अद्भुत हैं इनके कारनामे-हम किसी से कम नहीं: Women Amazing Work
Women Amazing Work

‘हम किसी से कम नहीं एक ऐसा स्तम्भ है जहां हम आपको अलग-अलग कार्यक्षेत्र की महिलाओं से मुखातिब करवाते हैं। इस बार आपको उन महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके सोचने और काम करने का तरीका दूसरों से जुदा तो है ही बल्कि पर्यावरण के पक्ष में भी है। कैसे? इसके लिए आपको लेख पढ़ना होगा!

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बनी पहली फाइटर महिला पायलट

मोहना सिंह जितरवाल
(स्क्वाड्रन लीडर)

छोटी उम्र में जब लड़कियां घर-घर का खेल खेलती हैं, तभी से मोहना ने मन में यह ठान लिया था कि उनकी दुनिया कुछ और ही होगी। उन्हें भी अपने पिता की तरह वायुसेना में ही जाना है इसलिए बीटेक करने के बाद किसी कोर्पोरेट कंपनी में काम करने के बजाय भारतीय वायुसेना में जाने की तैयारियां शुरू कर दी। यहां बात कर रहे हैं स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह की। वह स्वदेशी एलसीए तेजस फाइटर जेट का संचालन करने वाली विशिष्ट ’18 फ्लाइंग बुलेट्स स्क्वाड्रन में शामिल होने वाली पहली महिला फाइटर पायलट हैं। उन्होंने विमान पर 380 घंटे से ज्यादा, बिना किसी दुर्घटना के उड़ान भरी थी। उनके इस योगदान के कारण 9 मार्च, 2020 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह भारत की पहली महिला फाइटर पायलटों में से एक हैं। उन्हें अपनी दो साथियों भावना कंठ और अवनी चतुर्वेदी के साथ पहली महिला लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था। तीनों महिला पायलटों को जून 2016 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था। उन्हें औपचारिक रूप से रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा कमीशन दिया गया था। भारत सरकार द्वारा प्रायोगिक आधार पर महिलाओं के लिए भारतीय वायु सेना में फाइटर स्ट्रीम खोलने का निर्णय लेने के बाद, ये तीन महिलाएं इस कार्यक्रम के लिए चुनी जाने वाली पहली महिला थीं।
मोहना सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा द एयर फोर्स स्कूल, नई दिल्ली से और इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में बीटेक ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड इमॄजग टेक्नोलॉजीज, अमृतसर, पंजाब से पूरी की। उनके पिता मास्टर वारंट ऑफिसर प्रताप सिंह (सेवानिवृत्त) भारतीय वायु सेना के एक सेवारत कर्मी थे और मां मंजू सिंह एक शिक्षिका हैं।
जून 2019 में, वह भारतीय वायु सेना की पहली महिला फाइटर पायलट बनीं, जिन्होंने बीदर एयर फोर्स स्टेशन पर हॉक एमके-132 एडवांस जेट ट्रेनर पर दिन में पूरी तरह से ऑपरेशनल उड़ान भरी।

यूट्यूब ने दी पहचान

निशा मधुलिका
(यूट्यूबर)

आज हर कोई सोशल मीडिया में व्लॉग बनाकर कमाई कर रहा है लेकिन एक दशक पहले तक यूट्यूब पर कुछ ही लोग थे जिन्हें हम जानते थे जिनमें से एक हैं निशा मधुलिका। कई सालों से निशा जी यूट्यूब पर लोगों को तरह-तरह की रेसिपीज बनाकर अपना दीवाना बना रही हैं। लगातार मेहनत और नये-नये रेसिपी वीडियो बनाने की वजह से निशा 2014 तक भारत की शीर्ष यूट्यूब शेफ्स में गिनी जाने लगीं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने यूट्यूब पर अपना करियर 52 साल की उम्र में शुरू किया था। क्या आप जानते हैं कि यूट्यूब पर अपना कुकिंग शो शुरू करने से पहले वह एक टीचर थीं। फिर एक दिन उन्होंने टीचिंग जॉब को अलविदा कह दिया और यूट्यूब पर अपने कुकिंग शो शुरू कर दिया।
निशा का जन्म 25 अगस्त 1959 को उत्तर प्रदेश के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। शादी के बाद वह नोएडा शिफ्ट हो गईं और अपने पति के बिजनेस में भी सहयोग देने लगीं। बचपन से ही निशा जी को कुकिंग का बहुत शौक था, घर पर भी वह अपने बच्चों और पति को तरह-तरह की रेसिपीज बनाकर खिलाती थीं। फिर अपने परिवार के सहयोग और प्रोत्साहन से उन्होंने साल 2011 में अपना यूट्यूब चैनल लॉन्च किया। उनके बोलने का अंदाज और उनका कुकिंग स्टाइल लोगों को भा गया।
2016 में, द इकोनॉमिक टाइम्स ने उन्हें भारत के टॉप 10 यूट्यूब सुपरस्टार्स की सूची में शामिल किया। उसी साल उनका नाम वोडाफोन की ‘वुमेन ऑफ प्योर वंडर कॉफी टेबल बुक में भी दर्ज हुआ। वहीं साल 2017 में उन्हें सोशल मीडिया समिट एंड अवार्ड्स में शीर्ष यूट्यूब कुकिंग कंटेंट क्रिएटर के रूप में नॉमिनेट किया गया था। 2020 में उन्होंने 10 मिलियन फॉलोवर्स का माइलस्टोन पार किया और इसके लिए यूट्यूब से ‘डायमंड प्ले बटनÓ प्राप्त किया। मौजूदा वक्त में निशा जी के इंस्टाग्राम हैंडल पर 337के फॉलोअर्स, यूट्यूब चैनल पर 14.2 मिलियन सब्सक्राइबर और फेसबुक पर 5.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निशा मधुलिका की नेटवर्थ 43 करोड़ रुपये है।

