Gangaur Puja: गणगौर का त्योहार राजस्थान की संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग है, जो हर साल बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक एकता और महिलाओं की शक्ति को भी प्रदर्शित करता है। गणगौर पूजा में महिलाएं और कुंवारी कन्याएं विशेष रूप से भाग लेती हैं, जो अपने पति की लंबी उम्र और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
इस पूजा की सबसे खास बात यह है कि इसमें अंक 16 का विशेष महत्व होता है। यह अंक पूजा के हर पहलू में शामिल होता है, चाहे वह सोलह श्रृंगार हो, सोलह प्रकार के प्रसाद हो, या फिर सोलह दिनों तक चलने वाली पूजा। अंक 16 गणगौर पूजा की पूर्णता और आध्यात्मिक गहराई को दर्शाता है, जो इसे एक विशेष आयाम देता है। आइए जानते हैं कि गणगौर पूजा में अंक 16 की क्या खासियत है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है।
गणगौर की पूजा में अंक 16 का विशेष महत्व
गणगौर की पूजा में अंक 16 का विशेष महत्व होता है, जो इस त्योहार की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गहराई को दर्शाता है। यह अंक पूजा के विधि-विधान से जुड़ा हुआ है और इसे “सोलह श्रृंगार” के रूप में जाना जाता है। गणगौर पूजा के दौरान महिलाएं माता पार्वती (गौरी) की मूर्ति को सोलह श्रृंगार से सजाती हैं, जो सुंदरता और समृद्धि का प्रतीक है।
यह सोलह श्रृंगार न केवल माता पार्वती की भक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह महिलाओं के लिए सौभाग्य और सुखद वैवाहिक जीवन का प्रतीक भी है। इसके अलावा, गणगौर पूजा में 16 प्रकार के पकवान और फल भी चढ़ाए जाते हैं, जो पूजा की पूर्णता को दर्शाते हैं। अंक 16 का संबंध हिंदू धर्म में पूर्णता और समृद्धि से भी है, जो इस त्योहार के महत्व को और बढ़ाता है। इस प्रकार, गणगौर पूजा में अंक 16 न केवल एक संख्या है, बल्कि यह आस्था, परंपरा और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो इस त्योहार को विशेष बनाता है।
गणगौर: शुभता और सौभाग्य का प्रतीक
गणगौर पूजा में अंक 16 का विशेष महत्व इसकी पूर्णता और आध्यात्मिक गहराई को दर्शाता है। यह अंक पूजा के हर पहलू में शामिल होता है, जो इसे एक विशेष आयाम देता है। पूजा के दौरान महिलाएं 16 बिंदियां काजल, रोली और मेंहदी से लगाती हैं, जो सौभाग्य और सुंदरता का प्रतीक है। इसके अलावा, प्रसाद, फल और सुहाग सामग्री भी 16 की संख्या में चढ़ाई जाती है, जो पूजा की पूर्णता को दर्शाता है।
गणगौर पूजा 16 दिनों तक चलती है, जिसमें हर दिन एक विशेष अनुष्ठान और भक्ति भाव से माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना की जाती है। यह अंक हिंदू धर्म में पूर्णता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जो गणगौर पूजा के महत्व को और बढ़ाता है। इस प्रकार, अंक 16 न केवल पूजा का एक हिस्सा है, बल्कि यह आस्था, परंपरा और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो इस त्योहार को विशेष बनाता है।
