भारत की महत्वकांक्षाओं पर कितना खरा उतर रहा एआई: Artifical Intelligence in India
Artifical Intelligence in India

Artifical Intelligence in India: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी (एआई) ये शब्द चौतरफा सुनाई दे रहा है, न सिर्फ सुनाई दे रहा है बल्कि हर क्षेत्र में इस्तेमाल भी किया जा रहा है। फिर वो चाहे स्वास्थ्य क्षेत्र हो, शिक्षा हो, व्यवसाय हो या फिर मनोरंजन क्षेत्र। ये एआई तकनीक उन कार्यों को खुद करने में सक्षम है जिनको करने के लिए मानव शक्ति की आवश्यकता होती है। आज मनुष्य के सामने एक ऐसी मशीन खड़ी है जो उसके ही बौद्धिक स्तर पर सोच सकती है और कार्य कर सकती है। जहां एआई तकनीक अपने कुछ परिणामों से चौंका देती है वहीं इसके कुछ परिणाम भयानक भी हैं। वो दिन दूर नहीं जब घरेलू कार्यों में भी एआई तकनीक का इस्तेमाल आम हो जाएगा। एआई क्या है, कैसे इसका जन्म हुआ, कब जन्म हुआ, कैसे ये तकनीक कार्य करती है और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं? इन सभी सवालों के जवाब इस लेख में विस्तार से जानेंगे।

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क्या है एआई

Artifical Intelligence in India
Artifical Intelligence

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हिंदी में मतलब है कृत्रिम बुद्धिमत्ता। यानी इंसानों द्वारा बनाई बुद्धि। आसान भाषा में कहें तो एआई कंप्यूटर साइंस की ऐसी शाखा है जो ऐसी कंप्यूटर कंट्रोल मशीन को विकसित कर रही है जो मनुष्य की तरह कार्य कर सकती है। इसी तकनीक को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है। लेकिन किसी मशीन के इस तरह काम करने के लिए उसमें इंटेलिजेंस विकसित किए जाते हैं। जबकि मनुष्य में सोचने, समझने या किसी गतिविधि को करने के लिए विचार उनके अनुभव से विकसित होते हैं। एआई को मशीन लर्निंग भी कहा जाता है। 

कौन हैं एआई के जन्मदाता

जब इंसानों ने अपनी तरह ही दिखने वाली मशीन विकसित की तो उसने अपनी ही तरह सोचने वाले दिमाग को भी जन्म देने का प्रयास शुरू किया। इस प्रयास में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉन मैकार्थी ने सन 1956 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द को गढ़ा। इसलिए जॉन मैकार्थी को फादर ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है। ऐसे में आप जानेंगे कि एआई आज से ही चर्चा में नहीं है बल्कि दशकों से एआई पर विभिन्न देशों और स्तर  पर इसकी चर्चा होती रही है।

एआई के कुछ उदाहरण

ऐसा नहीं है कि आम लोगों तक एआई की पहुंच नहीं है। आपको शायद पता न हो लेकिन रोजमर्रा की कुछ गतिविधियों में हर व्यक्ति एआई का इस्तेमाल कर रहा है। जहां पहले आप अपने फोन में टाइप करके चीजों को सर्च करते थे वहीं अब आप सिर्फ बोलकर ऐसा कर रहे हैं तो आप एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। सीरी और एलेक्सा एआई के सफल उदाहरण हैं, जिसमें आप सिर्फ बोलते हैं और आपके इनपुट (ऐप खोलना, मैसेज टाइप करना इत्यादि) के हिसाब से ये दोनों सिस्टम आउटपुट देते हैं। एआई के अन्य कई और उदाहरण भी हैं, जैसे- गूगल असिस्टेंट और गूगल मैप।

विभिन्न क्षेत्रों में एआई

स्वास्थ्य: दुनियाभर के अस्पतालों और लैब में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग शुरू हो गया है, हालांकि, अभी इसे डायग्नोसिस और स्क्रीनिंग टेस्ट तक ही सीमित रखा गया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में एआई उपचार और निदान में तेजी लाएगा। आज के समय में भी कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनके लक्षण जल्दी नजर नहीं आते ऐसी स्थिति में एआई मदद करेगा। इसके अलावा ये तकनीक किसी भी बीमारी की सटीक जानकारी और संकेत देने में सक्षम है जैसे कि रक्तचाप के पैटर्न में बदलाव, सांस लेने का अनियमित पैटर्न, एसपीओ 2 स्तर, वजन में तेजी से कमी, हृदय, डायबिटीज, कोलेस्ट्रोल इत्यादि में कैंसर से संबंधित बीमारी के संकेतों का पता प्रथम या जीरो चरण में ही लागाया जा सकता है। जिस तेजी से एआई को लेकर प्रयोग और शोध कार्य हो रहे हैं उससे यह अनुमान लगा सकते हैं कि आगामी समय में इसकी पहुंच आम आदमी तक संभव हो जाएगी। ये बहुत ही आसानी से उपलब्ध होने वाले किफायती और सटीक जानकारी देने वाले टेस्ट होंगे।

