Overview: चातुर्मास 2025 कब शुरू और कब समाप्त होगा?
चातुर्मास 2025 की शुरुआत आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी से हुई थी और इसका समापन 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी पर होगा। इस दिन से विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और सभी शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे। चातुर्मास आत्मशुद्धि, पूजा और साधना का समय माना जाता है।
Chaturmas 2025 End Date: हिंदू पंचांग में वर्ष भर के त्यौहार और व्रत विशेष महत्व रखते हैं। इन्हीं में से एक है चातुर्मास, जिसे आम भाषा में चौमासा भी कहा जाता है। यह अवधि चार महीनों तक चलती है और इसे भगवान विष्णु की योगनिद्रा का समय माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश या मुंडन नहीं किए जाते। लेकिन यह समय आत्मिक साधना, तप और पूजा-पाठ का होता है।
आइए जानते हैं चातुर्मास 2025 की शुरुआत और समाप्ति की तिथि, इसके पीछे छिपे धार्मिक और प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ यह भी कि शुभ कार्यों की नई शुरुआत कब होगी।
चातुर्मास 2025 कब शुरू और कब समाप्त होगा?
चातुर्मास की शुरुआत हर वर्ष आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी से होती है। 2025 में यह तिथि जुलाई महीने में पड़ चुकी है। इस तिथि से भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा धारण कर लेते हैं और पूरे चार महीनों तक वहीं विश्राम अवस्था में रहते हैं।
यह अवधि कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तक चलती है। वर्ष 2025 में यह तिथि 1 नवंबर, शनिवार को है। जैसे ही भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं, वैसे ही रुके हुए शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है और घर-घर में फिर से मांगलिक रस्में गूंजने लगती हैं।
क्यों रुकते हैं शुभ और मांगलिक कार्य?
चातुर्मास को लेकर दो प्रकार के कारण बताए गए हैं – धार्मिक और प्राकृतिक।
धार्मिक कारण
चातुर्मास की अवधि में पितृपक्ष का आगमन होता है। इस समय किसी भी शुभ कार्य को वर्जित माना जाता है।
ऋषि-मुनि और तपस्वी इस दौरान एक ही स्थान पर रहकर जप-तप और साधना करते हैं। इसलिए समाज में भी संयम और आत्मनियंत्रण का पालन करने की परंपरा रही है।
प्राकृतिक कारण
यह समय वर्षा ऋतु का होता है। लगातार बारिश के कारण यात्रा करना, बड़े समारोह या आयोजन करना कठिन हो जाता है।
विवाह, गृह प्रवेश जैसे आयोजन के लिए अनुकूल वातावरण नहीं होता, इसलिए इन्हें टाल दिया जाता है।
चातुर्मास में क्या करना चाहिए?
हालांकि इस दौरान विवाह और शुभ कार्यों पर रोक रहती है, लेकिन इसे आत्मिक शुद्धि और भक्ति का श्रेष्ठ समय माना जाता है।
पूजा-पाठ और व्रत : इस समय भगवान विष्णु और शिव की विशेष आराधना करनी चाहिए।
जप और ध्यान : मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा पाने के लिए ध्यान और जप श्रेष्ठ माने जाते हैं।
संयमित जीवन : लोग इस अवधि में नकारात्मक आदतों जैसे क्रोध, झूठ और हिंसा से दूर रहने का प्रयास करते हैं।
पुण्य का लाभ : धार्मिक मान्यता है कि चातुर्मास में किया गया छोटा-सा पुण्य कर्म भी कई गुना फल देता है।
देवउठनी एकादशी पर बजेगी शहनाई
जैसे ही 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा, उसी दिन से चातुर्मास का समापन हो जाएगा। इसके साथ ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।
विवाह की तिथियां (नवंबर-दिसंबर 2025)
नवंबर 2025
2, 3, 6, 8
12, 13, 16, 17, 18
21, 22, 23, 25, 30
दिसंबर 2025
4, 5, 6
इन तिथियों से विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों का नया दौर शुरू होगा और घर-घर में खुशियों का वातावरण बनेगा।
