Overview: बप्पा को क्यों लगाया जाता है 21 मोदक का भोग, इस गणेशोत्सव बनाएं ये खास प्रसाद
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को 21 मोदक अर्पित करने की परंपरा गणेश पुराण और मुद्गल पुराण से जुड़ी है। इसका विशेष महत्व है।
Why Offering 21 Modak To Bappa: गणेश चतुर्थी का पावन पर्व आते ही देशभर में लाखों भक्त भगवान गणेश को 21 मोदक अर्पित करने की परंपरा को उत्साह के साथ निभाते हैं। यह स्वादिष्ट मिठाई केवल स्वाद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी ऐतिहासिक, पौराणिक और आध्यात्मिक मान्यताएं हैं। यदि आप इन मान्यताओं के बारे में नहीं जानते तो चलिए जानते हैं इसके बारे में। साथ ही जानेंगे कुछ खास मोदक रेसिपीज के बारे में।
21 मोदक का महत्व

गणेश पुराण और मुद्गल पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भगवान गणेश के मोदक प्रेम का उल्लेख मिलता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और 21 मोदक अर्पित करना गणेश चतुर्थी का अभिन्न हिस्सा बन गया है। 21 की संख्या का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। हिंदू धर्म में संख्याओं के प्रतीकात्मक अर्थ होते हैं और 21 को सृष्टि के विभिन्न तत्वों के एकीकरण का प्रतीक माना जाता है। सांख्य दर्शन के अनुसार, 21 संख्या 5 कर्मेंद्रियों (कार्य अंग), 5 ज्ञानेंद्रियों (संवेदी अंग), 5 तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश), 5 तन्मात्राओं (इंद्रिय विषय) और 1 मन का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि भक्त को सब कुछ भगवान को समर्पित कर देना चाहिए ताकि वह उन्हें सच्चाई से जान सके। भक्त 21 मोदक अर्पित कर गणेश जी से बुद्धि, ज्ञान और सफलता का आशीर्वाद मांगते हैं, ताकि उनके मार्ग के सभी विघ्न दूर हों।
क्या है पौराणिक कथा
21 मोदक अर्पित करने की परंपरा के पीछे एक रोचक कथा है। गणेश पुराण और मुद्गल पुराण के अनुसार, एक बार भगवान शिव और बाल गणेश अपनी भक्त अनुसूया के वन स्थित घर भोजन के लिए गए। अनुसूया ने पहले बाल गणेश को भोजन परोसने का निर्णय लिया और कहा कि जब तक गणेश तृप्त नहीं होंगे, शिव को भोजन नहीं परोसा जाएगा। अनुसूया ने कई व्यंजन परोसे, लेकिन गणेश की भूख शांत नहीं हुई। अंत में, उन्होंने एक छोटा-सा मोदक परोसा। गणेश ने इसे खाते ही डकार ली, जिससे संकेत मिला कि उनकी भूख शांत हो गई।
उसी समय, शिव ने एक नहीं, बल्कि 21 डकारें लीं, यह दर्शाते हुए कि बिना कुछ खाए भी उनकी भूख शांत हो गई। अनुसूया ने पार्वती को बताया कि वह मिठाई मोदक थी। इसके बाद, पार्वती ने हर भोजन के साथ गणेश को मोदक परोसना शुरू किया। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी पर 21 मोदक अर्पित करने की परंपरा शुरू हुई, जो गणेश और शिव की तृप्ति का प्रतीक है।
मोदक क्यों हैं गणेश जी के प्रिय

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान गणेश का एक दांत भगवान विष्णु के छठे अवतार से युद्ध के दौरान टूट गया था। टूटे दांत के कारण उन्हें भोजन चबाने में कठिनाई होती थी। इसलिए, उनके लिए घी में लिपटे नरम मोदक तैयार किए गए, जो वे आसानी से खा सकते थे। यहीं से मोदक गणेश जी की प्रिय मिठाई बन गए।
खास मोदक रेसिपी
कोकोनट मोदक
सामग्री: 1 मिल्कमेड मिनी, 3/4 कप नारियल दूध पाउडर, 2 कप ताजा कसा नारियल, 2 टेबलस्पून चुकंदर का रस, 1 टेबलस्पून गुलाब जल, 2 टेबलस्पून कटे मेवे।
विधि: एक मोटे तले के पैन में मिल्कमेड, नारियल दूध पाउडर और कसा नारियल मिलाएं। लगातार हिलाते हुए गर्म करें। धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक मिश्रण पैन के किनारों से अलग न हो जाए। ठंडा करें। मिश्रण को दो भागों में बांटें। एक भाग में चुकंदर का रस और गुलाब जल डालकर एक मिनट पकाएं। मोदक मोल्ड में आधा सादा मिश्रण और आधा गुलाब मिश्रण भरें। बीच में मेवे रखें और दबाएं। मोल्ड से निकालकर गुलाब की पंखुड़ियों से सजाएं।
ओट्स मोदक
सामग्री: मिल्कमेड मिनी, 1 कप टोंड दूध, 1.5 कप सादा ओट्स, 1 कप मक्खन, 1/4 टीस्पून इलायची पाउडर।
विधि: ओट्स को मक्खन में मध्यम-धीमी आंच पर हल्का भूरा होने तक भूनें। ठंडा होने पर ब्लेंडर में बारीक पाउडर बनाएं। एक पैन में मिल्कमेड और दूध मिलाकर धीमी आंच पर उबालें। ओट्स पाउडर और मक्खन डालें। मिश्रण के पैन से अलग होने तक पकाएं। इलायची पाउडर मिलाएं। मिश्रण को ठंडा कर मोदक का आकार दें और परोसें।
