Chaitra Navratri
Chaitra Navratri 2022

Chaitra Navratri: होली के रंग अभी तो सही से उतरे भी नही होंगे और लो भारतीय संस्कृति में एक और उत्सव आने को बेसब्र है। गरबा, डांडिया और दुर्गा अष्टमी, सिंदूर खेला के रंगों से भरा नवरात्रि का त्यौहार इस बार 2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक मनाया जाएगा। अगर आप पहली बार नवरात्रि का व्रत करने जा रहे हैं या आपको नवरात्रि के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो इस आर्टिकल को अवश्य पढ़ें।

भारत में नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की महिमा को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहते हैं कि भगवान शिव की पूजा कर महिषासुर ने अमर होने का वरदान पाया था। फिर अहंकार वश उसने स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया। जिससे भयभीत होकर देवतागण माता से उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगे। सभी देवताओं ने अपने अस्त्र- शस्त्रों से माता को सुशोभित किया। जिसके बाद मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक युद्ध चलता रहा और दसवें दिन माता रानी ने महिषासुर का वध किया। तब से नौ दिनों तक नवरात्रि का महोत्सव मनाया जाता है। माता रानी की नौ दिनों तक विधिवत पूजा की जाती है। जैसे कि आपको तो पता ही है भारत अपनी विविधता के लिए विश्व प्रसिद्ध है, इसीलिए नवरतत्री भी भारत के विविध क्षेत्रों में भिन्न- भिन्न तरीकों से मनाई जाती हैं जिनमें से कुछ की झलक इस प्रकार है:

नवरात्री के रंग गुजरात के संग

Chaitra Navratri
Colors of Navratri with Gujarat

अतुल्य भारत की असली सुगंध गुजरात में मिलती है। यहां के प्रमुख पहनावा चनिया चोली के संग नवरात्री की धूम देश भर में विख्यात है। नौ दिनों तक यहां माता रानी की पूजा के बाद देर रात तक डांडिया रास, और गरबा नृत्य आयोजन होता है। जिसमें महिला और पुरूष दोनों ही सांस्कृतिक परिधानों से सुसज्जित होकर आतें हैं। अब डांडिया और गरबा न केवल गुजरात भर में ही बल्कि देश के अनेक शहरों में भी आयोजित किया जाता है।

बंगाल की दुर्गा अष्टमी – बात जब नवरात्रि की हो तो आपके भी आंखों के सामने कुछ दृश्य जरुर नजर आने लगते होंगे, जैसे भव्य पंडाल, पूजा की पवित्रता, रंगों की छटा, तेजस्वी चेहरों वाली देवी की प्रतिमाएं, सिंदूर खेला, धुनुची नृत्य और भी बहुत कुछ ऐसा दिव्य और अलौकिक जो शब्दों में न बांधा जा सके।

देवी की प्रतिमा का विशेष महत्व- पश्चिम बंगाल में देवी मां की प्रतिमा का एक खास ही महत्व है। कोलकाता में माता रानी की मूर्ति महिषासुर मर्दनी के रूप में बनाई जाती है। जिसके आस पास अन्य देवी देवता भी होते हैं।

Chaitra Navratri
Importance of Navratri

चोखूदान – बंगालियों की पुरानी परंपराओं में से एक है चोखूदान। जिसमे माता रानी की मूर्ति बनाने के लिए दान दिया जाता है। आपको बता दूं कि इस मूर्ति को 3, से 4 महीने पहले से ही बनाना शुरू कर दिया जाता है जिसमे आंखे सबसे अंत में लगाई जाती हैं।

अष्टमी का महत्व – यहां नवरात्रि में माता को पुष्प अर्पित करने की अटूट परंपरा हैं। खास बात यह है की बंगाली देश के किसी भी कोने में रह रहे हों ।वो पूजा करें या न करे पर अष्टमी के दिन माता को फूल जरुर चढ़ते हैं।

कुमारी पूजा – माता रानी का बाल रूप समझ कर देशभर में कंचक पूजा या कुमारी पूजा का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। कोलकाता में 1से 16 वर्ष की कन्याओं को माता का सबसे पवित्र रूप मानकर पूजा आरती की जाती है।

