बनाना है बच्चों को इंडिपेंडेंट तो जानें यह चार बातें: Independent Children
Independent Children

Independent Children: इन दिनों एक अजीब सा ट्रेंड मेट्रो सिटीज के न्यूक्लियर फैमिलीज में देखने को मिल रहा है बच्चों के घर के काम मे प्रजेंस न के बराबर होती जा रही है। ऐसे में सवाल यह है कि आने वाले समय में वह इंडिवपेंडेंट हो पाएंगे यह सोचने वाली बात है। हम सभी अपनी जिंदगी में बहुत आगे बढ़ गए हैं लेकिन कुछ चीजों को लेकर हमारी पुरानी सोच शायद बदलने को तैयार ही नहीं है। कहीं न कहीं हम घर के कामों को सैकंडरी समझते हैं, तभी तो इन कामों की कभी कोई अहमियत नहीं रही। लेकिन आप एक बार खुद सोचें कि यह तो जिंदगी की बेसिक जरुरत है। पहले लोग घर के कामों में अपनी बेटियों को इंवॉल्व रखते थे और उनके बेटे बैठे रहते थे। हालांकि वो भेदभाव बहुत गलत था। लेकिन अब एक अलग ही किस्म का माहौल घर में चल निकला है। अब घर का काम कोई भी नहीं करता।

Independent Children: वेस्टर्न कल्चर से सीखें

आप देखेंगे तो पाएंगे कि वेस्टन कंट्रीज में घर के काम किसी एक मैंबर तक सीमित नहीं है। वहां पूरा परिवार मिलकर घर का काम करता है। जबकि भारत में अगर आप अपर मिडिल क्लास हैं तो मां की मदद के लिए बाई मौजूद होती है। बच्चों का किसी भी तरह का कोई भी इंवॉल्वमेंट नजर नहीं आता। लेकिन स्थित तब बिगड़ती है जब उन्हें घर से बाहर रहना होता है और अपने छोटे से छोटे कामों के लिए भी वह परेशान हो जाते हैं।

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छोटी आदतों से करें शुरुआत

बहुत छोटी सी चीज आप बच्चों को शुरुआत करने को कह सकते हैं जैसे कि सुबह उठने के बाद अपने बिस्तर को सही करना। खाना खाने के बाद अपनी प्लेट खुद किचन में रखकर आना। अगर कोई एग्जाम वगैरह नहीं है तो अपने लिए जूस, चाय या कॉफी खुद बना लेना। अगर आप बच्चों से यह चीजें करने को कहेंगे तो उनको भी बोझ नहीं लगेगा और उनका इंवॉल्वमेंट बना रहेगा।

ये लाइफ स्किल है

अब तो लगभग हर बच्चा स्कूल के बाद हायर स्टडीज के लिए बाहर जाता है। अगर बच्चों को हॉस्टल मिलता है तो ठीक है लेकिन बहुत बार हॉस्टल में सीट ही नहीं मिलती है। ऐसे में रेंट पर रहना होता है। यह लाइफ स्किल है आनी ही चाहिए। कई बार पढ़ाई खत्म होने के बाद जॉब के सिलसिले में बाहर जाते हैं। यह अब बहुत ही आम चलन बन गया है। ज्यादा नहीं तो बच्चों को अपने कपड़े अलमारी में रखना, बेसिक खाना और सफाई करना तो आना ही चाहिए।

आखिर बात सेहत की भी है

बहुत बार बच्चों को या उनके पेरेंट्स को लगता है कि बच्चे बाहर से ऑडर्र करके मंगवा लेंगे, या फिर खाना बनाने के लिए बाई लगा लेंगे। लेकिन बहुत बार ऐसा भी होता है कि खाना बनाने वाली बाई छुट्‌टी कर लेती है। वहीं बाहर के खाने की बात करें तो कोई भी इंसान रोज बाहर का खाना नहीं खा सकता।