Emoji Meaning: सोशल मीडिया और चैटिंग के इस दौर में इमोजी भाषा का अहम हिस्सा बन चुकी है। लोग एक वाक्य लिखने की जगह अकसर एक इमोजी सेंड करके अपनी भावनाएं व्यक्त कर देते हैं। लेकिन ये भावनाएं कितनी सच है, ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है। दरअसल, हाल ही में हुई एक स्टडी में यह कड़वा सच सामने आया कि लोग अकसर खुशी जाहिर करने के लिए, बल्कि अपनी फीलिंग्स को छिपाने के लिए इमोजी सेंड करते हैं। जब वे किसी की बात पर ज्यादा समय नहीं देना चाहते तो ऐसे में एक इमोजी सेंड करके फ्री हो जाते हैं।
फीलिंग छिपाने में युवतियां आगे

शोधकर्ताओं के अनुसार जेन-Z यानी यंगस्टर्स की भाषा का अहम हिस्सा है इमोजी। लेकिन इससे सटीक भावना पहुंचने का सिर्फ भ्रम ही होता है। अक्सर यंगस्टर्स इसे नेगेटिव फीलिंग छिपाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए वैज्ञानिकों ने 11 से 26 साल के सैकड़ों लोगों का अध्ययन किया। स्टडी में ये भी पता चला कि लोग सिर्फ अपना समय बचाने या फिर बात टालने के उद्देश्य से भी इमोजी सेंड कर देते हैं। वे इससे अपनी फीलिंग्स छिपा जाते हैं कि आखिर वे सच में क्या सोच रहे हैं। इतना ही नहीं यह भी सामने आया कि भावनाएं छिपाने में युवतियां आगे हैं। स्टडी में ये भी सामने आया कि लोग हैप्पी इमोजी अपना दुख या गुस्सा नहीं दर्शाने के लिए भेजते हैं।
समझें इमोजी की इस भावना को
टोक्यो यूनिवर्सिटी की ओर से की गई इस स्टडी में ये पता चला कि स्माइली इमोजी का उपयोग अधिकांश लोग अपनी नेगेटिव प्रतिक्रिया को छिपाने के लिए करते हैं, जिससे सामने वाले को पॉजिटिव लगे। लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है। वहीं गुस्से वाले रेड फेस इमोजी लोग तब सेंड करते हैं जब उनमें नकारात्मक भावना बहुत दृढ़ता से होती है। स्टडी को लीड करने वाले टोक्यो यूनिवर्सिटी के भावनात्मक व्यवहार विशेषज्ञ मोयू लियू का कहना है कि जैसे-जैसे ऑनलाइन सोशलाइजिंग बढ़ रही है लोग अपनी फीलिंग्स को सीमित करने लगे हैं, उन्हें छिपाने लगे हैं। वे खुलकर किसी के भी सामने अपनी भावना प्रकट करने से कतराते हैं। वे किसी के लिए सोचते कुछ और हैं और सोशल मीडिया पर उसके लिए लिखते कुछ और ही हैं। ऐसे में हम धीरे-धीरे अपनी भावनाओं पर इतना कंट्रोल कर लेंगे कि उससे हमारा आत्मीय संपर्क ही टूट जाएगा। हम सही से उन्हें एक्सप्रेस ही नहीं कर पाएंगे।
थम्स अप इमोजी को लेकर सामने आया चौंकाने वाला सच

अक्सर आपने भी देखा होगा कि लोग किसी भी बात पर सहमति दिखाने के लिए या फिर ओके बोलने के लिए थम्स अप इमोजी सेंड कर देते हैं। लेकिन शोध में इसे लेकर चौकाने वाले परिणाम सामने आए। जेन-जेड ने कहा कि उन्हें ये इमोजी सबसे बुरी लगती है। यंगस्टर्स ने कहा कि थम्स अप, रेड हार्ट, ओके हैंड या फिर चैकमार्क की इमोजी ऑफिशियल ओल्ड हो चुकी है। वे इन्हें देखना पसंद नहीं करते। इतना ही नहीं रोने के साथ हंसने वाली इमोजी और हल्की सी स्माइल वाली इमोजी भी उन्हें पसंद नहीं है। और लोगों को अब इन्हें यूज करना बंद कर देता चाहिए।
क्या हम सोशल मीडिया के भंवर में फंस गए हैं

यह शोध हमें कई बातों पर गौर करने को मजबूर कर रहा है। क्या अब वो समय आ गया है जब सोशल मीडिया के भंवर में फंसकर लोग अपनी भावनाओं को सच में बताने से बचने लगे हैं। ऐसे में सबसे बेहतर तरीका है कि हम मोबाइल की दुनिया से निकलकर दोस्तों से मिलें, परिवार के साथ समय बिताएं, उनके करीब आएं और एक-दूसरे की भावनाओं को समझें। अगर हमारी नई पीढ़ी इसी तरीके से अपनी भावनाओं को दबाएगी तो कहीं वे भाव शून्य न हो जाए। इसलिए हर पेरेंट को दिन में एक से दो घंटे ऐसे निकालने चाहिए, जब वे बच्चों से खुलकर बात करें।