संध्या आरती – शंख, घंटा , गीत संगीत से भरा माहौल भला किसे आकर्षित नहीं करेगा। बंगाल की संध्या आरती को देखने लोग देश विदेश से आते हैं। पारंपरिक परिधानों से सजे धजे लोग , विशाल दियो से अलंकृत माता की आरती करते हैं तो उनकी भव्यता और पवित्रता वातावरण को और भी मंत्रमुग्ध कर देती है।

सिंदूरखेला – शायद आपको बंगालियों के इस खास परंपरा का पता नहीं होगा लेकिन यह परंपरा बड़ी ही रोचक है। यह नवरात्री के अंतिम दिन मनाया जाने वाले उत्सव है। इस दिन यहां की सभी सुहागिन महिलाएं एक दुसरे को सिंदूर लगाती हैं और इसी के साथ माता रानी को विदा करती हैं।

ये बात हुई नवरात्रि के त्यौहार की अब चलिए चर्चा करते हैं की क्या खास होने वाला है इस इस चैत्र नवरात्र में। कैसे तैयारी करें आने वाले इस त्यौहार की, बहुत कम समय बचा है और बहुत कुछ करना है। आपको परेशान होने की बिल्कुल भी जरुरत नहीं है हम बताएंगे की आपको क्या क्या करना है।

Chaitra Navratri
Navratri Special

पूजा का शुभ मुहूर्त – आपको बता दूं कि आप इस नवरात्रि में अगर कलश स्थापित करने जा रही हैं तो आपके लिए सबसे शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल को सुबह 6: 22 से 8:31 तक रहेगा।

व्रत में क्या क्या खा सकतें हैं – अगर आप पहली बार व्रत करने जा रही हैं और आपको नौ दिन तक क्या क्या खाना है जिसे आपको कमजोरी भी न हो और आपका व्रत भी सफ़लता पूर्वक हो जाए तो आइए जानते हैं:

सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात है की चैत्र की नवरात्रि गर्मियों के मौसम में होती है। आपको अपने शरीर को हमेशा तारो ताज़ा रखने के लिए ज्यादा जूसी फलों का सेवन करना चाहिए। खीरा खाना चाहिए और पानी भी पर्याप्त पीना चाहिए।

आप सिंघाड़े का आटा भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

कुट्टू का आटा भी एक अच्छा ऑप्शन है।

आप अगर मीठे के शौकीन है तो व्रत में आपके लिए साबूदाना की खीर से बढ़िया और क्या हो सकता है।

ड्राई फ्रूट्स और मखानों को दूध में उबाल कर खा सकते हैं।

आप सादा आलू उबाल कर भी खा सकतें हैं जो आपको बार बार भूख लगने से बचाएगा।

आपको ये ध्यान देना होगा की नौ दिन तक व्रत की वजह से आपका शरीर कमजोर न हो जाय इसके लिए आपको दूध ज़रूर लेते रहना है। आप ग्रीन टी भी पी सकते हैं।

नौ दिन के व्रत रखकर आप माता रानी को तो अवश्यही प्रसन्न करना चाहते होंगे लेकिन कुछ खास बातों का व्रत के दौरान ज़रूर ध्यान रखिए:

आप इस बात का खास ख्याल रखें की व्रत के दौरान आपको बेड या पलंग में नहीं सोना है बल्कि आपको ज़मीन में सोना चाहिए।

कुछ लोगो को व्रत का भोजन अपर्याप्त लगता है इसीलिए वो बार बार भोजन करते हैं जो की उचित नहीं है। व्रत के दौरान सीमित भोजन ही करें।

अगर आप आम तौर पर कभी कभी झूठ बोल देते हैं तो यह बात याद रखे कि व्रत के दौरान आप झूठ बोलने से बचें और सत्य ही बोलने का प्रयास करें।

