पं. दीनदयाल उपाध्याय की बुद्धिमता से इतने खुश हुए राजा ने कर दी थी ये बड़ी घोषणा: Antyodaya Diwas
Antyodaya Diwas

Antyodaya Diwas: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर हर साल 25 सितंबर को ‘अंत्योदय दिवस’ मनाया जाता है। भारत में गरीब और दलितों की आवाज कहे जाने वाले उपाध्याय की जयंती इस खास दिन को मनाने का उद्देश्य है उनकी शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाना। राजनीति से लेकर समाज सुधार तक के क्षेत्रों में उपाध्याय ने अद्वितीय कार्य किए हैं।

ऐसे हुई इस दिन की शुरुआत

Antyodaya Diwas
Prime Minister Narendra Modi had announced to celebrate ‘Antyodaya Diwas’ on 25 September 2014

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर 2014 को दीनदयाल उपाध्याय की 98वीं जयंती के अवसर पर ‘अंत्योदय दिवस’ मनाने की घोषणा की थी। साल 2015 से हर साल इस दिवस को मनाया जाता है। दरअसल, ‘अंत्योदय’ शब्द दीनदयाल उपाध्याय ने ही दिया था। इसका अर्थ है समाज के अंतिम पायदान पर मौजूद शख्स के उत्थान और विकास को सुनिश्चित करना। यही दीनदयाल उपाध्याय के जीवन का उद्देश्य रहा।

बचपन में ही खो दिए माता-पिता

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के फराह शहर के पास नगला चंद्रभान गांव में एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय ज्योतिष थे, वहीं मां एक गृहिणी थीं। मात्र आठ साल की उम्र में ही दीनदयाल उपाध्याय के सिर से माता-पिता दोनों का साया उठ गया था। ऐसे में मामा ने ही उनका लालन-पालन किया।

और मिल गई स्कॉलरशिप

दीनदयाल उपाध्याय एक मेधावी छात्र थे।
Deendayal Upadhyay was a brilliant student.

दीनदयाल उपाध्याय एक मेधावी छात्र थे। उन्होंने सीकर से अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी की। उनकी पढ़ाई की ललक को देखते हुए सीकर के तत्कालीन महाराजा ने उन्हें एक स्वर्ण पदक के साथ ही किताबों के लिए 250 रुपए और प्रतिमाह 10 रुपए की छात्रवृत्ति दी। इस मदद से उपाध्याय ने पिलानी से अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। उन्होंने बीए के बाद आगरा में सेंट जॉन्स कॉलेज में प्रवेश लिया, लेकिन पारिवारिक कारणों के चलते परीक्षा न दे सके। बाद में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक बने।

हमेशा सोचा दूर का

पं. दीनदयाल उपाध्याय स्वदेशी चीजों के उपयोग और उत्पादन दोनों पर ही हमेशा से जोर देते थे। उनका मानना था कि देश के विकास के लिए स्वदेशी आर्थिक मॉडल विकसित करना जरूरी है। उन्होंने ‘भारतीय अर्थनीति: विकास की एक दिशा’ और ‘भारतीय अर्थनीति का अवमूल्यन’ शीर्षक से दो पुस्तकें भी लिखीं। जिसमें भारत के आर्थिक परिदृश्य को उन्होंने बहुत ही खूबसूरती से दिखाया।

ये विचार आज भी हैं प्रासंगिक

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार जीवन में अपनाकर हम समाज की दिशा बदल सकते हैं।
By adopting the ideas of Pandit Deendayal Upadhyay in our life, we can change the direction of the society.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार जीवन में अपनाकर हम समाज की दिशा बदल सकते हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि धर्म एक व्यापक और विस्तृत विचार है। यह समाज को संगठित बनाए रखने के सभी पहलुओं से संबंधित है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की इच्छा हर मनुष्य में जन्मजात होती है। इसकी संतुष्टि ही भारतीय संस्कृति का संपूर्ण सार है। उपाध्याय का कहना था कि हमें हमेशा सही व्यक्ति को वोट देना चाहिए न की उसके प्रभाव और रुपयों को। उन्होंने कहा, किसी पार्टी नहीं उसके सिद्धांतों को अपना वोट दें। उनका मानना था कि एक अच्छे शख्स को शिक्षित करना, सही मायनों में समाज सेवा और समाज हित का कार्य है। 

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...