Famous Ganesh Temple: भगवान गणेश को हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है। उन्हें विद्या, बुद्धि और शुभ लाभ के देवता के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा भगवान गणेश को विघ्नहर्ता या विघ्ननाशक भी कहा जाता है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश भक्तों पर आ रही सभी बाधाएं और मुश्किलों को दूर करते हैं। भगवान गणेश को समर्पित गणेश चतुर्थी का पर्व भारत और अन्य स्थानों पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर भक्तजन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा और आराधना करते हैं।
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सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, मुंबई

सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई का सबसे प्रसिद्ध और धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां भगवान गणेश की पूजा हर दिन अनेक भक्तों द्वारा की जाती है। गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की सूंड दाएं तरफ मुड़ी होती है वे सिद्धिपीठ से जुड़ी होती है। सिद्धिविनायक मंदिर की महिमा अपरंपार है। यहां हर दीन भक्तजन अपनी मनोकामनाओं को पूरी करने के लिए देश के अलग-अलग कोनों से आते हैं।
लालबाग के राजा, मुंबई

मुंबई के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध लालबाग के राजा के दर्शन के लिए दूर-दूर से आए भारी संख्या में लोगों की भीड़ बढ़ती है। लालबाग के राजा को कोली समुदाय के संरक्षक संत गणपति के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की स्थापना 1934 में हुई थी। आमतौर पर लोग लालबाग के राजा को लालबागचा राजा कहते हैं। लालबागचा राजा का महोत्सव मुंबई का सबसे बड़ा और प्रमुख गणेशोत्सव मेला माना जाता है।
इस मंदिर में हर साल 20 फीट ऊंचे गणेश भगवान की मूर्ति गणेश चतुर्थी पर स्थापित की जाती है। लाल बाग के राजा की विसर्जन यात्रा पूरे महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। लाल बाग के राजा के दर्शन करने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है इसलिए यहां हर दिन भारी संख्या में भीड़ देखने को मिलती है। यह भीड़ गणेश उत्सव में दोगुना हो जाती है।
बल्लालेश्वर गणपति, रायगढ़

यह मंदिर मुंबई पुणे हाईवे पर पाली से टोयन में और गोवा राजमार्ग पर नागोथाने से पहले 11 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर का नाम बल्लालेश्वर, भगवान गणेश के भक्त के नाम बल्लाल पर रखा गया है। प्राचीन काल में भगवान गणेश का एक परमभक्त था जिसका नाम बल्लाल था। एक दिन उसने रायगढ़ जिले के पाली गांव में भगवान गणेश की विशेष पूजा का आयोजन किया। पूजा कई दिनों तक चली, पूजा में शामिल बच्चों को इतना अच्छा लगा कि वह कुछ दिनों तक अपने घर नहीं गए और वही पूजा में ही बैठे रहे।
इस कारण उनके माता-पिता ने बल्लाल को मारा और भगवान गणेश की मूर्ति के साथ उसे जंगल में फेंक दिया। इस गंभीर हालत में बल्लाल गणेश जी की मंत्रों का जाप करता रहा, तब गणेश जी प्रकट हुए और उन्होंने बल्लाल को दर्शन दिए। यह सब देखकर बल्लाल ने गणेश जी से आग्रह किया कि वह अब इसी स्थान पर निवेश करें तब से गणपति जी यहां निवास करते हैं। तब से रायगढ़ जिले के पाली गांव में बल्लालेश्वर गणपति मंदिर स्थापित हुआ। इस मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति एक पत्थर के सिंहासन पर स्थापित है। यहां भाद्रपद माह की शुक्ल प्रतिपदा से पंचमी तक गणेश उत्सव मनाया जाता है।
चिंतामणि मंदिर, पुणे

महाराष्ट्र में पुणे के पास अष्टविनायक के आठ पावन मंदिर है। जहां हर मंदिर में भगवान गणेश के अलग-अलग रूप विराजमान है। ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों में स्थापित गणेश जी के मूर्तियां स्वयंभू है, स्वयंभू मतलब यह आठों मूर्तियां प्राकृतिक है कोई भी मानव द्वारा नहीं बनाई गई है। चिंतामणि मंदिर पुणे जिले के हवेली क्षेत्र में स्थित है। चिंतामणि को अष्टविनायकों के पांचवें गणेश के रूप में माना जाता है। इस मंदिर की एक खास बात यह है कि मंदिर के आसपास ही तीन नदियों का संगम है। यह तीनों नदियां भीम, मुला और मुथा है।
इस मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां स्वयं भगवान ब्रह्मा ने अपने विचलित मन को वश में करने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी। जिसके 100 साल बाद पेशवाओं ने वहां एक भव्य और आकर्षक मंदिर और सभागृह बनवाया। यह पूरा मंदिर लकड़ी से बना हुआ है। इस मंदिर का नाम चिंतामणि मंदिर इसलिए रखा गया है क्योंकि भगवान ब्रह्मा ने अपने विचलित मन को शांत करने के लिए यहां तपस्या की थी। यहां दर्शन करने वाले भक्तों को मानसिक शांति मिलती है और चिंताएं दूर होती है।
मयूरेश्वर गणपति, मोरगांव

यह मंदिर पुणे से 80 किलोमीटर दूर मोरगांव में स्थित है। मोरगांव में स्थित गणेश मंदिर को मयूरेश्वर गणपति इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां गणेश जी ने मयूर पर सवार होकर असुरों का वध किया और देवताओं को कैद से मुक्त किया था। यह गणेश मंदिर अपने आदित्य स्थान और मयूर रूप में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान गणेश की मयूर पर विराजमान मूर्ति देखने को मिलती है। यहां का वातावरण धार्मिक और शांतिप्रद है। स्थानीय लोगों और आसपास के क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालु के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। गणेशोत्सव पर इस मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। आरती, भजन-कीर्तन और ढोल बाजे के साथ गणेश उत्सव मनाया जाता है।
