Nakshatra Meditation Technique: पंडित अजय भाम्बी जी ने ध्यान की एक ऐसी खोजी है जिसका व्यवहारिक प्रयोग करके कोई भी व्यक्ति अपने भीतर की बंद ऊर्जा के स्रोत को जान सकता है। इसके द्वारा व्यक्ति आकाश से ऊर्जा लेकर न केवल अपनी समस्याओं का समाधान कर सकता है बल्कि मुक्ति भी प्राप्त कर सकता है।
नक्षत्र मेडिटेशन या एन.एम. टेक्निक इस तरह से खोजी और बनाई गई है जो इस दुनिया के
प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताओं और अभिलाषाओं को पूर्ण करने में सक्षम है।
मेडिटेशन या ध्यान की बहुत सारी परिभाषाएं हो सकती हैं। लेकिन सबसे सरल शब्दों में ऐसा भी कहा जा सकता है ध्यान एक ऐसी आन्तरिक यात्रा है जहां व्यक्ति क्वांटम छलांग लगाकर मन से अ-मन की अवस्था में या शून्य में प्रवेश करता है।
हम नक्षत्र मेडिटेशन के द्वारा ऐसा मानते हैं कि इस दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति ज्ञान को उपलब्ध हो सकता है। वैसे भी इस दुनिया में इतनी ध्यान की विधियां उपलब्ध हैं जो व्यक्ति को मुक्तिबोध करा सकती हैं।
लेकिन हम ऐसा भी जानते हैं कि ध्यान की सारी विधियां देखने में तो बहुत आसान लगती हैं और प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित भी करती हैं लेकिन कुछ समय प्रयास करने के बाद व्यक्ति की रुचि, अरुचि में परिणत हो जाती है।
इसी बिन्दु से नक्षत्र मेडिटेशन या एन.एम. टेक्निक का महत्त्व स्थापित होता है। अब प्रश्न यह उठता है कि इतनी आसान ध्यान की विधियां होने के बावजूद भी साधारणतया व्यक्ति कभी भी ध्यान को उपलब्ध नहीं हो पाता जबकि ध्यान को उपलब्ध होना प्रत्येक व्यक्ति का नैसर्गिक गुणधर्म है। जन्म नक्षत्र के पास इस समस्या का समाधान है। नक्षत्र और त्रिगुण या व्यक्ति की प्रकृति का एक दूसरे के साथ गहरा संबंध है। ये त्रिगुण-सात्विक, राजसिक और तामसिक हैं। व्यक्तित्व पर गुणों के अत्यधिक प्रभाव के कारण व्यक्ति आसानी से एकाग्र या फोकस नहीं हो पाता और उसका मन सदा ही चलायमान रहता है।
प्रत्येक नक्षत्र का अपना एक आकार, आकृति और प्रतीक होता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक नक्षत्र एक विशेष प्रकार की नैसर्गिक शक्ति या ऊर्जा के द्वारा व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का संचालन भी करता रहता है। गुणों या प्रकृति के द्वारा व्यक्ति के साधारण व्यक्तित्व का निर्धारण होता है। और नक्षत्र की अन्य खूबियां व्यक्ति को एक विशेष दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती हैं। नक्षत्रों के द्वारा ही व्यक्ति के चारित्रिक गुण और अवगुणों का निर्धारण होता है। व्यक्ति के जीवन की सारी उपलब्धियां नक्षत्र के सद्ïगुणों के द्वारा ही तय होती है और अगर व्यक्ति जीवन में कहीं फंसा हुआ है तो इसका कारण भी उसका नक्षत्र है।
प्रत्येक नक्षत्र का अपना एक देवता होता है। जो ईश्वर या ब्राह्मïणीय चेतना से जोड़ता है। जब कोई व्यक्ति एन.एम. टेक्निक से ध्यान करता है तो यह विधि उसकी चेतना को पृथ्वी से उठाकर ब्रह्मांड से जोड़ देती है। ऐसा भी कह सकते हैं कि वो आकाश में अपने नक्षत्र से जुड़ जाता है। ब्रह्मांडीय चेतना उसे अपने में मिलाना प्रारंभ कर देती है और फिर उसका परमात्मा या ब्रह्मांडीय चेतना के साथ एकाकार हो जाता है।
नक्षत्र मेडिटेशन विधि
इस विधि के चार चरण हैं, जिसमें से प्रथम तीन चरण सब के लिए सामान्य हैं, चौथा अंतिम चरम हर इंसान के लिए उसके नक्षत्र अनुसार भिन्न हैं जो कि सर्वाधिक उपयोगी व असरकारक है, जिसे आप भाम्बी जी के ध्यान शिविरों में सीख सकते हैं।