व्रत के दौरान आप काम क्रोध लाभ और मोह से बचने का प्रयास करें।

माता रानी के आगमन से पूर्व ही घर में साफ सफ़ाई का विशेष ध्यान देना चाहिए।

माता के नौ रूप, नौ विशेष मंदिर – अगर आप माता रानी के परम भक्त है और उनके नौ रूपों के दर्शन करना चाहते हैं तो आज हम आपको बताएंगे की माता रानी के नौ रूपों को किस तरह वास्तुकला में उतारा गया है, और कहां कहां माता के नौ रूपों के मंदिर स्थापित हैं।

शैलपुत्री मंदिर – यह माता का प्रथम रूप है। जिसमें माता रानी को हिमालय की पुत्री होने की वजह से उनको शैलपुत्री कहा जाता है। यह प्राचीन मंदिर काशी में स्थित है।

ब्रह्मचारिणी मंदिर – तप चारणी अर्थात तप के द्वारा जब माता रानी ने प्रभु शिव को पाया था तभी से इनका नाम ब्रह्मचारिणी हुआ। यह माता का दूसरा रूप है। ब्रह्मचारिणी मंदिर वाराणसी के बालाजी घाट में स्थित है।

चंद्रघंटा मंदिर – जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र के समान घंटा विराजमान है उनको पति के रूप में पाने के कारण चंद्रघंटा माता का तीसरा शक्ति रूप है। यह मंदिर प्रयागराज में स्थित है इसे क्षेमा माई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

कुष्मांडा देवी मंदिर – उदर से अंड तक अपने अंदर सम्पूर्ण ब्रह्मांड को समाए होने के कारण माता को कुष्मांडा देवी कहा जाता है । यह मां का चौथा रूप है। यह मंदिर कानपुर के घाटमपुर में स्थित है।

स्कंदमाता मंदिर – कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। इनका मंदिर न केवल एक जगह में है बल्कि तीन प्रमुख स्थानों पर स्थित है- दिल्ली के पटपड़गंज में , हिमांचल में खखनाल और यूपी के वाराणसी में।

कात्यायनी मंदिर – ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इन्हें कात्यायनी कहा जाता है। कर्नाटक के अंकोला के पास एवेर्सा में इनका मंदिर स्थित है। कात्यायनी वृंदावन शक्तिपीठ जहां माता सती के केशपाश गिरे थे।

कालरात्रि मंदिर – काल अर्थात हर तरह के संकटों का नाश करने वाली कालरात्रि का मंदिर वाराणसी में स्थित है। यह मां की शक्ती का सातवां स्वरूप है।

महागौरी मंदिर – देवी का आठवां रूप महागौरी मंदिर पंजाब के लुधियाना और यूपी के वाराणसी में हैं। कहा जाता है की तप के कारण माता का पूरा शरीर काला पड़ गया था जिसको भगवान शिव ने गौर रूप (गोरा) प्रदान किया तभी से माता को महागौरी कहा जाता है।

सिद्धिदात्री मंदिर – मां अपने भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि दे देती हैं इसीलिए इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है। यह माता का नौंवा स्वरूप है। माता का प्रसिद्ध मंदिर मध्य प्रदेश ( सतना) और अन्य यूपी में वाराणसी तथा देवपहाड़ी (छत्तीसगढ़) में हैं।

अब अंत में बात कर लेते हैं कि इस साल नवरात्रि में अपने आप को क्या खास लुक्स देकर आप खूबसूरत बन सकती हैं। डांडिया और गरबा नाइट्स में आप अगर ज्यादा कुछ नहीं करना चाहती हैं तो आप किसी भी प्लेन कुर्ती में जैकेट के साथ थोड़े हैवी ईयरिंग के साथ अपने लुक को बेहद आकर्षक बना सकती हैं। अगर आप शादी सुदा है तो पूजा के समय आप किसी भी सारी के साथ डार्क सिंदूर, हल्का सा काजल और न्यूड मेकअप तथा गजरे के साथ अपने आप को सेलिब्रिटी लुक दे सकती हैं। यकीन मानिए इस साल नवरात्रि में हर किसी की नज़र आप पर ही रहेगी ।

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