Summary:बेलपत्र वृक्ष की उत्पत्ति: जानें पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती के तप से मंदराचल पर्वत पर बेलपत्र वृक्ष की उत्पत्ति हुई। इसे भगवान शिव का प्रियतम पत्ता माना जाता है।
Bel Patra Tree Worship: भगवान शंकर की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व होता है। बेलपत्र के बिना भोलेनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है। भगवान शंकर के साथ-साथ बेलपत्र, देवी आदि शक्ति को भी काफी प्रिय है। बेलपत्र वृक्ष को संपन्नता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसका आयुर्वेदिक महत्व भी है। बेलपत्र की तीन पत्तियां त्रिफलक के आकार में होती हैं, जो भगवान शिव के तीन नेत्रों, त्रिशूल या त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का प्रतीक होती हैं। लेकिन क्या आप इस वृक्ष की उत्पत्ति की पौराणिक कथा और इसके पूजन की विधि जानते हैं? आइए जानें इसके बारे में।
कैसे हुई है बेलपत्र वृक्ष की उत्पत्ति

बेलपत्र वृक्ष का आध्यात्मिक महत्व होने के साथ-साथ इसका प्राकृतिक और वैज्ञानिक महत्व भी है। इसी से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार जब माता पार्वती मंदराचल पर्वत पर तपस्या कर रही थीं, तब उनके मस्तिस्क से पसीने की बूंदें मंदराचल पर्वत पर गिरीं, जिनसे बेलपत्र वृक्ष की उत्त्पति हुई। माता पार्वती ने इसे ‘बिल्व वृक्ष’ नाम दिया और कहा कि इसके पत्तों से जो भी भक्त भोलेनाथ की पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। इसी वजह से माता पार्वती इस वृक्ष पर कई स्वरूपों में रहती हैं। बेलपत्र वृक्ष की जड़ों में गिरिजा और राधा रानी, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं।
ऐसी भी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष का पान भगवान शंकर ने विश्वकल्याण के लिए किया था, लेकिन इस विष के प्रभाव से भगवान शंकर को काफी शारीरिक जलन हो रही थी, उनकी जलन को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने मिलकर उन्हें बेलपत्र और जल अर्पित किया था।
क्या है बेलपत्र वृक्ष की पूजन विधि

बेलपत्र वृक्ष की पूजा करने के लिए स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद बेलपत्र वृक्ष को प्रणाम करें और इसकी जड़ में जल और कच्चा दूध डालें, इसके तने पर चंदन व कुमकुम का तिलक लगाएं और कलावा भी बांधें। इस दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप अवश्य करें। फिर वृक्ष की परिक्रमा करें और सात्विक भोग लगाएं। अंत में दीपक जलाकर आरती करें।
क्या है बेलपत्र वृक्ष का औषधीय महत्व

बेलपत्र के वृक्ष में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसके पेड़ की छाल, जड़, फल और पत्ते से विभिन्न रोगों का उपचार किया जाता है। मसूड़ों से खून आना, अस्थमा की शिकायत, पीलिया की समस्या, पेचिश, एनीमिया आदि रोगों में बेलपत्र का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसके फल में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी1, विटामिन बी6, विटामिन बी12, कैल्शियम, पोटैशियम, राइबोलेविन और फाइबर मौजूद होता है। इसमें एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण भी पाए जाते हैं।
बेलपत्र के पत्तों का रस डायबिटीज के रोगियों के लिए भी काफी लाभकारी होता है, क्योंकि यह ब्लड ग्लूकोज लेबल को कंट्रोल करता है। इसके अलावा, बेलपत्र का इस्तेमाल त्वचा संबंधी रोगों, सांस संबंधी समस्याओं और शारीरिक सूजन को कम करने के लिए भी किया जाता है। गर्मी के मौसम में इसके फल का शर्बत पीने से शरीर को ठंडक मिलती है और डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होती है।
