बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं : कारण और निवारण-साथ ही मन में प्रश्न उठा, क्या कारण है कि हमारे देश में सड़क दुर्घटनाएं इतनी आम हो चुकी हैं कि थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद ऐसे दुखद समाचार सुनने को मिलते ही रहते हैं I अब तो लगता है कि हम ऐसे समाचार सुनने के आदी हो चुके हैं […]
Author Archives: Neeraj Gupta
खुशियाँ बांटें और घर लायें, शुभ हो सबकी दीवाली
दीवाली एक ऐसा त्यौहार है, जिसका नाम लेते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है I छत की मुंडेरों पर टिमटिमाते दीपों की मोहक कतार, हल्की ठंडक लिए मंद-मंद बहती हवाओं के साथ थिरकती मोमबत्तियों की लौ, रंगबिरंगे
कोरोना संक्रमण से बचाव
अपने बाल्यकाल में जब हम अपने परिवार के बड़े-बुजुर्गों के सानिध्य में बैठते थे, तब कई बार उन्हें एक महामारी के विषय में बात करते सुना था कि जब वह फैलती थी तो गाँव-कस्बों में शवों के ढेर लग जाते थे और शेष जीवित बचे लोग उस स्थान को छोड़कर जल्द से जल्द दूसरे स्थान […]
कोरोना संक्रमण से बचाव
अपने बाल्यकाल में जब हम अपने परिवार के बड़े-बुजुर्गों के सानिध्य में बैठते थे, तब कई बार उन्हें एक महामारी के विषय में बात करते सुना था कि जब वह फैलती थी तो गाँव-कस्बों में शवों के ढेर लग जाते थे और शेष जीवित बचे लोग उस स्थान को छोड़कर जल्द से जल्द दूसरे स्थान […]
कोरोना संक्रमण से बचाव
अपने बाल्यकाल में जब हम अपने परिवार के बड़े-बुजुर्गों के सानिध्य में बैठते थे, तब कई बार उन्हें एक महामारी के विषय में बात करते सुना था कि जब वह फैलती थी तो गाँव-कस्बों में शवों के ढेर लग जाते थे और शेष जीवित बचे लोग उस स्थान को छोड़कर जल्द से जल्द दूसरे स्थान […]
बंगाल में दुर्गा-पूजा
नवरात्रों के आने की आहट हो और देवी-दुर्गा की बात न हो, या फिर दुर्गा-पूजा की बात चले और बंगाल का नाम न आये, ये भला कैसे संभव है ! अतः जैसे ही शारदीय नवरात्रों पर कुछ लिख्नने का विचार मन में उत्पन्न हुआ तो सीधे बंगाल से जाकर जुड़ गया I
बंगाल में दुर्गा-पूजा
नवरात्रों के आने की आहट हो और देवी-दुर्गा की बात न हो, या फिर दुर्गा-पूजा की बात चले और बंगाल का नाम न आये, ये भला कैसे संभव है ! अतः जैसे ही शारदीय नवरात्रों पर कुछ लिख्नने का विचार मन में उत्पन्न हुआ तो सीधे बंगाल से जाकर जुड़ गया I यों तो सम्पूर्ण […]
सद्गुरु की खोज
बचपन से आजतक हम गुरु की महिमा के विषय में बहुत कुछ सुनते आये हैं I हिन्दू धर्म में भवसागर को पार करने के लिए उनके मार्गदर्शन की अनिवार्यता पर इतना जोर दिया गया है कि बिना गुरु के परब्रह्म से साक्षात्कार संभव नहीं माना गया I अतः “गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु:, गुरुर्देवोमहेश्वरः I गुरु: साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्रीगुरुवे नमः’ ” कहकर नमन करते हुए गुरु को साक्षात परब्रह्म के समकक्ष मानकर उनकी महिमा का बखान किया गया I यहाँ तक कि यदि गुरु और ईश्वर से एक साथ भेंट हो जाये, तो पहले गुरु का अभिवादन करने का परामर्श दिया गया, क्योंकि ईश्वर तो गुरु के बताये मार्ग पर चलकर ही मिले हैं – “गुरु गोविन्द दोउ खड़े, काके लागूं पांय I बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय” II
अहिंसा का विचार : एक समग्र व्याख्या
नैतिक सिद्धांत कितने भी महान क्यों न हों, यदि उनमें भ्रांतियां उत्पन्न हो जाती हैं तो वे धीरे-धीरे अपना वास्तविक अर्थ खोकर समाज का उत्थान करने के स्थान पर उसकी प्रगति में ही अवरोध उत्पन्न करने लगते हैं I ‘अहिंसा’ एक ऐसा ही सार्वभौमिक तथा सर्वहितकारी विचार है, जिसकी संकीर्ण व्याख्या, व्यक्ति, समाज व राष्ट्र का उत्थान करने के स्थान पर उन्हें पंगु बना सकती है, अतः आवश्यक है कि इसको सही अर्थों में समझने का प्रयास किया जाए I
सदगुरु की खोज
बचपन से आजतक हम गुरु की महिमा के विषय में बहुत कुछ सुनते आये हैं I हिन्दू धर्म में भवसागर को पार करने के लिए उनके मार्गदर्शन की अनिवार्यता पर इतना जोर दिया गया है कि बिना गुरु के परब्रह्म से साक्षात्कार संभव नहीं माना गया I अतः “गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु:, गुरुर्देवोमहेश्वरः I गुरु: साक्षात परब्रह्म, […]
