बल्बों की झिलमिल करती रौशनी में नहाई सड़कें, सजे-धजे बाज़ार, बर्तन, मिठाईयां, कपड़े और तरह-तरह के घरेलु उपकरण, नए वाहन आदि  खरीदने में व्यस्त लोग, रह-रहकर चमक बिखेरती फुलझड़ियां व अनार की आतिशबाजी, उत्साह से भरे इधर-उधर भागते दौड़ते बच्चे, और भी न जाने क्या-क्या छिपा है इस त्यौहार में, जो इसका नाम लेते ही बरबस रोमांच से भर देता है ! कहने का तात्पर्य है कि जो कुछ भी इस त्यौहार से जुड़ा है, वह सभी शुभ, उत्साह और उमंग से भरपूर होने के साथ-साथ सकारात्मक भी है I तभी तो इसे खुशियों, रौशनियों और सौगातों का त्यौहार कहते हैं, जिसका आनंद सिर्फ भारतवासी ही नहीं, परदेस में बसे प्रवासी भारतीयों के साथ मिलकर, विदेशी भी उठाना नहीं भूलते I

फिर भी ऐसा नहीं है कि यह त्यौहार मनाते समय हम यह सोचकर मस्त हो जाएँ कि आज तो सब कुछ करने की छूट मिल गयी है, इसलिए बिना सोचे-समझे मज़े करो और जहां तक खुशियाँ का प्रश्न है, वो तो अपने आप हमारे पास आ ही जायेंगीं I वस्तुतः, इस त्यौहार से खुशियाँ पाने के लिए हमें कुछ करना होगा जबकि कुछ करने से बचना भी होगा, तभी हम इस त्यौहार का वास्तविक आनंद ले सकते हैं I तो आईये, जानते हैं, क्या हैं वे कार्य –

क्या करें

बच्चों के मन की सुनें  

इस दिन बच्चों के ऊपर खर्च करने हेतु अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार कुछ धन अलग रखें, जिसे उनकी इच्छानुसार खर्च करें I इससे बच्चे उत्साह पूर्वक त्यौहार मना सकेंगें और उनके चहरे पर आयी चमक आपकी खुशियों को कई गुना अधिक बढ़ा देगी I   

कुछ घर के बड़ों के लिए भी

घर के बड़ों की भी इच्छाओं का ध्यान रखें और उनकी आवश्यकता व रूचि के अनुसार उन्हें उपहार दें I उनका आशीर्वाद आपके जीवन में सुख व समृद्धि लेकर आयेगा I

घर पर पारंपरिक पूजन में भाग लें

पूजन के मुहूर्त में बन्धु-बांधवों सहित श्री गणेश, नवग्रह, कुबेर, कुल-देवता, अन्य देवी-देवता, भगवान् विष्णु व लक्ष्मीजी, भगवान् शिव व पार्वतीजी, महाशक्ति (महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती), श्रीरामचन्द्र व माता सीता, हनुमानजी आदि का आदरपूर्वक आवाहन कर विधि-विधान से पूजन करें I

खुशियों को बाँटें भी और पायें भी

ख़ुशी ऐसी चीज़ है, जो बांटने से बढ़ती है I अतः दीवाली की खुशियाँ दूनी करने के लिए एक काम अवश्य करें, अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ धन निकालें, जिससे कुछ मिठाई, फल, फुलझड़ी, नए कपड़े आदि खरीदकर अपने आस-पास जहां भी कोई निर्धन बस्ती, अनाथालय, वृद्धाश्रम, अस्पत्ताल आदि हो, वहां जाएँ और उसे वंचित लोगों के बीच बाँट दें और फिर कुछ समय भी उनके साथ बिताएं I इन्हें पाकर जब वहां के निवासी, बच्चे, बूढ़े प्रसन्न होंगें, तो विश्वास करिए कि आपके त्यौहार का मज़ा दुगुना हो जाएगा I कहते हैं कि इस दिन जितनी खुशिया बाँटतें हैं, वह कई गुनी होकर हमारे पास वापस लौटती हैं I इसलिये दिल खोलकर दूसरों की दुआएं लें, बहुत काम आयेंगीं I खुशियाँ केवल वही नहीं हैं जिन्हें हम अपनी स्वयं की इन्द्रियों द्वारा या अपने परिजनों के माध्यम से महसूस करते हैं, बल्कि दूसरों को निस्वार्थ भाव से सुख पहुंचाकर जो आत्मिक संतोष मिलता है, उससे मिलने वाले आनंद का कोई सानी नहीं होता I

