हिंदू धर्म में स्वस्तिक चिन्ह का महत्व: Importance of Swastik
Importance of Swastik

Importance of Swastik: स्वस्तिक एक संस्कृत शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है, सु + अस्ति l इसमें सु का अर्थ है ‘अच्छा’ और अस्ति का अर्थ है ‘अस्तित्व’ l इस प्रकार स्वस्तिक चिन्ह कल्याण करने वाला माना जाता है l उत्सवों और अन्य अवसरों के दौरान लोग अक्सर इसे समृद्धि, खुशी और पवित्रता के लिए बनाते हैं l यह सर्जन, संरक्षण और विनाश के शाश्वत चक्र को दर्शाता है l स्वस्तिक के अनेक अर्थ और प्रतीक हैं l हिंदू धर्म में यह चिन्ह सौभाग्य, शान्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है I पुराणों के अनुसार भगवान नारायण के पैरों में 16 विशेष चिन्ह हैं और स्वस्तिक उनमें से एक है l इस तरह स्वस्तिक दिव्य है और हर चीज को ईश्वर से जोड़ देता है l स्वस्तिक को सूर्य के प्रतिनिधित्व के रूप में भी माना जाता है l

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स्वस्तिक का महत्व

Importance of Swastik
The Divine Symbol Swastik

सनातन धर्म में स्वस्तिक चिन्ह बहुत महत्वपूर्ण है I ऐसा माना जाता है कि यह चिन्ह चारों दिशाओं से मंगल को आकर्षित करता है और सौभाग्य का सूचक है l इसे कुमकुम, चन्दन या सिंदूर से बनाए जाने पर वास्तु दोष और ग्रह दोष दूर होते हैं l घर में स्वस्तिक का चिन्ह बनाने से लक्ष्मी माता प्रसन्न होती हैं और धन लाभ का योग बनता है l घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है व सभी मंगल कार्य सिद्ध होते हैं l मान्यताओं के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक चिन्ह बनाने से व्यक्ति के जीवन में और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है l पढ़ने वाले बच्चों के लिए स्वस्तिक का पेंडेंट गले में पहनना शुभ माना जाता है l ऐसा करने से पढ़ाई के समय एकाग्रता बनी रहती है l आप सोने या चांदी दोनों का ही स्वस्तिक पहन सकते हैं l अपने वाहन में स्वस्तिक का चिन्ह बनाने से दुर्घटना की संभावना कम हो जाती है l

स्वस्तिक की चार शाखाएं

The Power Of Swastik
The Power Of Swastik

• चार वेद – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद का प्रतिनिधित्व करती हैं l
• चार मुखो वाले भगवान ब्रह्मा सभी दिशाओं में पवित्र ज्ञान प्रदान करते हैं l
• पुरुषार्थ का प्रतीक है और धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को दर्शाता है l
• जीवन के चार चरण – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास को दर्शाता है l
• चार वर्ण – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को दर्शाता है l
• चार युग – सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग को दर्शाता है I

विभिन्न संस्कृतियों में स्वस्तिक चिन्ह

A Symbol Of Well Being
A Symbol Of Well Being

• हिंदू धर्म में स्वस्तिक चिन्ह घर में किसी भी प्रकार की पूजा, अनुष्ठानों आदि में अवश्य बनाया जाता है l यह घर में शक्ति लाने और भारतीय संस्कृति को समाहित करने के लिए पूजनीय माना जाता है l किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले दैवीय आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुमकुम से यह बनाना अति शुभ माना जाता है I
• बौद्ध धर्म में स्वस्तिक शुभता का प्रतीक है जो भगवान बुद्ध के कदमों और उनके हृदय का प्रतिनिधित्व करता है l यह धर्म और धार्मिकता के मार्ग का भी प्रतीक है l
• जैन धर्म में स्वस्तिक को सातवें तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ के प्रतीक के रूप में देखते हैं l यह अस्तित्व की चार अवस्थाओं और चार धार्मिक समुदाय का प्रतीक है l
• जापान, चीन और पूर्वी एशियाई संस्कृतियों में स्वस्तिक, सौभाग्य, समृद्धि और दीर्घायु का प्रतिनिधित्व करता है l

मेरा नाम दिव्या गोयल है। मैंने अर्थशास्त्र (Economics) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से हूं। लेखन मेरे लिए सिर्फ एक अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि समाज से संवाद का एक ज़रिया है।मुझे महिला सशक्तिकरण, पारिवारिक...