क्या महिलाएं पितृपक्ष में कर सकती हैं पिंडदान? गरुड़ पुराण की मान्यता जानें: Pitru Paksha 2024 Upay
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Pitru Paksha 2024 Upay: पितृ पक्ष के 16 दिनों का समय हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, जो पूरी तरह से पूर्वजों को समर्पित होता है। पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन माह की अमावस्या तक चलता है। इस 16-दिन की अवधि में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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पितृ पक्ष का यह समय पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर होता है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इन कर्मकांडों का उद्देश्य पितरों की आत्मा को संतुष्ट करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना होता है, जिससे परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।

पितृ पक्ष के 16 दिनों के दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है, क्योंकि यह समय पूरी तरह से पितरों को समर्पित माना जाता है। इन दिनों में शादी-विवाह या उससे संबंधित किसी भी रस्म को करना वर्जित होता है। साथ ही, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी इस अवधि में नहीं किए जाते। पितृ पक्ष के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों से बचने की परंपरा है, क्योंकि इस समय का उद्देश्य केवल पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और अन्य अनुष्ठानों पर ध्यान केंद्रित करना होता है, जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले और उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

पितृ पक्ष के दौरान एक आम मान्यता यह है कि इस समय कोई नई चीज़ नहीं खरीदनी चाहिए, विशेष रूप से शादी या शुभ कार्यों से संबंधित सामान। इस अवधि में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं, इसलिए लोग शादी-विवाह के लिए भी खरीदारी करने से बचते हैं। लेकिन एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इस दौरान शादी के लिए कोई सामान खरीदा जा सकता है?

पितृ पक्ष के दौरान किसी भी तरह की नई चीज़ खरीदना शुभ नहीं माना जाता, विशेष रूप से शादी के लिए। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में यदि कोई खरीदारी बहुत आवश्यक हो, तो ज्योतिषाचार्यों की सलाह ली जा सकती है। लेकिन सामान्यतः पितृ पक्ष में शादी से जुड़ी खरीदारी को भी टालने की परंपरा है, ताकि पितरों के प्रति समर्पण और सम्मान बनाए रखा जा सके।

पितृ पक्ष का मुख्य उद्देश्य पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। इस दौरान पिंडदान करके पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। इस अवधि में शुभ कार्य करने या किसी प्रकार की खरीदारी करने की मनाही होती है, क्योंकि यह माना जाता है कि ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति नई शुरुआत या शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं होती। मान्यता यह भी है कि पितृ पक्ष में नई वस्तुओं की खरीदारी करने से पितर नाराज हो सकते हैं। हालांकि, इस दौरान दान करने के लिए नई वस्तुएं खरीदने की अनुमति दी जाती है, क्योंकि यह पितरों के प्रति समर्पण और पुण्य के कार्यों से जुड़ा होता है।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...