राम का नाम एक चमत्कार से कम नहीं है, इसके स्मरण मात्र से ही सारे कार्य सिद्घ हो जाते हैं। जीवन से मरण तक मनुष्य के साथ सदा चलता है राम का नाम। राम नाम के स्मरण से डाकू वाल्मीकि संत वाल्मीकि बन गए जिन्होंने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की तो पत्नी के प्रेम मोह में फंसे तुलसी, तुलसीदास बन गए, जिन्होने रामचरित मानस की रचना की। महात्मा गांधी के रघुपति राघव राजा राम ने उनको विश्व भर में ख्याति दी। 

श्रीराम भारतीय संस्कृति के महानायक हैं, जो 12 कलाओं से युक्त माने जाते हैं। राम भारतीय जन मानस के अन्तर्मन में प्रवाहित संस्कृति की अविरल धारा हैं जो युगों-युगों से बह रही है और बहती रहेगी।

यह सुखद अनुभूति है कि राम का नाम भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पूजनीय है। राम के कितने नाम हैं ये तो रामायण पढ़ने पर ज्ञात हो ही जाता है। परंतु राम के नाम पर भारत में ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्व में कितने नगर बसे हैं ये आज शोध का विषय बना हुआ है। गत वर्ष जब मलेशिया में रामलीला का मंचन किया गया तो उस वक्त वहां पर श्रीराम पर शोध भी किया गया जिसमें विश्व के लगभग सभी प्रतिनिधियों ने भाग लिया और शोध उपरान्त सर्वसम्मति से ये निष्कर्ष निकाला गया कि राम राष्ट्रीय  ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय  स्तर पर सभ्यता, संस्कृति के प्रतीक हैं, इस सत्य को प्रमाणिक करने में तत्पर है हॉलैंड का महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय जो दुनिया का ऐसा नक्शा बनाने जा रहा है जिसमें राम नाम से जुड़े नगर दिखाए जा रहे हैं। इसके साथ ही विश्व में राम से संबंधित ऐतिहासिक व पौराणिक गाथाएं कहां-कहां सुनी पढ़ीं जाती हैं, किन विद्यालयों में राम के ऊपर शोध चल रहा है, किन-किन भाषाओं में रामायण का अनुवाद हो चुका है इन सबकी जानकारी इस मानचित्र में दी गई है। महर्षि विश्वविद्यालय ने अब तक ऐसे एक हजार नगर दुनिया में खोज निकाले हैं जिनके नाम राम के नाम से शुरू होते हैं। अकेले भारत में ही 15 रामनगर, 20 रामपुर, 18 रामगांव, 25 से अधिक रामखेडा हैं साथ ही भारत में नदी, पहाड़, झरने, तालाब, घाट, पोखर में भी करीब 125 नाम राम से शुरू होते हैं। अब बताते हैं आपको विदेशों में राम के नाम से जुड़े वो नगर, जिनका शोध उपरांत पता चला है।

 

केन्या- रामा, रामू

दक्षिण अफ्रिका- रामे, रामसगेट

रूस- रामासुख, रामेसा, रामेस्फ, रामिट, रामोगला, रामजा

बेल्जियम- इवोज रामेट, रामसेल

स्वीडन- रामाज, रामसबर्ग

स्पेन- रामकस्टहट, रामाल्स उला विक्टोरिया

पुर्तगाल-राम लहर

जर्मनी- रामबर्ग, रामबो, रामट्यूपेल, रामस्टीन

फ्रांस- रामट्यूवेल, सेंट रामबर्ट

इग्लैंड- राम टेम्पासाइड, रामसगबेट

डेनमार्क- रस्सी, रामसी, रामटेन

पेरु- रामोन

ब्राजील- रामोज, रामल्हो

अमेरिका- रामह, रामपो, रामरीटो, रामीरेज

मेक्सिको- रामोनल, रामीनेज

संयुक्त अरब अमीरात- राम्स

अफगानिस्तान- रामबुल

मोरक्को- सानिया रामेल

सीरिया- रामर, रामट

लीबिया- रामलहर, कबीरा

लेबनान- रामीथी, रोमा

ईराक- रामा, रामाल्लाह, रमन

ईरान- रामिया, रामिस्क, रामरोद, रामसार, रोहमोज

बोत्सवाना- रामोत्सवा, रामसडेन

आस्टे्रलिया- रामसे

श्रीलंका- रामबेवा

रवांडा- रामबश

भगवान राम से जुड़े देशों व उनके अंदर बसे शहर के नाम अनगिनत हैं। शोध जारी है। नए-नए शहर उभरकर आ रहे हैं। राम के नाम ने जो इतिहास रचा है वो इतना विस्तृत और प्रभावशाली है जिसकी कल्पना करना भी असंभव कार्य होगा। ईरान के अलावा मध्य एशिया के साहित्य में भी भगवान राम से जुड़ी गाथाएं ना केवल मिलती हैं बल्कि शौक से पढ़ी भी जाती हैं।

कहा जाता है कि ईरानी मुसलमान अपने नाम के साथ भगवान राम का नाम जोड़ना गर्व की बात मानते हैं। भारतीय विद्वानों के साथ ही मुस्लिम विद्वानों ने भी राम के चरित्र का बखान बहुत सुंदर ढंग से किया है। वाल्मीकि, तुलसीदास, मैथलीशरण गुप्त के साथ ही कबीर, रहीम, रसखान ने भी राम के जीवन चरित्र को अपनी लेखनी का आधार बनाया। कवि इकबाल के शब्दों में ‘राम हिन्द का इमाम है’ उन्होंने लिखा है-

‘है राम के वजूद हिन्दोस्तां को नाज अहल-ए-नजर समझते हैं उसको इमाम-ए-हिंद’

मो. इकबाल मुस्लिम जाति का एक सम्मानीय अंग हैं। उनका कहना है कि राम का स्वरूप इतना विराट, महान संस्कारों से युक्त धर्मनिरपेक्ष है कि उसको अगर धर्म-जाति में बांटने का प्रयास किया जाए तो ये केवल इंसान की भयंकर भूल होगी।

मो. इकबाल ने भगवान राम के बारे में इतना कुछ लिखा है जो उनके राम के प्रति अगाध श्रद्घा, भक्ति, विश्वास को प्रकट करता है।

‘बांग-ए-दरा’ नामक उनकी उर्दू पुस्तक श्रीराम के प्रसंगों से भरी पड़ी है। इन सब बातों का सार सिर्फ ये ही कहता है कि धरती का हर वो कोना जहां सभ्यता, संस्कृति और मर्यादा है वहां राम उपस्थित हैं क्योंकि राम मर्यादा का स्तंभ हैं। राम का स्वरूप अंतराष्ट्रीय स्तर पर अनुकरणीय है। इसी का प्रमाण है उपरोक्त सभी देश जो राम के पवित्र नाम से शुरू होते हैं। देश, जाति, धर्म के नाम पर भगवान राम को बांटना मात्र मूर्खता ही होगी, राम के नाम पर राजनीति करना अपराध ही कहा जाना चाहिए। राम संपूर्ण मानव जाति का गौरव हैं। राम ना कभी बंटे हैं ना ही बटेंगे बल्कि युगांत से उन्होंने मानव जाति को मार्गदर्शित किया है और युगांत-युगांत तक 

करते रहेंगे। 

राम नाम वो कल्पतरु है, जिसमें कल्याण निवास करता है और राम की पूजा मानवांछित फल प्रदाता है। 

तो फिर हो जाएं राम नाम में लीन और बनाएं अपने जीवन को सुखमय।  

यह भी पढ़ें –कैसा था रामराज्य?