शनि देव बहुत ही धीमी गति से एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं, जिसके कारण शनि की ढैया या साढ़ेसाती लगती है।शनि की वक्र दृष्टि होने या फिर कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव के कारण जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित किया जाता है। इस दिन शनिदेव के उपाय करने और पूजा करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। 

 

काली गाय की सेवा

प्रत्येक शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करनी चाहिए। खाना बनाते समय सबसे पहली रोटी गाय को खिलाने के लिए निकालें। गाय के माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं, सींग में मौली बांधे और फिर मोतीचूर के लड्डू खिलाकर उसके चरण स्पर्श करें। इससे आपको शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

 

पीपल के पेड़ की पूजा 

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पीपल के वृक्ष को सबसे फलदायी माना जाता है। कहते हैं कि पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है। शनि देव के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से शनिदोष खत्म होता है।

 

भुने हुए काले चने 

शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। प्रत्येक शनिवार को बंदरों को भुने हुए काले चने खिलाएं। हर शनिवार के दिन मीठी रोटी बनाकर उसपर तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलाएं।

 

शमी के वृक्ष की पूजा

माना जाता है कि शनि देव को शमी का वृक्ष प्रिय है शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए शमी के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। शनिवार के दिन शाम को शमी के पेड़ के पास दीपक जलाने से लाभ मिलता है।

 

हनुमान जी की पूजा 

माना जाता है कि शनि देव और हनुमान जी परममित्र हैं। शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं, ऐसा करने से शनि दोष से छुटकारा मिलता है।

 

शिव भगवान की पूजा

भगवान शिव की आराधना करें। कहते हैं शनि ग्रह से शुभ फल पाने के लिए शिव की उपासना एक सिद्ध उपाय है। नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से शनि के प्रकोप का भय जाता रहता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। प्रतिदिन पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

 

रुद्राक्ष माला

यदि किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती चल रही हो तो उसे 1.14 मुखी रुद्राक्ष माला धारण करनी चाहिए। इससे शनिदेव के प्रकोप से राहत मिलती है। इसके अलावा प्रतिदिन शनि देव के चरणों के दर्शन करने से भी शनि प्रकोप से मुक्ति मिलती है।

 

गुलाब जामुन का सेवन 

अगर कोई व्यक्ति शनि ग्रह के दोष से परेशान है तो उसे शनिवार के दिन गुलाब जामुन की मिठाई का सेवन जरूर करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन गुलाब जामुन का सेवन करने से शनि देवता शांत होते हैं।

 

सरसों के तेल से बनी चीजों का सेवन  

शनिवार के दिन शनि देवता को सरसों का तेल चढ़ाया जाता है इसलिए ऐसा माना जाता है कि यदि शनिवार के दिन सरसों के तेल में बनी हुई चीजों का सेवन किया जाय तो इससे भी शनि देवता शांत होते हैं और व्यक्ति को लाभ पहुंचाते हैं।

 

उड़द दाल की खिचड़ी का सेवन 

वैसे भी लोग शनिवार के दिन खिचड़ी खाना पसंद करते हैंण् लेकिन शनिवार के दिन यदि उड़द के दाल की खिचड़ी खाई जाय तो इससे शनि देवता प्रसन्न होते हैं परिणामस्वरूप शनि देवता के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।

 

काले तिल का सेवन

ज्योतिषशास्त्र में शनिवार के दिन काले तिल का सेवन करना बहुत लाभकारी माना गया है, ऐसा भी कहा जाता है कि शनिवार के दिन काले तिल का सेवन करने से शनि देवता का प्रकोप कम हो जाता है।

 

परिवार में रहता है कलह

शनि के आगमन से पहले ही व्यक्ति का स्वभाव बदलने लगता हैए विचारों में उग्रता और क्रोध की भावना बढ़ जाती है। शनि के प्रतिकूल प्रभाव की वजह से व्यक्ति की वाणी कर्कश हो जाती है और छोटी.छोटी बातों पर भी परिवार में कलह करने लगता है। धर्म.कर्म के प्रति मन उचाट हो जाता है। अगर धर्म.कर्म में रुचि बनी रहे तो शनि का कोप कम हो जाता है यही वजह है कि शनिदेव मन को धर्म से हटा देते हैं।

 

नाखून कमजोर हो जाते हैं

आंखों के नीचे कालापन आने लगे और गालों पर भी कालापन दिखने लगे तो यह शनि के विपरीत प्रभाव का लक्षण हो सकता है। हथेली में मध्यमा उंगली को शनि की उंगली माना गया है। शनि के प्रतिकूल होने पर इस उंगली का रंग भी बदलने लगता है। व्यक्ति के नाखून कमजोर हो जाते हैं और टूटने लगते हैं।

 

बदलने लगे हथेलियों का रंग

अपनी हथेलियों को गौर से देखिए अगर इनका रंग बदल रहा है। हथेली की रेखाओं में कहीं.कहीं नीलापन और कालापन लिए धब्बा सा नजर आने लगे या हथेली का रंग नीला या काला दिखने लगे तो यह समझना चाहिए कि शनि महाराज ने शरीर में प्रवेश कर लिया और वह कर्मों का दंड देने वाले हैं।

 

शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं। गोचर अनुसार शनि जिस राशि में स्थित होते हैं उसकी दूसरी और बारहवीं राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव माना जाता है। वहीं शनि जिन राशियों से चतुर्थ और अष्टम होते हैं उसे ढैय्या से प्रभाव वाली राशि माना जाता है। शुभ शनि अपने साढ़ेसाती और ढैय्या में जातक को बहुत लाभ प्रदान करते हैं वहीं अशुभ शनि साढ़ेसाती और ढैय्या में जातक को असहनीय कष्ट देते हैं।

 

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