गणेश गायत्री मंत्र

1- ॐ एकदन्ताय विध्महाये

वक्रतुंडाय धीमहि

तन्नो दंति प्रचोदयात।

2- ओम तत्पुरुषाय विध्महाये

वक्रतुंडाय धीमहि

तन्नो दंति प्रचोदयात।

3- ओम तम कराताय विध्महाये

हस्ति मुखाय धीमहि

तन्नो दंति प्रचोदयात।

यहां इस मंत्र का अर्थ बताया गया है 

1- मैं जानता हूं कि एक-दंत भगवान मुझे एकात्म की शिक्षा दे रहे हैं। मुझे ज्ञात है कि टेढ़े मुख वाले देवता से मुझे अपने जीवन की राहों को सीधा और सरल बनाने की शिक्षा मिल रही है। वह गजानन देव मुझे ज्ञान का प्रकाश प्रदान करें।

2- मैं उस अतीन्द्रीय चरित्र को जानता हूं। वक्र मुख वाले देव मुझे मार्गदर्शन प्रदान करे। गजानन गणेश मेरे मस्तिष्क को प्रेरित और प्रकाशित करे।

3- मैं रहस्मयी ईश्वर से अवगत हूं। गज मुखी देव मुझे मार्गदर्शन प्रदान करें। भगवान गणेश मेरे अंतर्ज्ञान को प्रकाशित करें।

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