सौन्दर्य: सौंदर्य के क्षेत्र में भी एआई का कार्य प्रशंसनीय है। एआई संचालित स्किन केयर ऐप के जरिये आज महिलाएं खुद अपनी त्वचा और बालों संबंधी समस्याओं का पता लगाकर उसका हल कर सकती हैं। साथ ही इस तरह के ऐप्स स्किन केयर रूटीन व प्रोडक्ट्स की भी सलाह देते हैं। इन एआई संचालित स्किन केयर ऐप को फोन में डाउनलोड करके इस्तेमाल किया जा सकता है। 

शिक्षा: अब लोग सिर्फ एआई को नहीं पढ़ रहे बल्कि एआई से पढ़ाई कर रहे हैं और सीख भी रहे हैं। एआई की मदद से बच्चे आत्मनिर्भर होकर चीजों को सीख रहे हैं, पढ़ रहे हैं। इस तकनीक से पाठ्यक्रम तैयार करने, प्रशासनिक कार्यों में तेजी लाने में और छात्रों की संलग्नता में सुधार लाने में मदद मिलेगी। भविष्य में उम्मीद यहां तक है कि स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर भी एआई होंगे। यानी की पढ़ने वाले छात्र मनुष्य और पढ़ाने वाले टीचर तकनीक निर्मित होंगे।

व्यवसाय: एआई व्यवसाय के क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हुआ है। ये तकनीक विकास के नये अवसर पैदा कर रही है। इसका फायदा बढ़ी हुई प्रोडक्टिविटी के रूप में सामने आएगा। साथ ही ये लोगों की बढ़ाने का भी जरिया बनेगी। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी क्रांति लेकर आएगा। इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा हो रहा है क्योंकि जिस काम को करने के लिए सैंकड़ों मानव हाथों की जरूरत होती थी वो अब सिर्फ कंप्यूटर से हो रहा है।

सिर्फ इन क्षेत्रों में ही नहीं एआई प्रशासनिक कार्य, कानूनी काम-काज, कंस्ट्रक्शन, संगीत और कला के क्षेत्र में भी मदद करेगा। लेकिन हर तकनीक के जहां कुछ लाभ हैं तो वहीं कुछ नुकसान भी हैं। विशेषज्ञों की माने तो एआई कुछ समय में मानव सोच से भी ज्यादा आगे बढ़ जाएगा। कहा ये तक जा रहा है कि एआई के चलते भविष्य में करोड़ों नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है।

एआई के नुकसान

  • इस तकनीक का सबसे बड़ा नुकसान मानव श्रम पर पड़ेगा क्योंकि जिस काम को मनुष्य के बड़े-बड़े समूह कर रहे हैं उसको एआई की मदद से कुछ ही समय में आसानी से और बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। 
  • समय के साथ एआई की मदद से मशीनें इंसान की जगह काम करती हुई नजर आएंगी। इसके अलावा मशीनें खुद से निर्णय तक ले सकेंगी। ऐसे में मशीनों पर नियंत्रण करना जरूरी हो जाएगा। वरना मनुष्य की तकनीक ही मनुष्य के लिए खतरा पैदा कर देगी। उदाहरण के तौर पर अगर आपने हिंदी सिनेमा की रोबोट फिल्म देखी है, जिसमें कंप्यूटर साइंस के वैज्ञानिक रजनीकांत ने एक रोबोट चिट्टी को बनाया जिसको उन्होंने खुद जैसी शक्ल दी और समय के साथ उसमें भावनाओं का निर्माण भी किया। लेकिन एक प्रतिद्वंदी वैज्ञानिक द्वारा रोबोट में की गई छेड़छाड़ के बाद वो रोबोट मानव के लिए ही बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। ठीक इसी तरह भविष्य में भी इस तरह का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
  • एआई संचालित मशीनें, जैसे की रोबोट इसकी लागत अधिक होती है। ऐसे में उनके रखरखाव के लिए अधिक वित्तीय सहायता की जरूरत पड़ेगी।

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...