किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले है गौरी-गणेश पूजा का विधान: Gauri-Ganesh Puja 2023
Gauri-Ganesh Puja 2023

Gauri-Ganesh Puja: किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान से पहले विघ्नहर्ता गणपति की पूजा अर्चना का विधान हिन्दू धर्म में सदियों से है। लेकिन गणेश जी की पूजा से पहले गौरी पूजा का विधान भी है क्योंकि जाती है गौरी पूजा और क्या संबंध हैं गौरी का गणेष से आइए जानते हैं। स्कंदपुराण के अनुसार भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश ने अवतार लिया था। ऐसा भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से एक बच्चे का शरीर बनाया और उसमें प्राण डालें, यही वजह है कि उनकी पूजा से एक दिन पहले मां गौरी की पूजा की जाती है। दक्षिण भारत में गौरी पूजा को गौरी हब्बा के नाम से मनाया जाता है। कर्नाटक, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश के साथ देश के कई भागों में गौरी पूजा का विधान है। गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले व्रत रखकर मां गौरी की पूजा अर्चना कर परिवार के मंगल और सुख की कामना विवाहित महिलाएं करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो विवाहित महिलाएं पूरी आस्था और निष्ठा से यह पूजा करती हैं वहां गणेश जी खुश होकर उपस्थित होतें हैं, मन से पूजा स्वीकार कर आशीर्वाद देते हैं। उस घर में सुख, शांति, धन, धान्य, और संपन्नता का वरदान देते हैं।

पूजा-विधान

सबसे पहले गणपति को स्नान कराकर आासन पर विराजमान कराएं। गणपति का अभिषेक कर पुष्प और तिलक से सम्मानित करें। इसके बाद मां गौरी का समान तरीके से स्नान और अभिषेक कराएं। मूर्ति न होने पर मिटटी की डेरी से गौरी बनाएं या हल्दी की गांठ रखकर कुमकुम लगा कर पूजा आरंभ की जा सकती है।

फल, फूल, धूप, दीप, वस्त्र, प्रसाद, और दक्षिणा देकर पूजा का आरंभ की जा सकती है। कुछ जगह गौरी पूजा तीन दिन तक चलती है। पहले दिन मां गौरी को घर में लाने और आवाहन करने की परंपरा है। दूसरे दिन गौरी पूजन का कार्यक्रम आयोजित होता है। मां की अराधना पूजन कर घर की मंगल कामना की जाती है। तीसरे दिन मां गौरी को विदा कर विसर्जित किया जाता है। गणेश और गौरी का पूजन गणपति के दिनों में लगातार दस दिन भी किया जाता है। गणेश चतुर्थी से आरंभ हुई ये पूजा अनंत चतुर्दशी तक चलती है। अंतिम दिन गणेश विसर्जन के साथ इसका समापन होता है। अगले बर्ष फिर से गणेश जी को ढोल नगाड़ों के साथ लाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए गौरी को पूजने का वादा भक्तजन अपने आप से करते हैं।

गौरी पूजा में कुछ सामान्य नियम हमेशा अनुसरण किए जाते हैं

देवी पार्वती की मूर्ति स्थापना: पूजा की शुरुआत में माता पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें। आप उनकी मूर्ति को सुंदर फूलों से सजा सकते हैं।

स्नान और अभिषेक: मूर्ति को स्नान कराकर अभिषेक करें। जल, दीप, धूप, फूल, नैवेद्य, आदि से उनकी पूजा करें।

आराधना और मंत्र जाप: माता की आराधना करते समय उनके मंत्रों का जाप करें और उनसे कृपा की प्रार्थना करें।

प्रसाद बांटना: पूजा के बाद प्रसाद को सभी के बीच बांटें और उसे सबके साथ शेयर करें।

गौरी गणेश पूजा के फायदे

गौरी गणेश पूजा से घर में सुख, समृद्धि, शांति, और सम्पन्नता की विशेष आशा की जाती है। यह पूजा साझा भावना और आशा का प्रतीक होती है जो व्यक्ति को आनंदमय जीवन की दिशा में मदद करती है। गौरी गणेश पूजा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो धार्मिक आदर्शों को प्रकट करता है और व्यक्ति के जीवन में आनंद और समृद्धि का संचार करता है। गौरी गणेश पूजा हमारी परंपरागत संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझने में मदद करता है, और हमारे जीवन को सकारात्मक से भर देता है।