Budhaditya Yoga Benefits: विभिन्न ग्रहों की युति से कुंडली में शुभ-अशुभ योग का निर्माण होता है। ग्रहों की युति से बनने वाले इन योग का व्यक्ति को जीवन पर भी शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है। बात करें बुधादित्य योग की तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य और बुध ग्रह की युति से इस योग का निर्माण होता है। कह सकते हैं कि ग्रहों के राजा और युवराज के एक साथ आने पर बुधादित्य योग का निर्माण होता है, क्योंकि ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा और बुध को युवराज कहा गया है। सौर मंडल में बुध सूर्य के सबसे समीप रहता है। कुंडली में भी बुध और सूर्य अधिकतर एक साथ नजर आते हैं। जब किसी राशि में यह दोनों ग्रह एक साथ आ जाते हैं तो ऐसे में बुध आदित्य योग बनता है।
राजसी जीवन देता बुधादित्य योग
बुधादित्य योग को लेकर ऐसा कहा जाता है कि, जिस जातक की कुंडली में यह योग होता है वह राजासी यानी राजाओं की भांति जीवन जीता है। इसलिए बुधादित्य योग का कुंडली में होना राजयोग के समान कार्य करता है। हालांकि कुंडली के 12 भाव भी होते हैं और इन 12 भावों में बुधादित्य योग का फल भी अलग-अलग होता है। आइये जानते हैं कुंडली के अलग-अलग भाव में बुधादित्य योग का प्रभाव.

लग्न भाव: ज्योतिष के अनुसार कुंडली के प्रथम भाव या लग्न भाव में बुधादित्य योग बनने पर व्यक्ति को मान-सम्मान और यश मिलता है। ऐसा व्यक्ति चतुर और बुद्धिमानी होने के साथ ही शारीरिक रूप से भी मजबूत होता है। वह शुरुआत से ही अपने करियर को लेकर गंभीर होता है और लक्ष्य को पाने का भरभस प्रयास करता है।
दूसरा भाव: कुंडली के द्वितीय भाव में यदि यह योग बने तो ऐसे व्यक्ति का जीवन सुख-सुविधाओं के साथ व्यतीत होता है। यदि व्यक्ति का जन्म गरीब परिवार में भी होता है तो वह धीरे-धीरे धनी बन जाता है। कुंडली के इस भाव में बुधादित्य योग के बनने पर कर्ज से मुक्ति मिलती है और धन संपत्ति का लाभ होता है।
तृतीया भाव: किसी व्यक्ति के कुंडली के यदि तीसरे भाव में यह योग बनता है तो ऐसे व्यक्तियों का अपने भाई-बहनों के साथ बहुत अच्छा संबंध नहीं होता है। साथ ही इस भाव में बुधादित्य योग होने पर भाग्य के कई अवसर भी खोते चले जाते हैं। हालांकि नौकरी व्यवसाय में व्यक्ति खूब तरक्की करता है और ऊंचे पद पर आसीन होता है। इसलिए इस भाव में बुधादित्य योग का होना सामान्य फलदायी होता है।
चतुर्थ भाव: किसी जातक की कुंडली के चौथे भाव में इस योग के बनने से वह विद्वान और श्रेष्ठ लोगों की संगति में रहना ज्यादा पसंद करता है। ऐसे लोगों को जीवन में खूब सफलता मिलती है और इन्हें हर तरह की लग्जरी लाइफ का सुख भी मिलता है।

पंचम भाव: कुंडली के पांचवे भाव में इस योग के बनने से बहन और भाभी के साथ हमेशा वैचारिक रूप से मतभेद बने रहते हैं। अध्यात्म और कला के क्षेत्र में ऐसे लोगों की खास रुचि होती है यह योग अल्प संतान प्रदाता होता है।
षष्ठ भाव: इस भाव में बुधादित्य योग का होना सामान्य रूप से शुभ फलदायी माना जाता है। ऐसे लोगों के जीवन में चुनौतियां आती हैं। लेकिन वह चुनौतियों से निपटने की शक्ति भी रखते हैं। पारिवारिक जीवन में भी कुछेक परेशानियां रहती हैं।
सप्तम भाव: कुंडली के सातवें भाव में इस योग के बनने पर दांपत्य जीवन में परेशानियां रहती है और ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन बहुत ज्यादा अच्छा नहीं होता, क्योंकि इन्हें जीवनसाथी से अपेक्षाकृत अपेक्षा के अनुसार कम सहयोग मिलता है। हालांकि नौकरी-व्यवसाय में अच्छी सफलता मिलती है।
अष्टम भाव: कुंडली के आठवीं भाव में बुधादित्य योग के बनने से व्यक्ति उलझा हुआ रहता है। ऐसे लोगों के साथ दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है और कुछ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी रहती हैं।

नवम भाव: कुंडली के नौंवे भाव में बुधादित्य योग के बनने पर लोगों को जीवन के हर क्षेत्र में शुभ फल मिलते हैं। हालांकि इन्हें सफलता के लिए मेहनत करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। अगर यह थोड़ी मेहनत भी करेंगे तो इन्हें उम्मीद से अधिक सफलता मिलेगी।
दशम भाव: कुंडली के दसवें भाव में इस योग के बनने पर ऐसे लोग धन कमाने में चतुर होते हैं। नौकरी-व्यापार में भी यह खूब सफलता हासिल करते हैं और उच्च पद पर आसीन होते हैं।
एकादश भाव: कुंडली के एकादश या 11वें भाव में बुधादित्य योग के होने पर व्यक्ति को खूब धन प्राप्त होता है। ऐसे लोगों का जीवन धन-धान्य से संपन्न होता है।
द्वादश भाव: कुंडली के बारहवें भाव में बुधादित्य योग होने पर, धन के मामले में बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिलता। साथ ही पारिवारिक विवाद और रिश्तो में मतभेद बने रहते हैं। धन की प्राप्ति होती है लेकिन धन खर्च भी बना रहता है।
