Why is Dakshineswar Kali Temple special?

Summary: दक्षिणेश्वर काली मंदिर का आध्यात्मिक महत्व और भक्तों की मुरादें पूरी करने वाला स्थल

दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता के पास गंगा नदी के पूर्वी किनारे स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो मां काली को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 19वीं सदी में रानी रासमणि ने करवाया था, जिन्होंने मां काली के सपने के बाद 1847 में इसकी नींव रखी थी। मंदिर का उद्घाटन 1855 में हुआ था।

Dakshineswar Kali Temple: देश में कई ऐसे शानदार मंदिर हैं, जो सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र रहे हैं। भारत में देवी के कई मंदिर हैं जो हिंदू धर्म में मां काली को शक्ति की देवी माना जाता है, इन्हीं में से एक दक्षिणेश्वर काली मंदिर भी है। यह मंदिर कोलकाता से थोड़ी ही दूरी पर, गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है। मां काली को समर्पित यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि बंगाल की संस्कृति और कला को भी दर्शाता है। मंदिर की सुंदर बनावट और शांत वातावरण लोगों को बहुत आकर्षित करता है।

Dakshineswar Kali Temple-The Three-Storied Temple and Nine Shikharas
This is how the temple was built

दक्षिणेश्वर मंदिर की नींव 19वीं शताब्दी में रानी रासमणि ने करवाया था। रानी रासमणि काशी जाकर पूजा करना चाहती थीं, लेकिन एक रात मां काली ने उन्हें सपने में दर्शन देकर यहीं गंगा किनारे एक भव्य मंदिर बनाने को कहा। इसके बाद उन्होंने लगभग 20-25 एकड़ जमीन खरीदी और इसके बाद साल 1847 में मंदिर निर्माण शुरू हुआ। लगभग 8 साल बाद 31 मई 1855 को मंदिर का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर एक लाख से ज्यादा ब्राह्मणों को आमंत्रित किया गया था।

मां काली का यह दक्षिणेश्वर मंदिर बंगाल की नव-रत्न शैली में बना है, जिसमें 9 गुंबद हैं। मुख्य मंदिर 3 मंजिला है। मंदिर के गर्भगृह में मां काली का रूप “भवतरिणी” के रूप में विराजमान है। मूर्ति में मां काली, भगवान शिव के वक्ष पर खड़ी हैं और यह चांदी के कमल पर स्थापित है, जिसमें 1000 पंखुड़ियां हैं। मंदिर परिसर में 12 छोटे-छोटे शिव मंदिर हैं, जिनमें काले पत्थर के शिवलिंग स्थापित हैं। इसके अलावा, यहां एक राधा-कृष्ण मंदिर भी है, जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है।

Maa Kali Fulfills the Wishes of Devotees
What is the temple spiritual significance

दक्षिणेश्वर मंदिर केवल पूजा का स्थान ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक साधना का भी केंद्र है। इस मंदिर में महान संत श्रीरामकृष्ण परमहंस ने 14 साल तक साधना की थी। मंदिर परिसर में स्थित पंचवटी, बकुलतला घाट, और नहबात खाना जैसी जगहें उनकी साधना से जुड़ी यादें संजोए हुए हैं। रानी रासमणि ने इस मंदिर के दरवाजे सभी जातियों और धर्मों के लोगों के लिए खुले रखे थे, जो उस समय के लिए एक साहसिक कदम था।

इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। कोलकाता में दक्षिणेश्वर काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर मां की असीम कृपा बनी रहती है। मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष भीड़ होती है। लोग यहां आकर रोग, कष्ट, और मन की परेशानी से मुक्ति की कामना करते हैं। लोग देवी से रोग-दोष से मुक्ति, सुख-समृद्धि और मन की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

Easy Way to Reach the Temple
Easy Way to Reach the Temple

एक प्राचीन कहानी के अनुसार, माता सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर अपने प्राण त्याग दिए थे। यह देखकर भगवान शिव बहुत दुखी हुए और माता सती के शरीर को उठाकर पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे। इससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ गया। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को टुकड़ों में बांट दिया। जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ बने। ऐसा माना जाता है कि दक्षिणेश्वर काली मंदिर उस जगह पर बना है, जहां माता सती के दाहिने पैर की उंगलियाँ गिरी थीं। इसलिए यह जगह बहुत पवित्र और शक्तिशाली मानी जाती है।

दक्षिणेश्वर मंदिर तक पहुंचना बेहद आसान है। यह कोलकाता रेलवे स्टेशन से लगभग 14 किलोमीटर दूर है। नजदीकी हवाई अड्डा है नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो लगभग 15-17 किलोमीटर दूर है। आप यहां टैक्सी, लोकल ट्रेन या मेट्रो की मदद से आसानी से पहुंच सकते हैं।

मेरा नाम नमिता दीक्षित है। मैं एक पत्रकार हूँ और मुझे कंटेंट राइटिंग में 3 साल का अनुभव है। मुझे एंकरिंग का भी कुछ अनुभव है। वैसे तो मैं हर विषय पर कंटेंट लिख सकती हूँ लेकिन मुझे बॉलीवुड और लाइफ़स्टाइल के बारे में लिखना ज़्यादा पसंद...