नशा है सेहत के लिए नुकसानदायक, बचने के लिए उठाएं कदम: International Anti Drug Day
International Anti Drug Day

International Anti Drug Day: नशा आज की बदलती जीवन-शैली में मकड़जाल की तरह समाज में व्याप्त है और छोटे-बड़े सभी को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। खासकर युवावर्ग में नशा करना तो जैसे स्टेटस सिम्बल बन गया है। नशीले पदार्थ दोस्तों के उकसाने, मजा लेने, एक बार ट्राई करने भर के लिए या फिर बतौर फैशन लिए जाते हैं। लेकिन धीरे-धीरे वे नशे की तरफ खींचें चले जाते हैं और नशीली दवाओं का सेवन आदत में शामिल हो जाता है। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब नशीले पदार्थ उन्हें लत के रूप में जकड़ लेते हैं। ये नशीले पदार्थ दिमाग की कोशिकाओं में डोपामीन हार्मोन के स्राव को बढ़ावा देता है। जो नशीले पदार्थो की इच्छा को और प्रबल करता है। जिसकी आपूर्ति न होने पर व्यक्ति शारीरिक-मानसिक तौर पर परेशान रहता है। ये नशीले पदार्थ उनका शरीर और जिंदगी ही बर्बाद नहीं करते, उनके परिवार और समाज को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

नशीले पदार्थ मूलतः दो तरह से लिए जाते हैं- आदतन नशीली दवाओं के दुरुपयोग (ड्रग एब्यूज) और नशे की तलब की पूर्ति या लत (ड्रग एडिक्शन)। आदत को हम छोड़ सकते हैं या दृढ़ इच्छाशक्ति से उस पर काबू पाया जा सकता है। नशीली दवाएं, सिगरेट, शराब, गुटखा जैसे नशीले पदार्थ अगर नही मिलें तो आदमी परेशान तो होगा, लेकिन ताला तोड़ कर या पैसे चुरा कर नहीं लाएगा। लेकिन जब नशीले पदार्थों का आदी व्यक्ति तलब लगने पर चाहकर भी खुद को रोक नहीं पाता, बैचेन और असामान्य व्यवहार करता है। चोरी, मां या बीबी के जेवर तक बेच कर भी ड्रग्स लेने पर अमादा हो जाता है। तलब शांत होने पर भले ही वो नॉर्मल दिखे, लेकिन अंदर से बेहद कमजोर और बीमार हो चुका होता है।

कौन लोग हैं ज्यादा शिकार

युवावर्ग नशीली दवाओं के दुरुपयोग का ज्यादा शिकार हो रहे हैं। लव-रिलेशनशिप की महत्ता समझ न पाने वाले और प्रेम में असफल हुए 16-21 साल के प्री-मैच्योर युवा वर्ग ज्यादातर ड्रग्स के मायाजाल में फंसते हैं। वो स्मोकिंग करना, शराब पीना शुरू कर देते हैं।

नशे के दुष्प्रभाव

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Effects of Drug

नशा व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है जिससे व्यक्ति अपने अंदर उत्साह और ऊर्जा का संचार होता महसूस करता है। ड्रग्स का सेवन उन्हें ताकतवर होने का एहसास कराता है। लेकिन ऐसा कुछ न होने के कारण वो डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। लंबे समय तक ड्रग्स लेने से उनके शरीर के विभिन्न ऑर्गन पर असर पड़ता है। भूख कम हो जाती है, वजन कम हो जाता है, सुबह के अक्सर उन्हें उल्टियां आने लगती हैं। वे नशे के कारण सारा दिन सुस्त पड़े रहते हैं जबकि रात को एक्टिव होते हैं। इंजेक्शन से ड्रग्स लेने पर एड्स, हेपेटाइटिस बी, लिवर खराब होने जैसी जानलेवा बीमारियां होने की भी संभावना रहती है।

जरूरत से ज्यादा नशीले पदार्थ का सेवन करने से व्यक्ति की श्वसन प्रणाली में समस्या आ सकती है, वो कोमा में जा सकता है यहां तक कि उसकी मृत्यु भी हो सकती है। एंटासिड दवाओं के ज्यादा सेवन से कुछ लोगों में एल्यूमीनियम टॉक्सीसिटी हो जाती है, शरीर में एल्यूमीनियम बढ़ जाता है, किडनी खराब हो जाती है। इसके अलावा मुंह, गले और फेफड़ों का कैंसर होने की संभावना रहती है। स्मोकिंग से खून में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे खून में हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। दिल का दौरा या ब्रेन हेमरेज जैसी स्थिति भी आ सकती है।

उपचार

नशे की लत छुड़ाने के लिए मरीज को एंटी-डिप्रेशन मेडिसिन दी जाती हैं जिससे व्यक्ति को काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग बहुत अहम रोल अदा करती है। अगर व्यक्ति की स्थिति मे सुधार नहीं आता तो उसे नशा मुक्ति केंद्र में भी भेजा जाता है। काउंसलर उन्हें नशे की लत छोड़ने का अटल निर्णय लेने और पसंदीदा एक्टिविटी में बिजी होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

