Chanakya Niti: चाणक्य को आचार्य चाणक्य, विष्णु गुप्त, कौटिल्य, वात्सायन भी कहा जाता है। ब्राह्मण परिवार में जन्मे चाणक्य ने तक्षशिला (अब पाकिस्तान) में शिक्षा हासिल की। वह मौर्य साम्राज्य के संस्थापक और चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में प्रधानमंत्री भी थे। चाणक्य को राजनीतिक ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ के लिए विशेषरूप से जाना जाता है। चाणक्य को भारत का पहला अर्थशास्त्री भी कहा जाता है। चाणक्य ने अपने श्लोकों के माध्यम से ऐसी जरूरी बातों को बताया जोकि आज भी मुश्किल जीवन को आसान बनाने के लिए बहुत काम आते हैं। चाणक्य की नीतियां जीवन को सफल बनाने का कार्य करती हैं। साथ ही चाणक्य अपनी नीतियों के बारे में उन कार्यों का भी जिक्र करते हैं, जिसे करने से लिए हमें यदि झुकना पड़े तो झुक जाना चाहिए। क्योंकि इन कामों के लिए झुकने में यदि आप शर्म करेंगे तो आप अपना ही नुकसान कर बैठेंगे, जिसका खामियाजा आपको भुगतना पड़ सकता है।
कई बार ऐसा होता है कि जब व्यक्ति शर्म के मारे भी कुछ जरूरी बातों को बता नहीं पाता या किसी से कुछ कह नहीं पाता। हालांकि कुछ मामलों में शर्माना अच्छा हो सकता है, लेकिन चाणक्य अपने श्लोक के जरिए बताते हैं कि स्त्री हो या पुरुषों को किन मामलों में बिल्कुल भी शर्म या झिझक नहीं करनी चाहिए। अगर आप इन जगहों पर शर्म करेंगे तो भविष्य में आपको पछताना पड़ सकता है। आइए जानते हैं किन जगहों पर व्यक्ति को कभी शर्म नहीं करना चाहिए।
धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासङ्ग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत॥
जानते हैं चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ विस्तार से

- धन के मामले में: चाणक्य के इस श्लोक अनुसार धन के मामले में व्यक्ति को कभी भी शर्म नहीं करनी चाहिए। क्योंकि धन ऐसी चीज है तो हमेशा काम आती है। इसलिए जरूरत होने धन मांगने में भी शर्म नहीं करनी चाहिए। खासकर यदि आपका पैसा किसी के पास है या किसी ने आपसे कर्ज लिया है तो उसे मांगने में बिल्कुल शर्म न करें। ऐसा करने पर आप स्वयं को आर्थिक रूप से कमजोर करते हैं।
- शिक्षा के मामले में: विद्या या शिक्षा ग्रहण करने में भी कभी झिझक या शर्म न करें। शिक्षा का ज्ञान जहां भी मिल रहा हो वहां तुरंत चले जाएं। चाहे आपसे उम्र में छोटा व्यक्ति ही ज्ञान की बातें क्यों न बताए, उसे तुरंत प्राप्त करना चाहिए। शिक्षा पाने का मौका कभी नहीं गंवाना चाहिए। चाणक्य कहते हैं, शिक्षा चाहे किसी इंसान, पशु या वस्तु से ही क्यों न मिले उसे हमेशा ग्रहण करना चाहिए। जो व्यक्ति शिक्षा पाने के लिए किसी व्यक्ति या स्थान में जाने शर्म करता है वह विकास की गति में पीछे रह जाता है।
- खाने-पीने में: चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि, व्यक्ति को खाने-पीने के मामले में कभी शर्म नहीं करनी चाहिए। क्योंकि आहार जीवन के लिए सबसे जरूरी चीज है और शर्म के मारे खाने से परहेज करने का अर्थ है अपने शरीर को नुकसान पहुंचाना। इसलिए आप जहां भी रहें, आपको जितनी भूख हो उसके अनुसार भोजन जरूर करना चाहिए। क्योंकि भूखे इंसान का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता। इसलिए भोजन के मामले में कभी समझौता न करें और खासकर शर्म के मारे अपनी भूख को न मारे। भोजन बिना शर्म किए मांगकर खाना चाहिए।
- अपनी बात रखने में: कई बार लोग शर्म या झिझक के मारे अपनी बात दूसरों के सामने नहीं रखते। स्कूल में भी विद्यार्थी झिझक से अपने गुरु से प्रश्न नहीं पूछते। उन्हें लगता है कि शिक्षक क्या सोचेंगे, यदि प्रश्न गलत हुआ तो अन्य लोग क्या सोचेंगे। सिर्फ गुरु से ही नहीं बल्कि लोग अपने मन की बात माता-पिता, रिश्तेदार, बॉस या अन्य लोगों के सामने भी नहीं रख पाते। जबकि चाणक्य कहते हैं कि प्रश्न पूछने मे कभी भी शर्म नहीं करना चाहिए। क्योंकि कई संबंध इसलिए भी बिगड़ जाते हैं, क्योंकि हम शर्म के मारे अपनी बात सामने वाले से कह नहीं पाते। इसलिए बिना झिझक अपनी बात रखने की आदत डाल लें।
