भगवान शनि के भक्तों की संख्या अनगिनत है, वजह शनि से कोई बच नहीं सकता है। पूरे जीवन में एक बार तो शनि की साढ़े साती परेशान कर ही लेती है। माना ये भी जाता है कि सिर्फ भगवान हनुमान ही थे, जिनसे शनि भगवान हार गए थे। लेकिन शनि भगवान को हराने वाला ईश्वर का एक रूप और है। नाम है पिप्पलाद। पिप्पलाद भगवान शिव जी के रूप हैं और इनकी वजह से ही शनि देव अपाहिज भी हो गए थे। पिप्पलाद भगवान की पूजा करने वाले शनिदेव के प्रकोप से बचने की आशा कर सकते हैं। भगवान शिव के रूप पिप्पलाद भगवान के बारे में जानने की इच्छा है तो चलिए जानते हैं-
शिव जी का अवतार–
महर्षि दधीचि की हड्डियां शिव जी की शक्तियों से भरपूर थीं। इसलिए भगवान इंद्र ने उनकी हड्डियों का इस्तेमाल वृत्तासुर का वध करने के लिए किया था। लेकिन उनकी पत्नी को ये बात अच्छी नहीं लगी। ये सब सुनकर उन्होंने सती होने की सोची तो भगवान का संदेश आया कि तुम्हारे गर्भ में भगवान शिव का अवतार है और तुम्हें उनकी रक्षा करनी ही होगी। पत्नी ने बाद में एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे का जन्म पीपल के पेड़ के नीचे हुआ तो ब्रह्मा जी ने उनको नाम दिया पिप्पलाद।
ऋषि कौशिक से जुड़ी एक और कथा–
पुराणों में एक और कथा प्रचलित है, त्रेतायुग की इस कथा में अकाल का जिक्र है। इस अकाल से बचने के लिए ऋषि कौशिक सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहते थे। लेकिन भरणपोषण ठीक से नहीं कर पाने के चलते उन्होंने एक बेटे को रास्ते में ही छोड़ दिया। इस बच्चे ने भूख लगने पर पीपल के पेड़ के पत्ते खाए और तालाब का पानी पीकर खुद को संभाला। इसी दौरान नारद की नजर उन पर पड़ी तो उन्होंने उसे भगवान विष्णु की पूजा करने को कहा। इस बच्चे की पूजा से भगवान खूब प्रसन्न हुए। इसी बच्चे को ऋषि नारद ने पिप्पलाद नाम दिया था।
दुखों का कारण–
दोनों ही कथाओं में आगे की कहानी कुछ इस तरह है कि महर्षि पिप्पलाद ने जब नारद से अपने दुखों का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि ये सब भगवान शनि के दिए हुए कष्ट थे। सभी देवता भी उससे घबराते हैं। ये सुनते ही महर्षि पिप्पलाद ने गुस्से से आसमान की तरफ देखा। महर्षि पिप्पलाद का क्रोध इतना तेज था कि भगवान शनि सीधे जमीन पर आ गिरे और उनका एक पैर भी टूट गया।
विधि का विधान था–
शनि भगवान को ज्यादा नुकसान होता इससे पहले भगवान ब्रह्मा वहां आए और पिप्पलाद को बताया कि शनि ने जो कुछ भी किया वो तो विधि का विधान था। इसमें शनि की गलती नहीं है और इसके बाद ही उन्होंने पिप्पलाद को आशीर्वाद दिया कि जो भी शनिवार को पिप्पलाद का ध्यान करेगा, उसे शनि से कष्टों से छुटकारा मिलेगा।
पीपल की पूजा–
आपने अक्सर देखा होगा कि शनि मंदिर में पीपल का पेड़ भी होता है और इसकी पूजा भी की जाती है। ऐसा पिप्पलाद की आराधना की वजह से ही होता है।
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