Girl Awareness: आजकल लड़कियां स्वावलंबी हो गई हैं, अधिकतर फैसले वे खुद ले रही हैं। इसके बावजूद कुछ मामलों में वे कमजोर पड़ जाती हैं, खासकर प्यार के मामले में। नतीजतन, वे धोखा खाती हैं, घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं या फिर उनकी निष्ठुरता से हत्या कर दी जाती है।
यदि आप भी ऐसी ही किसी दुविधा में हैं तो साहस और बुद्धि से काम लीजिये।
किस्से-कहानी, कविता और फिल्मों में अकसर महिलाओं की छवि बेहद कोमल और भावुक दिखाई जाती रही है। और वास्तविकता भी इससे कुछ अलग नहीं है। इसी कारणवश हम अपनी बेटियों को भी यही सीख देने का प्रयास करते रहते हैं कि ‘धीरे बोलो, ‘ऐसे चलो, ‘समय पर घर आओ’ जबकि बेटों के लिए ऐसा कोई आग्रह नहीं रहता है। ये तो अच्छी आदतें और संस्कार हैं, जो दोनों पर लागू होने चाहिए। अब इन सबके घातक परिणाम यह हो रहे हैं कि वे आधुनिकता का सही अर्थ नहीं समझ पा रही हैं। उनके लिए फैशनेबल कपड़े पहनना, हेयरकट कराना और नौकरी करना ही आधुनिकता है। आधुनिकता तो ये भी सिखाती है कि किसी भी संबंध से बड़ा आपका स्वाभिमान है।
श्रद्धा मर्डर केस

आइए आपको एक घटना से रू-ब-रू कराते हैं, जिससे आप यह अंदाजा लगा पाएंगे कि आर्थिक रूप से निर्भर होने के बाद भी लड़कियां असुरक्षित क्यों हैं? तो बात कुछ साल पहले की है। एक खूबसूरत, पढ़ी-लिखी और आधुनिक विचारधारा वाली लड़की को एक गैर धर्म के लड़के से प्रेम हो जाता है। इस लड़की की मां नहीं है, लेकिन पिता हैं जो उसे समझाते हैं कि ये गलत है। यह संबंध स्वीकार्य नहीं होगा! लड़की को लगता है कि उसके पिता एक संकीर्ण विचारधारा के व्यक्ति हैं इसलिए वो उसके प्रेम को नहीं समझ पाएंगे। वो लड़के के साथ एक घर में रहने का फैसला करती है। लड़का पढ़ा-लिखा है, पेशे से फोटोग्राफर और शेफ है। अब दोनों ही ये ठान लेते हैं कि कुछ साल अपने करियर पर ध्यान देने के बाद वे शादी कर लेंगे, लेकिन कहानी आगे कुछ और ही रंग लाती है। एक घर में साथ रहते-रहते लड़की को लगने लगता है कि लड़के के व्यवहार में कुछ बदलाव आ रहा है। लड़का, लड़की की छोटी-छोटी गलतियों पर उसे पीटता है। लड़की को पछतावा है किन्तु उसके पास लौटकर जाने का कोई रास्ता नहीं है। वो जानती है कि उसके पिता उसे स्वीकार नहीं करेंगे। समाज उसके पिता को जीने नहीं देगा। साथ ही वो ये भी विचार करती है कि संभवत: शादी के बाद लड़का बदल जाए। नतीजतन, लड़की अपने प्रेमी पर शादी का दबाव बनाने लगती है, जिससे वो परेशान हो जाता है। फिर एक दिन लड़का उस लड़की से छुटकारा पाने के लिए योजना बनाता है। मई 2022 की एक शाम वो उस लड़की का गला घोंटकर हत्या कर देता है। चूंकि, वो एक शेफ था इसलिए उसने बड़ी सफाई से लड़की के 35 टुकड़े किए और ऐसी जगह फेंक दिया जहां से पुलिस आज तक केवल सुराग ही ढूंढ रही है।
आधुनिकता का अर्थ समझें
आप इस घटना से वाकिफ होंगे क्योंकि यह बेहद पेचीदा और क्रूर हत्याकांड इन दिनों खबरों में बना हुआ है। इसके बाद से बेटियों के मां-बाप काफी डरे हुए हैं। लोग ये जानना चाहते हैं कि एक नये ख्याल और अंदाज वाली लड़की केवल इसलिए घरेलू हिंसा का शिकार होती रही क्योंकि वो उस लड़के के प्यार में थी। आखिर ऐसी कौन-सी मजबूरी थी उसकी? और अगर, लड़की अपने पिता से आपबीती कहती! तो क्या वो उसे नहीं समझते। बहरहाल, एक लड़की अपनी शिक्षा या नौकरी के लिए जब शहर छोड़ती है तो अपने आप में ही यह एक बहुत बड़ा कदम होता है। खासतौर से छोटे शहर या कस्बे की लड़कियों के लिए। उस शहर में जाकर वो उसके तौर-तरीके सीखती है, जहां उसका बौद्धिक विकास होता है। इस तरह वो नये जमाने में ढलने की कोशिश करती है। अब सवाल ये है कि जब आप खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इतने साहसिक कदम उठाती हैं तो एक गलत संबंध को तोड़ने की हिम्मत आप क्यों नहीं कर पाती हैं। क्या आपका बौद्धिक विकास केवल बड़ी-बड़ी डिबेट्स तक ही सीमित रह जाता है। आखिर लड़कियां प्यार में क्यों इतनी मजबूर हो जाती हैं कि वो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के बावजूद अकेले रहने से डरती हैं। यदि किसी संबंध में आप खुश नहीं हैं या सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं तो इससे बेहतर होगा कि आप अकेले रहें। यदि आप जीवित रहेंगी तो अपने भविष्य के बारे में सोच पाएंगी। लड़कियों को यह समझने की जरूरत है कि प्यार मजबूत बनाता है मजबूरियां पैदा नहीं करता।
संबंध से बड़ा है स्वाभिमान