पहला चरण (10 मिनट)- अपनी रीढ़ की हड्डी और सिर को सीधे रखते हुए आसन में बैठ जाएं। सांस को बाहर छोड़ते हुए यह अभ्यास आरंभ करें। अपने फेफड़ों को पूरी तरह से खाली कर लें और फिर धीरे-धीरे गहरी सांस अंदर लें। जब आप सांस पूरी तरह से अंदर ले लें तो अपनी सांस कुछ समय के लिए रोक लें और 1…2…3… की गिनती शुरू कर दें और अगर आप चाहें तो अपनी सांस रोके हुए ही एक छोटा-सा मंत्र जपना शुरू कर दें। गिनती करते हुए या मंत्रपाठ करते हुए आप अपना पूरा ध्यान रीढ़ की हड्डïी के मूल में लगाएं। अब धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ना शुरू करें, अपने फेफड़ों को पूरी तरह से खाली कर लें और और अपनी सांस रोक लें। सांस रोके हुए ही आप अपना पूरा ध्यान अपने सिर के ऊपर सहस्त्रार चक्रपर लगाएं और सांस रोके हुए ही गिनती करना या मंत्रपाठ जारी रखें। यह प्रक्रिया अगले 10 मिनट तक जारी रखें। अभ्यास पूरा होने के बाद सामान्य रूप में सांस लेने लगें और अपना ध्यान दोनों भौहों के बीच तीसरे नेत्र पर लगा लें। इसी आसन में बैठे रहें।
दूसरा चरण (10 मिनट)- दूसरे चरण में आपका ध्यान पहले ही तीसरे नेत्र पर टिका है और आप इसी मुद्रा में बैठे रहें। धीरे-धीरे सिर से पंजे तक अपने शरीर का उपचार शुरू कर दें। यदि आपके शरीर के किसी अंग में दर्द हो रहा हो या कोई अंग कमजोर हो तो अपना पूरा ध्यान उस पर ले आएं और धीरे-धीरे उसका उपचार शुरू कर दें। उदाहरण के लिए यदि आपके घुटने में दर्द हो रहा हो या उसमें सूजन आ गयी हो तो आप इसका उपचार अपनी प्राणिक शक्ति से करें। यदि आप अपने घुटने की संरचना को जानते हैं तो आपका उपचार बेहतर और जल्दी हो सकता है। हो सकता है कि आपके घुटने का उपचार एक सिटिंग में पूरा न हो लेकिन यदि आप यह अभ्यास लगातार जारी रखते हैं तो आप यह देखकर हैरान रह जाएंगे कि आपका घुटना पूरी तरह से ठीक हो गया है और अब आपको कोई परेशानी नहीं है। यदि आपका शरीर पूरी तरह से स्वस्थ है तो इसे अपने उपचार से आप इसे और भी जीवंत, प्राणवान और ऊर्जावान बना सकते हैं।

तीसरा चरण (10 मिनट)- तीसरे चरण में अपना ध्यान फिर से तीसरे नेत्र पर लगाएं और उसी मुद्रा में बैठे रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें। पिछले अनेक वर्षों में आपने अपने दिमाग में कितना गंद भर लिया होगा। अपने आध्यात्मिक उन्नयन के लिए अपनी प्राणिक शक्ति लगाने के लिए आपको अपना पूरा दिमाग और शक्ति इस कचरे को पूरी तरह से साफ करने में लगानी होगी। नकारात्मक उद्वेग, भावनाएं, संवेदनशीलता और स्मृतियां हम सबके लिए तकलीफ और चिंता के मूल स्रोत बन गये हैं। यदि हमारा दिमाग नकारात्मकता से अटा पड़ा है तो इससे सारी सकारात्मक शक्तियां चुकने की प्रवृत्ति बन जाती है। इसलिए आपको उन तमाम नकारात्मक उद्वेगों और भावनाओं से छुटकारा पाना होगा जो आपने दूसरों से लेकर अपने ऊपर ओढ़ ली हैं। साथ ही आपने अपने जीवन में अनेक लोगों को आहत भी किया होगा और जो आपके आध्यात्मिक उन्नयन में बाधा बनी हुई हैं। आप अपने दिमाग और आत्मा के भीतर ही घुटने टेककर और सिर झुकाकर अपनी करतूतों के लिए हर उस आदमी से माफी मांगें, जिसे भी आपने कोई तकलीफ दी हो। इन लोगों के चेहरे और नाम याद रखने की जरूरत नहीं है। साथ ही आप उन लोगों से भी माफी मांगें जिनको आपने अपने पूरे जीवन में कभी भी मनसा-वासा-कर्मणा कोई भी चोट पहुंचायी हो। ध्यानावस्था में ही बैठे हुए पूरी गंभीरता से यह अभ्यास करें।
