड़ जितने खूबसूरत हैं उतनी ही खूबसूरत पहाड़ की संस्कृति भी है। इन दिनों यहां के पहाड़ों में काफल की बहार आई हुई है। काफल उत्तराखंड की पहाड़ियों पर उगने वाला जंगली फल है लेकिन अपने खट्टे-मीठे स्वाद के कारण यह पहाड़ों पर फलों के राजा के रूप में पहचाना जाता है। ‘काफल’ सिर्फ फल ही नहीं बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति का हिस्सा भी है। काफल औषधि युक्त जंगली फल है, जिसे जंगली जैविक फल भी कहा जाता है। यह फल अनेक रोगों में लाभकारी होते हैं। यह जंगली पशुओं और पक्षियों का एक भोजन भी है।

हज़ारों फीट की ऊंचाई पर उगता है काफल

Kafal Tree

छोटा गुठली युक्त बेरी जैसा फल ‘काफल’ गुच्छों में लगता है। काफल का फल जमीन से 4000 फीट से 6000 फीट की उंचाई में उगता है। ये फल उत्तराखंड के अलावा हिमाचल और नेपाल के कुछ हिस्सों में भी होता है। इस फल का स्वाद मीठा व खट्टा और कसैले होता है।  इस फल का वैज्ञानिक नाम “myrica esculenta” कहा जाता है एवं इसे बॉक्स मर्टल और बेबेरी भी कहा जाता है।

काफल से जुड़ी है मार्मिक कहानी

उत्तराखंड के एक गांव में एक गरीब महिला रहती थी, जिसकी एक छोटी सी बेटी थी। महिला गर्मियों में घर चलाने के लिए जंगल से काफल तोड़कर उन्हें बाजार में बेचती। एक बार महिला जंगल से एक टोकरी भरकर काफल तोड़ कर लाई। उस वक्त सुबह का समय था और उसे जानवरों के लिए चारा लेने जाना था। इसलिए उसने इसके बाद शाम को काफल बाजार में बेचने का मन बनाया और अपनी मासूम बेटी को बुलाकर कहा, ‘मैं जंगल से चारा काट कर आ रही हूं, तब तक तू इन काफलों की पहरेदारी करना। मैं जंगल से आकर तुझे भी काफल खाने को दूंगी, पर तब तक इन्हें मत खाना।’

मां की बात मानकर मासूम बच्ची उन काफलों की पहरेदारी करती रही। इसके बाद दोपहर में जब उसकी मां घर आई तो उसने देखा कि काफल की टोकरी का एक तिहाई भाग कम था। मां ने देखा कि पास में ही उसकी बेटी सो रही है।  इससे माँ गुस्से में उसने घास का गट्ठर एक ओर फेंका और सोती हुई बेटी की पीठ पर मुट्ठी से जोरदार प्रहार किया। नींद में होने के कारण मां का प्रहार उस पर इतना तेज लगा कि वह बेसुध हो गई।

बेटी की हालत बिगड़ते देख मां ने उसे खूब हिलाया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। मां अपनी औलाद की इस तरह मौत पर वहीं बैठकर रोती रही। उधर, शाम होते-होते काफल की टोकरी फिर से पूरी भर गई जब महिला की नजर टोकरी पर पड़ी तो उसे समझ में आया कि दिन की चटक धूप और गर्मी के कारण काफल मुरझा जाते हैं और शाम को ठंडी हवा लगते ही वह फिर ताजे हो जाते हैं। अब मां को अपनी गलती पर बेहद पछतावा हुआ और वह भी उसी पल सदमे से गुजर गई।

काफल के फायदे

Benefits of Kafal
Benefits of Kafal

काफल फल में कई तरह के प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं। जैसे माइरिकेटिन, मैरिकिट्रिन और ग्लाइकोसाइड्स इसके अलावा इसकी पत्तियों में फ्लावेन-4, हाइड्रोक्सी-3 पाया जाता है। इस फल को खाने से पेट से सम्बंधित कई बीमारियां दूर हो जाती हैं जैसे कि कब्ज या एसिडिटी।

इसका उपयोग मोमबत्तियां, साबुन तथा पॉलिश बनाने में भी किया जाता है। काफल फल के पेड़ की छाल से निकलने वाले सार को दालचीनी और अदरक के साथ मिलाकर सेवन करने से पेचिस, बुखार, फेफड़ों की बीमारी, अस्थमा और डायरिया आदि रोगों से आसानी से बच सकते हैं अपितु यही नहीं इसकी छाल को सूघने से आंखों के रोग व सिर का दर्द भी ठीक हो जाता है।

इसके पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आंख की बीमारी तथा सरदर्द में सूघने के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। काफल के पेड़ की छाल या इसके फूल से बने तेल की कुछ मात्रा कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है। इस फल से लकवा रोग ठीक हो सकता है और फल के प्रयोग से आप नेलपॉलिश के अलावा मोमबत्तियां व साबुन आदि भी बना सकते हैं।