जब बेटियां बड़ी होती हैं तो माता-पिता को उसे सामाजिक तौर-तरीके सिखाने के अलावा ये भी सिखाना चाहिए कि किसी भी संबंध से बड़ा आपका स्वाभिमान है। जब कभी आपके स्वाभिमान पर कोई चोट पहुंचाएं तो आप वहीं सतर्क हो जाएं। यदि आप खुद को अमुक जगह या व्यक्ति के साथ सुरक्षित नहीं पाती हैं तो वहां से निकलने का प्रयास करें। बनिस्बत इसके कि आप उन परिस्थितियों से समझौता कर लें। आप इसके लिए पुलिस या महिला सेल में बात कर सकती हैं या फिर अपनी किसी दोस्त को आपबीती बता सकती हैं। यदि आप अपने परिवार से अलग रहती हैं या फिर उनसे किसी कारणवश संपर्क नहीं हो पा रहा है या वो आपसे किसी बात पर नाराज है तो आप सोशल मीडिया की मदद ले सकती हैं। और यदि, ये सब संभव न हो तो अंतिम समय में अपनी बुद्धि और साहस का प्रयोग कीजिए।
सोशल अवेयरनेस बनाए रखें
संबंधों में अहम के होने से टकराव होता है, लेकिन ‘पर्सनल स्पेस या निजता और स्वाभिमान की जगह हमेशा बनी रहनी चाहिए। आप किसी व्यक्ति से कितना भी प्रेम करती हों, तब भी खुद को समाज से दूर न कीजिए। सोशल अवेयरनेस बनाकर रखिए। दोस्तों से बात करते रहिए। किसी भी संबंध में बंधने का अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि आप अपने आसपास की दुनिया को भूल जाएं। आप अपने दोस्तों से मिलिए और उनके साथ बात करें। यदि आप अपने पार्टनर में किसी तरह का कोई बदलाव देखते हैं जो थोड़ा विचित्र है तो उसके बारे में अपने परिचित लोगों से बात करें, जिनसे भी आप सहज महसूस करती हैं।
काउंसलर के पास जाएं

यदि यह समझती हैं कि आप दोनों को किसी काउंसलर की जरूरत है तो वहां अवश्य जाएं। बातचीत से चीजें सुलझती हैं। आप अपने पार्टनर पर टेस्ट करके भी देख सकती हैं जैसे कि आप वो चीजें करें जिस पर उसे गुस्सा आता है। ध्यान रहे कि यह टेस्ट आपको अपने पार्टनर पर तब करना है, जब तक आप उसे पूरी तरह से नहीं जानती हैं। उसका आपकी इस हरकत पर नाराज होना लाजमी है लेकिन वो इस बात पर हाथ उठाए तो समझ जाएं कि उसे एंगर मैनेजमेंट की जरूरत है।
माता-पिता उदार बनें
एक प्रयास माता-पिता को भी करने की आवश्यकता है। अपनी बेटी को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के साथ स्वाभिमानी और व्यवहारिक बनाएं। सेल्फ डिफेंस के साथ डिजिटल डिफेंस भी सिखाएं और सिखाएं कि आखिरी समय में केवल उसका साहस और बुद्धि ही काम आएगी। जब भी वो किसी परेशानी में फंसे तो भावुकता को भूलकर अपने दिमाग का इस्तेमाल करे। माता-पिता को अपने बेटियों के प्रति उदार बनना होगा। यदि उनसे कोई गलती हो भी जाती है तो पूरी तरह उनसे नाता न तोड़ें। हमेशा उसके दोस्तों से संपर्क बनाए रखें, ताकि आपको अपनी बेटी के विषय में पर्याप्त जानकारी मिलती रहे।