क्या न करें  

शराब व जुए से दूर रहें  

वैसे तो शराब और जुए से दूर रहना ही हमेशा हमारे हित में होता है, परन्तु दीवाली के शुभ अवसर पर तो भूल कर भी इन झंझटों में न पड़ें I एक तो इससे घर की शांति खराब होगी, दूसरे आप परिजनों के साथ त्यौहार मनाने के आनंद से भी वंचित  हो जायेंगें और तीसरे इन शुभ दिनों में तामसिक कार्यों में लिप्त होकर अनावश्यक रूप से पाप के भागी भी बनेगें I जहां तक इस दिन जुए में जीत जाने पर घर में लक्ष्मी के आने की अवधारणा है तो यह अपने मन को समझाने का एक ख्याल मात्र है, जो अपने व्यसनों का औचित्य समझाने के लिए गढ़ा गया है I वस्तुतः जब माता लक्ष्मी हमारे परिश्रम के पसीने से भीगे स्वच्छ मार्ग से चल कर हमारे घर तक आती हैं, तभी वह अपने साथ स्थायी खुशियाँ लेकर आती हैं I परन्तु यदि अनधिकृत संसाधनों का प्रयोग कर दूषित मार्ग से होकर माता को ज़बरदस्ती घर लाने का प्रयास किया जाए तो वह एक बार आ तो अवश्य जाती हैं, परन्तु बहुत शीघ्र उसी रास्ते वापिस भी चली जाती हैं और जाते-जाते विपत्तियों का अभिशाप भी छोड़ जाती हैं I अतः सदाचार के रास्ते कमाये हुए धन से दीवाली मनाएं और खुशियों को अपने घर में सदा के लिए बसा लें I

किसी का दिल न दुखाएं

 यों तो कभी भी अनावश्यक रूप से किसी का दिल दुखाना अच्छा नहीं होता, परन्तु त्यौहार पर तो इस बात का विशेष ध्यान रखें I जैस हम स्वयं ख़ुशी-ख़ुशी ये त्यौहार मनाना चाहते हैं, वैसे ही दूसरों की खुशियों का भी ध्यान रखें I

खान-पान में संयम ज़रूरी

त्यौहार की ख़ुशी में तरह-तरह के पकवान घर में बने हों तो थोड़ा-बहुत ज्यादा खा लेना स्वाभाविक है I फिर भी सीमाओं को न लांघें, जिससे तबियत खराब होने से त्यौहार का मज़ा किरकिरा न हो I यदि कोई बीमारी हो, तो मिठाई व अन्य पकवान नियंत्रित मात्रा में ही लें और अपनी दवाईयां समय पर लेते रहें I

आतिशबाजी में सावधानी बरतें

दीवाली पर थोड़ी-बहुत आतिश बाज़ी अवश्य आनंददायक होती है, परन्तु यदि उससे दम घुटने की नौबत आ जाए तो फिर ऐसे आत्मघाती क्षणिक आनंद से क्या फायदा ! अतः ध्यान रखें कि अधिक धुंए तथा शोर-शराबे वाली आतिशबाजी खरीदकर न लायें I जहां तक हो सके, फुलझड़ियाँ, अनार, कम आवाज़ वाले बम आदि का ही प्रयोग करें I आतिश बाज़ी करते समय बच्चों को दूर रखें या फिर अपनी देख रेख में ही उनसे पटाखे चलवायें I यदि न्यायालय या प्रशासन द्वारा इसकी समय सीमा निर्धारित कर दी गई हो तो उसका पालन करें I

टोने-टोटके जैसे अंधविश्वासों के चक्कर में न पड़ें

कुछ लोग दिवाली जैसे ख़ुशी के अवसर पर अपने कुत्सित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए टोने-टोटके आदि अनर्गल कार्यों में लग जाते हैं, जिनमें कई निरीह जानवरों व उल्लू जैसे दुर्लभ पक्षियों की बलि तक दे दी जाती है I परन्तु इन कार्यों का अंत बुरा ही होता है I अतः व्यर्थ के अंधविश्वासों से बचें I याद रखिये, ईश्वर से बड़ी कोई शक्ति दुनिया में नहीं है, अतः जब आप उसकी पूजा कर रहे हैं, तो कोई बुरी शक्ति आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती I इसलिए ढोंगी बाबाओं के जाल में फंसकर किसी समस्या के समाधान के लिए तंत्र-मंत्र क्रियाओं के नामपर किसी निरीह प्राणी को भूलकर भी कष्ट न पहुंचाएं, बल्कि इन जीव-जंतुओं को भी दाना-पानी आदि उपलब्ध कराकर इनका आशीर्वाद भी लें, क्योंकि बेजुबान जीवों की दुआएं भी बहुत फलदायक होती हैं I