Gangaur 2023: पौराणिक काल से ही हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में सुहागिन स्त्रियां सालभर में आने वाले सभी पर्वों को हर्षोल्लास के साथ मनाती है। साथ ही व्रत रखकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए मंगलकामना करती है। इन सभी व्रत त्योहारों में गणगौर का पर्व सुहागिनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। होली के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से 16 या 17 दिनों तक चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि तक गणगौर की पूजा की जाती है।
इस साल गणगौर का पर्व शुक्रवार 24 मार्च 2023 को धूमधाम से मनाया जायेगा। शास्त्रों के अनुसार, गणगौर के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की साथ में पूजा करने से सुहागिनों को अमर सुहाग का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए गणगौर के दिन सुहागिनें मिलकर मंगल गीत गाती है और भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनती है। आज इस लेख के द्वारा हम आपको भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी गणगौर की पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे।
Gangaur 2023: भगवान शिव और माता पार्वती है गणगौर

पंडित इंद्रमणि घमस्याल के अनुसार, शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि गणगौर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। गण शब्द का अर्थ भगवान शिव और गौर शब्द का अर्थ माता पार्वती से है। शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और नारद जी के साथ एक गांव में घूमने गए। उस गांव में माता पार्वती ने नदी में स्नान कर मिट्टी से शिव जी की मूर्ति बनाकर पूजा की। पूजा के बाद शिव जी को मिट्टी का ही भोग लगाया और मिट्टी को ही प्रसाद रूप में खाया। प्रसाद के बारें में शिव जी के पूछने पर माता पार्वती ने झूठ कहा की वह प्रसाद में दूध और चावल खाकर आई है।
भगवान शिव सब जानते थे लेकिन फिर भी उन्होंने माता पार्वती से कहा कि वे भी दूध चावल खाना चाहते है और नारद मुनि को लेकर नदी किनारे जाने लगे। तब माता पार्वती ने अपने तप से एक मायावी महल बनाया और माता पार्वती के तप से बने मायावी महल में तीनों देवताओं का अच्छे से आदर सत्कार हुआ। जब तीनों देवता वापस आने लगे तब भगवान शिव ने लीला रचते हुए नारदमुनि से कहा की उनकी माला महल में रह गई है और नारदमुनि को माला वापस लाने के लिए फिर से महल में भेजा।

वापस जाने पर नारदमुनि ने देखा कि वहां कोई महल नहीं था। तब शिव जी ने नारदमुनि को बताया कि माता पार्वती अपने पति की पूजा को छुपाना चाहती थी। इसलिए माता पार्वती ने अपने तप से यह माया रची। माता पार्वती की पूजा से खुश होकर शिव जी ने माता पार्वती को सौभाग्य का वरदान दिया। नारदमुनि ने माता पार्वती से कहा कि गुप्त रूप से की गई पूजा का श्रेष्ठ लाभ मिलता है। जो भी स्त्रियां इस तरह से पूजा करेंगी, माता पार्वती के आशीर्वाद से उनका पति दीर्घायु और स्वस्थ रहेगा।
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