कहते है मरणासन्न रोगी भी महामृत्युंजय जाप से महादेव को खुश करके जीवन पा लेता हैं। दुर्घटना, बीमारी, अनिष्ट ग्रहों के प्रभावों से दूर करने, अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र जप करने का विधान है, लेकिन इस मंत्र का जाप करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे कि इसका लाभ पूरी तरह से आपको मिल सके। जानिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
 
  • जितने भी दिन का यह जाप हो। उस समय मांसाहार बिल्कुल भी न खाएं।
  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें।
  • महामृत्युमंजय मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग पर दूध मिले जल से अभिषेक करते रहे।
  • इस रुद्राक्ष माला को गौमुखी में ही रख कर करें पूरा मंत्र हो जाने के बाद ही गौमुखी से बाहर निकाले।
  • मंत्र जाप करते समय धूप-दीप जलते रहना चाहिए।
  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय उसका उच्चारण ठीक ढंग से करें। 
  • मंत्र का जाप करते समय उच्चारण होंठो से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि इसका अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में मंत्र जप करें।
  • मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करे।
  • मंत्र का जप उसी जगह करे जहां पर शिव भगवान की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युमंजय यंत्र रखा हो।
  • इस मंत्र या कोई भी पूजा बिना आसन के न करें।
  • इस मंत्र का जाप एक निर्धारित जगह में ही करें। रोज अपनी जगह न बदलें।
  • इस मंत्र का जाप करते समय आलस्य को पास न आने दे।

 

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