Durga Puja 2023: नवरात्रि और दुर्गा पूजा एक ही समय पर मनाए जाने वाले त्योहार हैं l यूं तो इन दोनों त्योहारों का उद्देश्य मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करना है पर इन दोनों के बीच कुछ प्रमुख अंतर है जिसके बारे में आज इस लेख में हम बात करेंगे-
नवरात्रि और दुर्गा पूजा में मां भगवती की होती हैं अलग प्रतिमाएं

नवरात्रि और दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की प्रतिमाएं एक दूसरे से अलग होती हैं I बंगाल में मां दुर्गा की मूर्ति बंगाली शैली की संस्कृति को दर्शाती है जिसमें मां दुर्गा के काले लंबे बाल और बड़ी-बड़ी आंखें हैं इसके विपरीत उत्तर भारत में नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की प्रतिमाओं को शेर पर सवारी करते हुए दिखाया जाता है l
दोनों अलग-अलग राज्यों में मनाए जाने वाले त्योहार हैं
नवरात्रि और दुर्गा पूजा के आने से त्योहारों के मौसम की शुरुआत हो जाती है l नवरात्रि 9 दिनों का त्योहार है जिसमें देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की हर दिन पूजा की जाती है l यह भारत के पश्चिम और उत्तर में मनाया जाने वाला सबसे लोकप्रिय त्योहार है l जबकि दुर्गा पूजा पांच दिवसीय त्योहार है जो मुख्य रूप से बंगाल और अन्य पूर्वी भारतीय राज्यों में मनाया जाता है l इस साल नवरात्रि 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर के बीच है और इसी बीच दुर्गा पूजा 20 अक्टूबर को शुरू होकर 24 अक्टूबर को समाप्त होगी l
शुरुआत के दिन का अंतर

9 दिन के नवरात्रि उत्सव के पहले दिन मां दुर्गा के पहले अवतार मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है वहीं दूसरी ओर दुर्गा पूजा के पर्व की शुरुआत छठे दिन यानी षष्ठी से होती है l यह पूजा मुख्य रूप से राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है l देवी दुर्गा ने अपनी जीत हासिल करने से पहले नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है l
फास्ट और फीस्ट
नवरात्रि के दौरान भक्त अपने घरों में सात्विक भोजन करते हैं व इन नौ दिनों में लहसुन, प्याज, शराब और नॉनवेज छोड़ देते हैं इससे अलग पूर्वी भारत में मनाए जाने वाला त्योहार दुर्गा पूजा एक ऐसी परंपरा को मानता है जिसमें टेस्टी नॉन वेजीटेरियन डिशेज शामिल होती हैं l
उत्सव का अंतर
नवरात्रि का अगला दिन जो दशहरे के नाम से जाना जाता है, इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है इससे अलग मां दुर्गा की मूर्ति के विसर्जन के साथ दुर्गा पूजा का समापन होता है जहां भक्त खुशी से नाचते गाते हैं और अगले वर्ष के आनंदमय उत्सव के लिए अपनी आशा व्यक्त करते हैं l दुर्गा विसर्जन से पहले सिंदूर खेला नाम का एक अनुष्ठान होता है जिसमें विवाहित महिलाएं एक दूसरे पर सिंदूर लगाती हैं l दोनों ही त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जशन मनाते हैं l यह दिन देवी दुर्गा का पूजन करने के दिन हैं जो शक्ति, साहस और करुणा के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित हैं l