शुरू में हो सकता है कि दिक्कत हो, लेकिन मन को मजबूत बना लेने पर जरूर सफल होंगे। एकदम से नशीले पदार्थ न छोड़ कर उसकी मात्रा कम करे। बहुत तलब हो, तो डॉक्टर उन्हें च्युइंग गम, सौंफ, इलायची जैसी चीजें लेने की सलाह देते हैं। जहां तक हो सके ये चीजें अपनी पहुंच से दूर रखें। तलब ज्यादा होने पर एकाध चीज ही खरीदें। डायरी बनाएं जिसमें डेली रूटीन में लिए जाने वाले नशीले पदार्थो के बारे में लिखें। अपने को पसंदीदा एक्टिविटीज में बिजी रखें ताकि मन न भटके। रोजाना कम से कम 20 मिनट मेडीटेशन और योगाभ्यास करने की सलाह दी जाती है।

काउंसलर पेरेंट्स, भाई-बहन या अन्य संबंधियों को ड्रग के मायाजाल मे फंसे व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा टाइम देने, उनकी दिनचर्या पर नजर रखने, उनकी फीलिंग्स और जरूरतों को समझने-पूरा करने, सपोर्ट देने के लिए भी कहते हैं। इससे उन्हें अपने करीबियों को होने वाली तकलीफ का अहसास होता है और ड्रग्स की लत से जल्द बाहर आ सकते हैं।

नशे की लत छुड़ाने में उपयोगी हैं कुछ घरेलू उपचार

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बार-बार होने वाली तलब को शांत करना चुनौतीपूर्ण है। हालांकि यह काफी मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं। असल में तलब 15-20 मिनट रहती है। व्यक्ति अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत तलब को नियंत्रित कर सकता है।

  • कटोरी में 100 ग्राम अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इसमें एक चम्मच काला नमक और एक नींबू का रस डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अदरक को तेज धूप में एक दिन सुखाएं। सूखने पर यह कड़क यानी कैंडी की तरह हो जाएगा। किसी डिब्बी में स्टोर कर लें। जब भी नशे की तलब उठे, अदरक की कैंडी का एक टुकड़ा लेकर चूसे। जब उसका नमकीन खट्टा स्वाद खत्म हो जाए तो अदरक चबा कर खा लें या फेंक दें।
  • एक गिलास पानी में 1-2 चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाएं। इसमें एक चम्मच नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में कम से कम 2 बार सेवन करें।
  • एक कप गर्म पानी में एक चम्मच कॉफी पाउडर मिलाएं। ब्लैक कॉफी तैयार है, इसे गुनगुना करके पिएं। कैफीन का सेवन सीमित मात्रा में करें, अन्यथा इसकी भी लत लग सकती है। सुबह और दोपहर को एक-एक कप कैफीन ले सकते हैं। शाम और रात को कैफीन का सेवन नहीं करना चाहिए, अन्यथा आपको नींद न आने की समस्या हो सकती है।
  • नशे की तलब को शांत करने के लिए 8-10 दाने अंगूर या 1-2 खजूर का सेवन दिन में 2-3 बार करें।
  • नशे की लत से परेशान लोगों को दिन में चार बार सेब के रस का सेवन करना चाहिए। नियमित इसके सेवन से व्यक्ति नशे की लत से छुटकारा पा सकता है।
  • रोजाना 3-4 नींबू का रस निकालकर खाली पेट पिएं।
  • एक गिलास पानी में एक टुकड़ा अदरक डालकर उबालकर पीने से नशे की तलब कम होती है।
  • बारीक अजवायन को तवे पर भून लें। मिक्सी में पीस कर पाउडर बना लें। एक गिलास पानी में थोड़ा-सा अजवायन पाउडर मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें।
  • ड्राई फ्रूट्स, फल या पसंदीदा स्नैक्स, चॉकलेट, कैंडीज, च्युइंग गम या पानी हमेशा अपने पास रखें। जब तलब हो, अपनी पसंदीदा चीजें खानी चाहिए, इससे सिगरेट की तलब को कम किया जा सकता है।
  • तलब उठने पर व्यक्ति को शारीरिक व्यायाम (सैर करना, पसंदीदा गेम्स खेलना, म्यूजिक-डांस करना, फिल्में, प्रेरणादायक शो देखना) अपने पसंदीदा काम (ड्राइंग, पेंटिंग, गार्डनिंग, कुकिंग) में व्यस्त करना चाहिए या पुरानी आदत छोड़कर नई आदत (मेडिटेशन, योगा) डालनी चाहिए।
  • ऐसे समय व्यक्ति को डीप ब्रीदिंग यानी गहरी और लंबी सांस लेनी चाहिए। इससे व्यक्ति का ध्यान अपनी श्वसन प्रक्रिया की ओर जाता है, शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है और वह रिलेक्स हो पाता है।

(डॉ मोहसिन वली, जनरल फिजीशियन, सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली)