ध्यान का अभ्यास
dhyan ka abhyas

Meditation Practice: एक चन्द्रमा आकाश के अन्धकार को दूर कर देता है। इसी प्रकार, एक आत्मा जो ईश्वर को जानने में प्रशिक्षित हुई है, वह आत्मा जिसमें सच्ची भक्ति और सच्ची खोज एवं तीव्रता है, वह जहां भी जाएगी दूसरों का आध्यात्मिक अन्धकार दूर करेगी।

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ध्यान में निश्चल बैठ कर ईश्वर से वार्तालाप करना धर्म का सच्चा अभ्यास है। परंतु आप गहनता की उस अवस्था तक नहीं पहुंचते, आप पर्याप्त रूप से एकाग्र नहीं होते, और इसीलिए आप भ्रमित रहते हंै।
आरंभ में भक्त केवल सोचते हैं कि यह बहुत लंबा है, परंतु जैसे-जैसे गहरे जाते हैं वे समय को भूल जाते हैं।
ईश्वर की चेतना में रहना पूर्ण रूप से भिन्न है, यह केवल तब आता है जब आप निश्चल बैठें और कहें: एक-एक करके मैं अपनी इंद्रियों के द्वारों को बंद करता हूं, ताकि गुलाब की सुगन्धि या बुलबुल का संगीत मेरे ईश्वरीय प्रेम में बाधा न डाले। और जैसे-जैसे आप गहन से गहनतर एकाग्रता और भक्ति के साथ इसे करते जाते हैं, आप कुछ समय पश्चात देखेंगे कि आप समस्त ध्यान भंग करने वाली वस्तुओं को भूल गए हैं, आपकी अन्तर्दृष्टिï में एक प्रकाश प्रकट हो जाता है अथवा सन्तजन प्रकट होते, या आप एक गहन शांति अथवा दिव्य आनन्द में निमग्न हो जाते हैं।
ईश्वर के विचार को जीवन्त रखते हुए कोई भी आध्यात्मिक कार्य कल्याण करता है, परंतु जो अन्तत: आवश्यक है वह है उन्हें जानने की इस तीव्रता का प्रयास। संपूर्ण विश्व में ध्यान करने के लिए केन्द्र होने चाहिए, जहां पर भक्तजन ईश्वर से संपर्क करने के लिए एक साथ आएं। मैं जब मंदिर में आता हूं तो उसका केवल एक ही उद्ïदेश्य होता है ईश्वर के संसर्ग में रहना और आपको ईश्वर के विषय में बताना। और आप लोग यहां मेरे प्रवचनों को सुनने के लिए और ध्यान के द्वारा ईश्वर की उपस्थिति को अनुभव करने का प्रयास करने के लिए आते हैं। एक चन्द्रमा आकाश के अन्धकार को दूर कर देता है। इसी प्रकार, एक आत्मा जो ईश्वर को जानने में प्रशिक्षित हुई है, वह आत्मा जिसमें सच्ची भक्ति और सच्ची खोज एवं तीव्रता है, वह जहां भी जाएगी दूसरों का आध्यात्मिक अन्धकार दूर करेगी। जो ईश्वर के विषय में केवल सोचते हैं वे थोड़ा-बहुत जगमगाने लगते हैं, परंतु वे संसार को प्रकाश देने में समर्थ नहीं होते। साधारण धार्मिक लोग तारों की भांति हैं, जो किंचित मात्र प्रकाश देते हैं।
ध्यान के द्वारा एक सच्चे भक्त बनें, ताकि आप चन्द्रमा की भांति अपने और अपने आस-पास दूसरों के अन्धकार को दूर कर सकें। ध्यान में प्राप्त अनुभूति के बिना धर्म सबसे अधिक रहस्यमयी पुस्तक है, आप इसे कदापि नहीं समझ पाएंगे। परंतु ध्यान के द्वारा आपको ईश्वर की विद्यमानता का प्रमाण मिलता है।
अपने कमरे में जाकर दरवाजा बन्द कर लें, कोई आडम्बर न करें। बैठ जाएं और ईश्वर के साथ वार्तालाप करें। ध्यान का अभ्यास करें। आपका मन इतना तीव्र हो जाना चाहिए कि अगली बार जब आप ध्यान के लिए बैठें तो आपको प्रयास न करना पड़े, आपका मन प्रभु पर तुरंत एकाग्र हो जाए। आरंभ में यदि आप शारीरिक और मानसिक चंचलता पर विजय पाने के लिए प्रयास नहीं करेंगे, तो आपको हर बार वर्षों तक ध्यान करने के लिए बैठने पर कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। परंतु यदि आप प्रारंभ में ही सर्वोत्तम प्रयास कर लेंगे, तो शीघ्र ही आनन्दित और मुक्त हो जाएंगे।
वैज्ञानिक प्रविधियों द्वारा धर्म को वास्तविक बनाएं। विज्ञान आपको स्पष्टïता और निश्चितता प्रदान करता है। निश्चल बैठें और भारत के महान योगियों महावतार बाबाजी, लाहिड़ी महाशय, स्वामी श्रीयुक्तेश्वर जी द्वारा दी गई प्रविधियों का अभ्यास करें। अपने अंदर विद्यमान उस सर्वोच्च आनन्द को खोजें धर्म एक काल्पनिक कथा मात्र नहीं है बल्कि, एक वैज्ञानिक निश्चितता है। उनसे प्रार्थना करें, प्रभो! आप सृष्टिï के स्वामी हैं, इसलिए मैं आपकी शरण में आया हूं। मैं तब तक प्रयास नहीं छोडूंगा जब तक आप मुझसे वार्तालाप नहीं करेंगे और अपनी विद्यमानता की अनुभूति नहीं कराएंगे। मैं आपके बिना नहीं जीऊंगा।