Overview: सावन में भंडारा करने का महत्व
क्या आप जानते हैं कि सावन में भंडारा कराने से ना सिर्फ भूखों का पेट भरता है बल्कि शिवजी और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है?
Sawan 2025 Bhandara Benefits: सावन का महीना भक्ति, तपस्या और पुण्य के लिए जाना जाता है। इस पावन काल में भक्तगण व्रत रखते हैं, शिवालयों में जाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। सावन केवल शिव उपासना का समय नहीं है, बल्कि यह अवसर होता है सेवा, दान और परोपकार का भी। इन्हीं धार्मिक कार्यों में से एक है, भंडारा आयोजन, जो ना केवल भोलेनाथ को प्रसन्न करता है, बल्कि मां अन्नपूर्णा की विशेष कृपा भी दिलाता है।
कौन हैं मां अन्नपूर्णा ? क्यों है इनका विशेष महत्व?
मां अन्नपूर्णा को देवी पार्वती का एक रूप माना जाता है, जो अन्न और पोषण की देवी हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब धरती पर अन्न का संकट उत्पन्न हो गया। तब भगवान शिव स्वयं भिक्षुक का रूप धारण करके देवी अन्नपूर्णा के द्वार पर पहुंचे और अन्न की याचना की। उसी क्षण से मां अन्नपूर्णा को संपूर्ण जगत का पालन-पोषण करने वाली देवी के रूप में पूजा जाने लगा।
माना जाता है कि जिन घरों में मां अन्नपूर्णा की कृपा होती है, वहां कभी अन्न की कमी नहीं होती। साथ ही घर में सुख-शांति, समृद्धि और रोगों से मुक्ति बनी रहती है। अन्न का दान करके व्यक्ति इस कृपा को प्राप्त कर सकता है।
सावन में भंडारा करने का महत्व
सावन माह में शिव पूजा के साथ-साथ दान और सेवा को भी विशेष रूप से पुण्यकारी माना गया है। भंडारा, जिसमें लोगों को निःशुल्क भोजन कराया जाता है, सबसे श्रेष्ठ दानों में से एक है। जब कोई व्यक्ति सावन में भंडारा करता है, तो वह केवल भूखों को भोजन ही नहीं देता, बल्कि उसे कई आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होते हैं।
शिवजी को प्रिय है अन्नदान
भगवान शिव को दया, करुणा और सेवा के रूप में अर्पित कार्य अत्यंत प्रिय हैं। अन्नदान को वे अत्यंत फलदायी मानते हैं। धार्मिक मान्यताओं में यह बताया गया है कि सावन में यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से भंडारा करता है, तो शिवजी उसकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और जीवन में सुख-शांति बनाए रखते हैं।
मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त करें
भंडारे में दिया गया अन्न केवल भूख नहीं मिटाता, बल्कि देवी अन्नपूर्णा की विशेष कृपा को आकर्षित करता है। जो भी भक्त सच्चे भाव से अन्नदान करता है, उसके घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं रहती। यह दान रोग-शोक को दूर करता है और परिवार को मानसिक और शारीरिक संतुलन प्रदान करता है।
पितरों को मिलती है शांति
भंडारे में कराया गया अन्न केवल इस लोक के लोगों को ही नहीं, बल्कि पितृलोक तक भी पहुंचता है। मान्यता है कि भंडारे में भोजन करने वालों के आशीर्वाद से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। यह पितृ दोष को शांत करने का प्रभावी उपाय भी माना जाता है।
अन्नदान, सर्वोत्तम पुण्य कार्य
वेदों और धर्मग्रंथों में कहा गया है, “अन्नं ब्रह्मेत्येव जानाति” यानी अन्न को ब्रह्म के समान माना गया है। अन्न का दान जीवन को सीधे प्रभावित करता है, क्योंकि यह जीव के अस्तित्व से जुड़ा है। इसलिए सावन जैसे शुभ महीने में अन्नदान करने से कई गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है, जो इस लोक और परलोक दोनों में शुभ फल देता है।
