Chaturmas 2025 Date: चातुर्मास को हिंदू धर्म में ऐसी अवधि माना जाता है जिसमें शुभ मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। चातुर्मास लगते ही शादी विवाह की शहनाई सुनाई देना बंद हो जाती है, क्योंकि इस दौरान पूरे 4 महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य कई कार्य हैं जो इस दौरान वर्जित होते हैं। आइए जानते हैं इस साल कब से शुरू होने वाला है चातुर्मास का महीना और फिर कब से शुरू होंगे मांगलिक काम।
कब से कब तक रहेगा चातुर्मास

इस साल 14 अप्रैल से विवाह के लिए शुभ मुहूर्त की शुरुआत हुई थी जिस पर अब विराम लग चुका है और यह विराम लंबे समय तक लगा रहेगा। बता दें कि 8 जून 2025 को शुभ मांगलिक कार्यों के लिए अंतिम मुहूर्त था। अब इसके बाद 145 दिन बाद ही फिर से शहनाइयां गूंजेगी। इसका कारण यह है कि 12 जून को गुरु अस्त हो गए हैं और 9 जुलाई तक अस्त रहेंगे। गुरु को शुभ ग्रह माना जाता है और जब तक गुरु अस्त अवस्था में होते हैं तब तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते। इसके बाद 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी।
मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी पर जागते हैं। इस दौरान सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं। इसी अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास लगते ही 4 महीने तक केवल शादी-विवाह ही नहीं बल्कि सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत आदि जैसे शुभ कार्य करना शुभ नहीं माना जाता है। बता दें कि चातुर्मास 6 जुलाई से शुरू होकर 1 नवंबर 2025 तक रहेगा।
पहले गुरु अस्त फिर लगेगा चातुर्मास

ज्योतिष के अनुसार गुरु 12 जुलाई को अस्त हुए हैं और 27 दिनों तक अस्त अवस्था में रहेंगे। गुरु की अस्त अवस्था शुभ कामों के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। इसलिए इस समय शादी-विवाह जैसे शुभ काम नहीं होते। क्योंकि शुक्र और गुरु ग्रह को विवाह का कारक माना जाता हैं। मान्यता है कि अगर इस अवधि में विवाह किया जाए तो दांपत्य जीवन में कई तरह की परेशानियां रहती है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में इस समय लोग मांगलिक कार्यों को टाल देते हैं और शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा करते हैं। पंचाग के मुताबिक पहले तो 27 दिन गुरु अस्त रहेंगे और फिर इसी बीच चातुर्मास भी लग जाएगा। ऐसे में 9 जून से 1 नवंबर 2025 के बीच 145 दिनों तक शुभ-कार्यों पर विराम लगा रहेगा।
चातुर्मास में क्या करें और क्या नहीं

- चातुर्मास की अवधि में शादी-विवाह और सगाई जैसे कार्य की मनाही होती है। हालांकि सीमान्त, अन्नप्राशन, जातकर्म आदि जैसे कार्य किए जा सकते हैं।
- चातुर्मास के दौरान नियमित पूजा-पाठ या व्रत आदि पर भी कोई रोक नहीं होती है। लेकिन जनेऊ संस्कार, मुंडन और गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
- चातुर्मास की अवधि में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि भी किए जा सकते हैं। लेकिन इस दौरान नए घर या वाहन की खरीदारी न करें तो बेहतर है।
