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आजकल बाजार में रेडीमेड नए-नए डिजाइन और फैंसी सजावट वाली पूजा की थालियां उपलब्ध हैं लेकिन आप साधारण पूजा की थाली को घर पर भी डेकोरेट कर सकती हैं वो भी बाजार से कहीं ज्यादा सुंदर।

आमतौर पर घरों में पूजा की थाली में धूप-दीप, फूल, कुमकुम और मिठाई आदि रखकर अपने प्रिय देवी-देवता को आरती समॢपत की जाती है। खास अवसरों यानि किसी खास पर्व पर थाली को थोड़े अलग ढंग से सजाने का रिवाज है। थाली स्टील की हो, पीतल की या फिर चांदी की हो, जिस ढंग से उसे डेकोरेट किया जाता है वो सबके आकर्षण का केंद्र बन जाती है। पूजा के लिए प्रयोग में आने वाली एक साधारण थाली को भी विभिन्न तरीकों से सजा कर आप उसे खास और खूबसूरत बना सकती हैं।

कैसे सजाएं दिवाली की पूजा थाली

  • आप इसे सजाने में गोटा-पट्टी, मिरर, गोल्डन लेस, बीड्स, रंगीन रिबन का प्रयोग कर सकती हैं।
  • सिर्फ गेंदे के फूलों से भी थाली को सजाया जा सकता है।
  • विभिन्न रंगों की नेलपेंट्स से भी थाली पर आर्ट वर्क किया जा सकता है।
  • थाली को आर्गेनिक तरीके से भी सजा सकती हैं। चावलों को विभिन्न रंगों से रंग कर थाली पर चिपका कर डिजाइन बना सकते हैं।
  • पूजा की थाली को नियत स्थान पर रख कर उसे चारों तरफ से रंगोली, फूलों की पंखुड़ियों व डेकोरेटिव दीयों को जला कर एक नया रूप दिया जा सकता है।
  • केले के पत्ते को थाली के आकार में गोल काट कर उसे बिछा कर भी पूजा थाली तैयार की जा सकती है।

दिवाली पूजा के वक्त थाली कैसी हो

  • अपने रीति-रिवाज के अनुसार आप पूजा सामग्री इखट्टी कर ले।
  • पूजा की थाली में कुमकुम, अक्षत, धूप-दीप, फूल, मिष्ठान आदि रखे जाते हैं। आप चाहें तो थाली में छोटी-छोटी कटोरियां रख सकती हैं, जिनमें यह सामान रखा होने से थाली बिखरी हुई नहीं लगेगी।
  • थाली में सिंदूर से स्वस्तिक चिह्नï बनाने के बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की मूॢतयों को रख कर उन्हें धूप-दीप दिखाकर पूजने का रिवाज है।
  • मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूॢत के पास चांदी का सिक्का अवश्य रखें और उसकी भी पूजा करें। थाली में खील-बताशे और पंचामृत भी रखना आवश्यक है। ध्यान रहे कि दिवाली पर बनने वाले पंचामृत में तुलसी नहीं होनी चाहिए। पंचामृत में दूध, घी, शहद, दही और मिश्री का प्रयोग किया जा सकता है।
  • एक शुद्ध घी का दीपक लक्ष्मी-गणेश जी की मूॢत के आगे जलाया जाता है। एक चौमुखा दीपक, जोकि सरसों के तेल का होता है, वह दूसरी पूजा थाली में रखा जाता है और वह पूरी रात जलता रहता है।

इस अवसर पर जलेबी और पेठा मिठाई के तौर पर रखने का भी प्रचलन है। कुछ लोग तो सफेद मिठाई के रूप में प्रसाद स्वरूप घर में खीर तैयार करके पूजा की थाली में रखते हैं। कइयों के यहां दिवाली पर कलश स्थापना भी की जाती है। कई स्थानों पर थाली के बीचो-बीच ओम और स्वस्तिक चिह्नï बनाए जाते हैं और फिर शुद्ध घी का दीपक जलाया जाता है।

इसके साथ मिष्ठान व पुष्प भी रखे जाते हैं। कहीं पर थाली के बीचो बीच पानी वाला नारियल स्थापित किया जाता है और अक्षत, कुमकुम, फूलों व धूप-दीप से पूजा की जाती है। थाली साफ-सुथरी और सुंदर नजर आए, इसके लिए हर एक सामग्री को छोटी-छोटी कटोरी में रखा जा सकता है। कई क्षेत्रों में थाली में चांदी की लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति रखकर उनकी पूजा की जाती है।

सबसे जरूरी होता है कि थाली में मां लक्ष्मी जी और श्री गणेश जी की प्रतिमा के पास चांदी का सिक्का अवश्य होना चाहिए। दीवाली पर एक सरसों के तेल का बड़ा दीया अवश्य जलाया जाता है, जो पूरी रात्रि जलता रहता है। इसलिए एक दूसरी थाली में थोड़े से धान्य (चावल, फुल्लियां, गेहूं) आदि की छोटी-सी ढेरी बनाकर उस पर रखा जाता है।

वैसे तो लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और गणेश जी उनके पुत्र समान हैं। दिवाली पर लक्ष्मी गणेश जी का पूजन होता है क्योंकि देवी लक्ष्मी धन की देवी हैं और गणेश प्रथम पूज्य होने के साथ शुभता व बुद्धि के देवता भी हैं। भावार्थ यह है कि अगर किसी मनुष्य को लक्ष्मी कृपा से धन मिलता भी है तो उस धन को कैसे व्यय करना है, इसके लिए बुद्धि की भी आवश्यकता है।

बुद्धि के बिना धन मस्तिष्कहीन देह होने के समान है। वैसे तो भगवान केवल आदर-भाव के भूखे होते हैं, लेकिन दीयों के जगमगाते पर्व पर सुंदर ढंग से सजाई गई पूजा की थाली वातावरण में चार-चांद तो लगाती ही है, स्वयं का दिल भी एक नई उमंग और खुशियों से भर उठता है।

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