‘लड़की डॉक्टर बन जाए या इंजीनियर, किचन का काम तो आना ही चाहिए’ ये आपने ना जाने कितनी ही बार सुना होगा लेकिन अब समय के बदलते कैलेंडर के साथ ये बात पूरी तरह से सही बिलकुल नहीं है। बल्कि इसका आकार बड़ा होकर लड़कों या पुरुषों तक भी पहुंच गया है। अब पुरुषों को भी खाना बनाने की कला का कम से कम बेसिक स्तर तो पता होना ही चाहिए। ताकि खराब समय में कम से कम खुद का पेट भरने के लिए किसी पर निर्भर न रहना पड़े। याद ये भी रखना है कि ये सब सोचते हुए ‘लड़कों को किचन में जाने की क्या जरूरत’ वाले विचार से अलग होना पड़ेगा। तब कहीं जाकर आप आपने बेटे और बेटी दोनों को ही जिंदगी की सिर्फ जरूरत नहीं बल्कि जिंदगी के इस अहम हिस्से के लिए तैयार कर पाएंगी। आपको अपने सभी बच्चों को किचन से जोड़ने की शुरुआत क्यों करनी चाहिए और ये क्यों है जरूरी, जान लीजिए, इस रिपोर्ट में-

लाइफ स्किल है कुकिंग–
कुकिंग को चाहे कितने आलस से जोड़ कर देखा जाए लेकिन इसके बिना जिंदगी में जान ही नहीं रहेगी। खाना बनेगा ही नहीं तो खाएंगे कैसे? भविष्य किसी ने नहीं देखा है और कोई नहीं जनता है कि समय कब आपको बुरा समय दिखा दे। वो बुरा समय जब आपको कोई खाना बनाकर खिलाने वाला ही न हो। अब पिछले साल लॉकडाउन का समय ही ले लीजिए, ना जाने कितने लोग परिवार और दूसरी सुविधाओं से दूर फंस गए थे। कईयों के पास तो खाने को ही नहीं था। लेकिन कई ऐसे भी थे जो खाना होते हुए भी बना नहीं पा रहे थे। ठीक ऐसे ही समय पर कुकिंग एक लाइफ स्किल बनकर सामने आती है।
पेट भरने में भी लिंग भेद?-
हमारी जिंदगी में तीन चीजें ही जरूरी होती हैं, रोटी, कपड़ा और मकान। कपड़ा और मकान तो पुरुषों की जिम्मेदारी मानी जाती रही है, जो अब महिलाओं की जिम्मेदारी भी बन चुकी है। मतलब घर के खर्च अब पुरुष और महिलाएं दोनों ही मिलकर उठा लेते हैं। लेकिन किचन यानि कुकिंग की बारी आती है तो मामला महिलाओं के सिर रख दिया जाता है। जबकि ये पूरी तरह से गलत तरीका है। खाते सब बराबर से हैं लेकिन बनाने के मामले में सिर्फ महिलाओं को ही क्यों जिम्मेदर मान लिया जाए। इसके लिए तो हर शख्स को जिम्मेदारी लेनी होगी, जो खाना खाता है। इसमें लड़का-लड़की वाला लिंग भेद अब खत्म कर देना चाहिए।
महिलाओं को पहले समझना होगा–
थोड़ा ध्यान देंगी तो आपको समझ आएगा कि पुरुषों की जगह किचन में नहीं है, ये कहने वाली ज्यादातर महिलाएं ही होती हैं। खुद पुरुषों के मुंह से ये बातें कम ही सुनने को मिलती हैं। इसलिए जरूरी है कि पहले महिलाएं ये बात समझें कि किचन सिर्फ महिलाओं के लिए बिलकुल नहीं है। बल्कि हर उस इंसान के लिए है जिसको जीने के लिए खाने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए खुद से सवाल पूछिए कि पुरुषों को आखिर क्यों किचन से दूर रहना चाहिए? जवाब में शायद आपको ये भी सुनने को मिले कि ‘अच्छा नहीं लगता है’। तो ये अच्छा नहीं लगता है वाला फलसफा समाज का बनाया हुआ है, जिसका कोई आधार नहीं है।
पहले काम बंटे थे–
पहले जरूर महिलाओं और पुरुषों के कामों को बांटा गया था लेकिन इसका आधार भी महिलाओं का शोषण ही था। दरअसल पहले पुरुष ही सिर्फ पढ़ाई करते थे और बाहर का काम करते थे। इसके बाद घर संभालने की जिम्मेदारी अपने आप ही महिलाओं पर आ जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है, जब पुरुष और महिलाएं बराबरी से पढ़ रहे हैं, बराबरी से नौकरी कर रहे हैं और पैसे कमा रहे हैं तो फिर किचन की जिम्मेदारी भी बराबरी से दोनों को उठा लेनी चाहिए। जैसे अब वो मिलकर घर बना रहे हैं, वैसे ही किचन के कामों को भी मिल बांटकर कर लेने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
जब कोई समझाए–
जब आप बेटी की तरह अपने बेटे को भी किचन के काम सिखाने की कोशिश करेंगी तो आपको सामाजिक तौर पर कई लोग आपकी बुराई करने वाले मिल जाएंगे। जो कहेंगे कि अरे आप तो ज्यादा सोच रही हैं या फिर लड़के को किचन के काम सिखाने की क्या जरूरत है? ऐसे बातों का जवाब भी आपको तैयार रखना होगा। आप उनसे कहिए कि मेरे लिए दोनों ही मेरे बच्चे हैं और मैं दोनों को ही सर्वाइवल लाइफ स्किल जरूर सिखाउंगी। वैसे भी ये जरूरी तो नहीं कि बेटे के साथ कोई काम करने वाली हमेशा रहे ही। मैं ऐसे समय के लिए बेटे और बेटी दोनों को ही तैयार कर रही हूं और इसमें कुछ गलत नहीं है।
बेटा–बेटी दोनों पढ़ने जाएंगे–
जरूरी तो नहीं कि आपके बच्चे आपके शहर में ही पढ़ें। आप भी चाहेंगी कि वो दोनों ही बड़े संस्थानों में पढ़ने जाएं। तब उनके खाने को लेकर आपने कितने भी इंतजाम किए हों कभी न कभी आपकी कमी उन्हें खलेगी ही। ऐसा मौका आएगा ही जब उसे अपने खाने का इंतजाम करना पड़ेगा। इस वक्त उसे खुद ही कुकिंग स्किल दिखाने होंगे ताकि वो सर्वाइव कर सके।
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