Ganesha Chaturthi 2023

Garh Ganesha Temple: भगवान श्री गणेश का नाम सुनते ही सभी के जहन में सूंड वाले गणपति की तस्वीर उभर आती है। लेकिन दुनिया में श्री गणेश का एक मंदिर ऐसा भी है, जहां बिना सूंड के गणपति विराजित हैं। यह विशाल और अद्भुत मंदिर स्थापित है राजस्थान की राजधानी जयपुर में। कहा जाता है कि अरावली पर्वतमाला पर विराजे गणपति इस शहर की रक्षा करते हैं। ​यही कारण है कि इन्हें गढ़ यानी किलो में विराजित किया गया और नाम दिया गया ‘गढ़ गणेश’।

इसलिए नहीं है श्री गणेश की सूंड

Garh Ganesha Temple
The Garh Ganesh Temple was established by Sawai Jai Singh, the founder of Jaipur in the 18th century.

गढ़ गणेश मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में जयपुर की स्थापना करने वाले सवाई जयसिंह ने करवाई थी। यहां श्री गणेश का बाल रूप विराजित है, यही कारण है कि प्रतिमा बिना सूंड वाली है। मंदिर की स्थापना भी बहुत ही विशेष स्तर पर करवाई गई थी। इसके लिए गुजरात से पंडितों को बुलाया गया। जिन्होंने अश्वमेध यज्ञ करवाया। दुनिया के पहले सुव्यवस्थित शहर जयपुर की नींव रखने के दौरान ही प्रथम पूज्य गढ़ गणेश को सबसे पहले शहर के उत्तरी दिशा में विराजित किया गया। पंडितों और सवाई जयसिंह का मानना था कि गढ़ गणेश शहर की रक्षा करेंगे और उस पर नजर रखेंगे।

अनोखी है सीढ़ियों के निर्माण की कहानी

यह मंदिर करीब पांच सौ फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है।
This temple is built at a height of about five hundred feet.

गढ़ गणेश की अनोखी प्रतिमा और किलेनुमा मंदिर के साथ ही इससे कई रोचक बातें और भी जुड़ी हैं। यह मंदिर करीब पांच सौ फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है। यहां तक पहुंचने के लिए कुल 365 सीढ़ियों का निर्माण किया गया है। कहा जाता है कि ये सीढ़ियां एक साथ नहीं बनाई गईं, बल्कि हर रोज सिर्फ एक ही सीढ़ी का निर्माण किया जाता था। ऐसा एक साल तक होता रहा, जिसके बाद इन 365 सीढ़ियों का निर्माण पूरा हुआ। आज भी लोग इन्हीं सैकड़ों साल पूर्व बनी सीढ़ियों को चढ़कर मंदिर में दर्शन करने जाते हैं।

300 साल से विराजे गणेश, तस्वीर एक भी नहीं

यहां करीब 300 साल से फोटोग्राफी पर पूर्ण रूप से पाबंदी है।
Photography is completely banned here for almost 300 years.

आज के समय में जब लोग मंदिर में दर्शन करने के साथ ही भगवान की तस्वीरें खींचते हैं, वहीं स्थापना के करीब 300 साल बाद भी इस मंदिर के अंदर की एक भी तस्वीर नहीं खींची गई है। यहां करीब 300 साल से फोटोग्राफी पर पूर्ण रूप से पाबंदी है। ऐसे में गणेश के इस बाल रूप की एक भी तस्वीर नहीं है।

इसलिए भी खास है मंदिर

इस मंदिर का निर्माण इस प्रकार से करवाया गया है कि सिटी पैलेस से खड़े होकर इसके दर्शन किए जा सकते हैं।
This temple has been constructed in such a way that it can be seen standing from the City Palace.

इस मंदिर का निर्माण इस प्रकार से करवाया गया है कि सिटी पैलेस से खड़े होकर इसके दर्शन किए जा सकते हैं। कहा जाता है कि सवाई जयसिंह सुबह और शाम दोनों समय मंदिर के दर्शन करते थे। इतना ही नहीं गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण इस प्रकार करवाया गया है कि यहां से सिटी पैलेस, गोविंद देव जी मंदिर और अल्बर्ट हॉल एक ही दिशा में साफ नजर आते हैं। इस मंदिर की मान्यता इतनी ज्यादा है कि यहां हर समय भक्तों का तांता लगा रहता है। माना जाता है कि सात बुधवार तक जो भी अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए गढ़ गणेश के दर्शन को आता है, वो कभी खाली हाथ नहीं जाता है।  19 सितंबर को गणेश चतुर्थी है और इस दिन यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शन को आते हैं।