किन्नरों को हो जाता है मृत्यु का अहसास, क्यों मरने पर है पीटे जाने की परंपरा: Fact About Kinnar
Fact About Kinner

Fact About Kinnar: जब भी घर में कोई शुभ काम हो जैसे कि शादी, मुंडन, तीज-त्यौहार, बच्चे का जन्म आदि सभी में किन्नरों को बुलाया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। मान्यता है कि शुभ काम के दौरान आए किन्नरों को दक्षिणा देनी चाहिए। 

मान्यता यह भी है कि किन्नरों से मिलने वाली दुआओं में बहुत असर होता है। किन्नर जिस भी चीज के लिए आशीर्वाद दे दें वह निश्चित फलित होती है। किन्नरों से जुड़ी ये वो आम बातें हैं जो अमूमन तौर पर सबको पता होती हैं लेकिन आज हम आपको कुछ विशेष बताने जा रहे हैं|

मृतक किन्नर की दुआ 

सनातन धर्म में मरणासन किन्नर को दिव्य बताया गया है। यानि कि एक जीवित किन्नर की दुआ जितनी व्यक्ति को लगती है उसके 100 गुना अधिक दुआ एक ऐसे किन्नर की लगती है जो मरने की स्थिति में हो। ऐसा बहुत कम होता है कि किन्नर मरते समय दुआ दे लेकिन अगर दे दी तो सौभाग्य जाग उठता है। 

किन्नरों के पास कुछ खास शक्तियां होती हैं जो सभी को नजर नहीं आती हैं। किन्नरों पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। भगवान शिव के आशीर्वाद से किन्नर अपनी मृत्यु तक का आभास कर पाते हैं। आइये जानते हैं इसके पीछे की सच्चाई के बारे में।

अद्भुत होती है शक्तियां 

सनातन धर्म के अनुसार, किन्नर में स्त्री और पुरुष दोनों तत्व होते हैं और दोनों तत्व एक शरीर में होने के कारण ही वह कई दिव्य शक्तियों से सशक्त होते हैं। इनके भीतर मौजूद इन्द्रियां सामान्य व्यक्ति के मुकाबले साधना के लिए कही अधिक सक्रिय होती हैं। यही कारण है कि यह अपनी मृत्यु का आभास कर लेते हैं। 

होती है भगवान शिव की कृपा

Fact About Kinnar

हालांकि ऐसा सभी किन्नरों के साथ संभव नहीं। मात्र वो किन्नर जो भगवान की साधना करते हैं, पूजा करते हैं और तप करते हैं उन्हें ही भगवान शिव की कृपा से यह सिद्धि प्राप्त होती है कि वह न सिर्फ अपनी मृत्यु का आभास कर सकें बल्कि अपनी मृत्यु का सटीक समय और तिथि भी जान पाएं। 

खुद मिलते है मृत्यु के संकेत 

मान्यता है कि किन्नर को जब अपनी मृत्यु का एहसास होता है तो वह कहीं भी आना-जाना और खाना खाना बंद कर देते हैं। वह ईश्वरीय पूजा-पाठ में जुट जाते हैं और अगले जन्म में किन्नर न बनने की प्रार्थना करते हैं। एक मात्र किन्नर समुदाय ही है जिनमें रात के समय अंतिम संस्कार किया जाता है। 

इसलिए होता है छुपकर अंतिम संस्कार 

किन्नरों का यह नियम होता है कि किन्नर की मृत्यु और उसका अंतिम संस्कार किसी बाहरी को देखने की अनुमति नहीं होती है। इसी कारण से यह रात के अंधेरे में सबसे छुपकर किन्नर समुदाय के व्यक्ति का अंतिम संस्कार करते हैं। 

मौत पर होता है जश्न 

अगर किसी ने मृतक किन्नर को देख लिया तो वह अगले जन्म में फिर किन्नर बनता है। मृतक किन्नर को चप्पल से पीटने की प्रथा भी है। किन्नर समाज में किसी की मृत्यु पर शोक नहीं बल्कि उसकी आजादी के रूप में जश्न मनाया जाता है।