प्रकृति की गोद में कुछ सुकून के पल
भारत के उत्तर-पूर्व में बसा यह राज्य बादलों का घर कहलाता है और यहाँ की पहाड़ियाँ, झरने, झीलें और लोकसंस्कृति हर घुमक्कड़ का मन मोह लेती है।
Meghalaya 3 Day Itinerary: अगर आप प्रकृति की गोद में कुछ सुकून के पल बिताना चाहते हैं और आपके पास सिर्फ तीन दिन का समय है तो मेघालय आपके लिए एक शानदार विकल्प है। भारत के उत्तर-पूर्व में बसा यह राज्य बादलों का घर कहलाता है और यहाँ की पहाड़ियाँ, झरने, झीलें और लोकसंस्कृति हर घुमक्कड़ का मन मोह लेती है। इस जगह पर देश और दुनिया भर से लोग यहाँ के प्राकृतिक वातावरण और मौसम का मज़ा लेने के लिए आते हैं। तो आइए जानते हैं कि सिर्फ तीन दिन में मेघालय की यात्रा कैसे की जा सकती है।
पहला दिन: गुवाहाटी से शिलांग

मेघालय पहुँचने का सबसे आसान रास्ता गुवाहाटी से है। गुवाहाटी एयरपोर्ट से शिलांग की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है जिसे आप टैक्सी या शेयरिंग कैब से तीन घंटे में तय कर सकते हैं। रास्ते में उमियम झील (बड़ा पानी) रुकना न भूलें। यह झील इतना सुंदर है कि यहाँ बोटिंग करते हुए आपको वक्त का पता ही नहीं चलेगा। शिलांग शहर में पहुँचे तो वॉर्ड्स लेक, डॉन बॉस्को म्यूज़ियम और शिलांग पीक जैसे स्थल ज़रूर घूमें। शाम को पुलिस बाज़ार में लोकल स्ट्रीट फूड और हैंडीक्राफ्ट का मज़ा लेना एक अच्छा अनुभव होता है। पहले दिन आप यहीं ठहर सकते हैं। शिलांग में होमस्टे से लेकर बजट होटल तक का विकल्प उपलब्ध है।
दूसरा दिन: चेरापूंजी की बारिश

दूसरे दिन सुबह जल्दी निकलें और चेरापूंजी की ओर बढ़ें जो शिलांग से करीब 60 किलोमीटर दूर है। रास्ते में एलीफैंट फॉल्स और मावक्रा व्यू पॉइंट जैसे आकर्षण आते हैं। चेरापूंजी विश्व की सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में से एक है। यहाँ आप नोहकालिकाई फॉल्स देख सकते हैं जो भारत का सबसे ऊँचा झरना है। इसके अलावा मावस्माई की लाइमस्टोन गुफाएं बेहद दिलचस्प हैं जहाँ आप टॉर्च की रोशनी में संकरी चट्टानों के बीच से गुज़रते हैं। वाही इलाके में सेवन सिस्टर्स फॉल्स और थांगखरांग पार्क भी घूमे जा सकते हैं। आप चाहें तो चेरापूंजी में ही रात बिता सकते हैं या फिर वापस शिलांग लौट सकते हैं।
तीसरा दिन: उमंगोट नदी का जादू

तीसरे दिन की शुरुआत डावकी जाने से करें जो शिलांग से करीब 80 किलोमीटर दूर है। यह भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित एक खूबसूरत कस्बा है और यहाँ की उमंगोट नदी विश्वप्रसिद्ध है। नदी का पानी इतना साफ होता है कि नावें जैसे हवा में तैरती लगती हैं। नाव की सवारी, पत्थरों से भरी नदी की तलहटी को देखना और आसपास के गाँवों की सादगी महसूस करना एक यादगार अनुभव होता है। डावकी से लौटते समय आप मावलिननोंग गाँव भी घूम सकते हैं जिसे एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव कहा जाता है। यहाँ के रूट ब्रिज और बाँस की बनी वॉच टावर से घाटी का दृश्य अत्यंत मनोरम होता है।
यात्रा की सलाह
कपड़े हल्के और वाटरप्रूफ रखें क्योंकि बारिश कभी भी हो सकती है। लोकल ड्राइवर या गाइड लें, ताकि आप सुरक्षित और सही मार्ग से यात्रा कर सकें।खासी जनजाति के रीति-रिवाजों का सम्मान करें और स्थानीय खानपान ज़रूर आज़माएँ। तीन दिन में भले आप मेघालय का हर कोना न देख पाएं लेकिन यहाँ की नमी, हरियाली और शांति आपके मन में बस जाएगी। यह एक ऐसी यात्रा होगी जो छोटी होकर भी बड़ी यादें छोड़ जाएगी।