मैं हूं आयुर्वेदा क्वीन

नताशा तुली
(‘सोलफ्लावर की सीईओ और चीफ फॉर्मूलेटर)

एक समय था जब कपूर खानदान हो या दत्त फैमिली, यहां की बेटियों को फिल्मों में काम करने की इजाजत नहीं थी लेकिन समय के साथ कपूर खानदान की बेटियां फिल्मों में छा गईं। वहीं दत्त परिवार की बेटी ने राजनीति में अपना हुनर आजमाया। इन्हीं की ही तरह बॉलीवुड का एक और चॢचत परिवार है ‘द कुमार फैमिली। जुबली स्टार राजेंद्र कुमार जिस परिवार से ताल्लुक रखते थे वहां तो लड़कों की शादी भी कम उम्र में कर दी जाती थी। लेकिन हर परिवार में कोई न कोई तो ऐसा होता है जो विद्रोही स्वभाव का होता है। वो उन बंधनों को नहीं मानता है। नताशा कुमार तुली वही एक शख्सियत हैं जिन्होंने अपने परिवार की परंपराओं के विपरीत जाकर काफी साल तक पढ़ाई की और फिर अपना एक बिजनेस शुरू किया। आगे जाकर उन्होंने अपने नाम से ‘कुमार सरनेम भी हटा दिया। नताशा स्टार राजेंद्र कुमार के भाई वीरेन्द्र कुमार की बेटी हैं। उनकी मम्मी का नाम नूतन कुमार है। वह अपने माता-पिता और बहन के बहुत करीब हैं।
नताशा एक क्लीन ब्यूटी ब्रांड ‘सोलफ्लावर की सीईओ और चीफ फॉर्मूलेटर हैं। यह एक आयुर्वेदिक और इको फ्रेंडली ब्यूटी ब्रांड है। रोजमेरी एसेंशियल हेयर ऑयल और अनियन हेयर ऑयल में यह भारत के सबसे बड़े विक्रेता हैं और इनके प्रोडक्ट्स काफी बजट फ्रेंडली होते हैं। ऑयल सोलफ्लावर ब्रांड भारत के अलावा यूएसए, साउदी, दुबई, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और जापान के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाते हैं। सोलफ्लावर ब्रांड की खासियत है कि यह पूरी तरह से पर्यावरण को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं जैसे कि एंटी टैन टोमेटो सोप को टमाटर से बनाया गया है और इसमें किसी प्रकार के प्रिजर्वेशन और कलर का इस्तेमाल नहीं किया गया है। वहीं सोल फ्लावर अनियन हेयर ऑयल में भी किसी तरह का प्रिजर्वेशन या आर्टिफिशियल कलर नहीं होता है।
नताशा नहीं चाहती थीं कि दूसरे बड़े ब्रांड्स की तरह वह भी लोगों को बेवकूफ बनाएं। उनका इरादा ऐसे ब्यूटी और वेलनेस ब्रांड्स बनाने का रहा जो वाकई शुद्ध और ईको फ्रेंडली हो! इसके लिए उन्होंने राजस्थान के बांसवाडा गांव में 10 हैक्टेयर की जमीन खरीदी और यहां उगने वाले टमाटर, प्याज और जड़ी-बूटियों को अपने प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया। यहां खेती करने के लिए उन्होंने वहीं के आदिवासियों को रखा क्योंकि वे उस जमीन में खेती करना अच्छे से जानते हैं। इस तरह उन्होंने वहां के लोगों को रोजगार भी दिया। नताशा का कहना है कि ‘जब भी मैं इंटरनेशनल ट्रिप पर जाती थी तो वहां के लोगों में ऑर्गेनिक चीजों के प्रति क्रेज देखती थी, यह देखकर मुझे लगता था कि भारत में ऐसा क्यों नहीं है। तो हम क्यों विदेशी चीजों के पीछे भाग रहे हैं जबकि आयुर्वेद का जन्म तो भारत में ही हुआ। सच बात यह है कि अस्सी और नब्बे के दशक में भारत में विदेशी साबुन और शैंपू का क्रेज बहुत ज्यादा था। लोग इन्हें इस्तेमाल करके खुद को एलीट समझते थे और यह सब देखकर मुझे बहुत दु:ख होता था। इसलिए मैंने मन में ठान लिया मुझे ऐसा प्रोडक्ट बनाने चाहिए जिसे इस्तेमाल करने के बाद लोगों को किसी प्रकार का साइड इफेक्ट न झेलना पड़े। हालांकि नताशा ने ‘सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से बैचलर ऑफ आॢकटेक्चर की डिग्री प्राप्त की है। लेकिन आॢकटेक्ट की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इस काम को शुरू किया।
नताशा को नये-नये काम करने में मजा आता है। वह बहुत किताबें पढ़ती हैं और जब भी समय मिलता है तो लाईब्रेरी जाती हैं। इन दिनों वह लॉ कर रही हैं। उनका कहना है, ‘बतौर एक बिजनेसवुमन होने के नाते मुझे कई फॉर्म्स पर सिग्नेचर करने पड़ते हैं इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि मुझे कानून की जानकारी हो! नताशा को 10,000 वुमन गोल्डमैन सैस स्कॉलरशिप मैनेजमेंट प्रोग्राम और सप्लाई चेन मैनेजमेंट स्पेशलाइजेशन आईएसबी हैदराबाद, शेरी ब्लेयर वुमन अवार्ड से नवाजा गया है। नताशा एक मैराथन रनर भी हैं जबकि उन्होंने बचपन में कभी मैराथन नहीं की।