Gangaur Festival : राजस्थान का सबसे प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार गणगौर हिंदू धर्म में विशेष रूप से महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है। यह त्योहार चैत्र माह में मनाया जाता है और इसे भगवान शिव और माता पार्वती (गौरी) की पूजा के रूप में मनाया जाता है। गणगौर का त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से जुड़ा है, जबकि कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस त्योहार को मनाती हैं।
इस त्योहार की खास बात यह है कि इसमें मिट्टी से बनी गणगौर (माता पार्वती) और ईशरजी (भगवान शिव) की मूर्तियों की पूजा की जाती है। ये मूर्तियां महिलाओं द्वारा स्वयं बनाई जाती हैं और इन्हें सजाया जाता है। त्योहार के दौरान महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं, गीत गाती हैं और विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं। गणगौर का त्योहार राजस्थान में इतना भव्य होता है कि इसमें झांकियां निकाली जाती हैं और महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनकर नृत्य और गीतों के साथ इस उत्सव को मनाती हैं। यह त्योहार न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि राजस्थानी संस्कृति और परंपरा की झलक भी प्रस्तुत करता है।
दूर्वा घास का महत्त्व
दूर्वा घास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह न सिर्फ भगवान गणेश की पूजा में अनिवार्य मानी जाती है, बल्कि माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा में भी इसका विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि दूर्वा घास में दिव्य ऊर्जा होती है, जो नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता को बढ़ाती है। 16 दिन तक चलने वाली इस विशेष पूजा में दूर्वा का प्रयोग शुभ फल प्रदान करता है और इसे अर्पित करने से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
गणगौर पूजा में दूर्वा घास का महत्त्व क्यों होता है?
गणगौर पूजा में दूर्वा घास का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसे शुभता और मंगल कार्यों का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, दूर्वा भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इसे किसी भी शुभ अनुष्ठान में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। यह घास अपनी तेज़ी से बढ़ने और कटने के बाद भी पुनः उगने की विशेषता के कारण अखंड सौभाग्य और दीर्घायु का प्रतीक मानी जाती है।
कैसी होती हैं दूर्वा घास?
दूर्वा घास साधारण घास की तरह नहीं होती, बल्कि इसकी पहचान इसके आगे निकली तीन छोटी पत्तियों और हल्के भूरे रंग से की जाती है। यह ज्यादातर पेड़ों के पास या नम स्थानों पर पाई जाती है और कई बार घर के गमलों में भी उग आती है। दूर्वा को पूजा में विशेष रूप से शुभ माना जाता है और इसे भगवान गणेश की प्रिय वस्तु कहा जाता है। इसे रोजाना भगवान की पूजा में अर्पित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
