जैसलमेर में 3 दिन क्या करें? यहां देखिए ट्रेवल गाइड और टिप्स: Jaisalmer Itinerary
Jaisalmer Itinerary

जीवंत संस्कृति की मिशाल जैसलमेर

यह शहर राजाओं, महराजाओं और शूरवीरों की वीरता और गुज़रे हुए वक़्त की दस्ता सुनाता है। यह पूरी तरह से एक ज़िंदा शहर है जो अपनी जीवंत संस्कृति की गाथा पेश करता है।

Jaisalmer Itinerary: देश के पश्चिमी छोर पर स्थित जैसलमेर सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह राजस्थान का एक अनोखा शहर है। यह शहर राजाओं, महाराजाओं और शूरवीरों की वीरता और गुज़रे हुए वक़्त की दस्ता सुनाता है। यह पूरी तरह से एक ज़िंदा शहर है जो अपनी जीवंत संस्कृति की गाथा पेश करता है। इस शहर का नाम राजा महारावल जैसल सिंह के नाम पर पड़ा। इस क़िले को बनाने का भी श्रेय उन्हीं को जाता है। 

रेगिस्तान के बीच बसे इस शहर को भारत की ‘गोल्डन सिटी’ भी कहा जाता है। भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में होने के नाते इस जगह पर सैलानियों का आना जाना लगा रहता है। अक्टूबर से फरवरी महीने तक तो चारों तरफ़ सैलानी ही सैलानी नज़र आते हैं। पर्यटन स्थल, प्रसिद्ध राजस्थानी व्यंजन, समृद्ध विरासत और संस्कृति को जानने के लिए तीन दिन की यात्रा का विचार बनाया जा सकता है। 

जैसलमेर में पहला दिन

Jaisalmer Itinerary
Jaisalmer Itinerary First Day

जैसलमेर हवेली की यात्रा: जैसलमेर में हवेली देखना अपने आपमें एक ऐतिहासिक यात्रा है। इसलिए इन्हें एक्सप्लोर करना तो बिल्कुल भी नहीं भूलें। पहले दिन आप पटवों की हवेली, नाथमल जी की हवेली, सलीम सिंह की हवेली की यात्रा का प्लान बना सकते हैं। पटवों की हवेली को वास्तुकला का एक दिलचस्प नमूना माना जाता है। यह जैसलमेर की हवेलियों के बीच सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। पटवा पुराने सिल्क रूट के समृद्ध व्यापारी हुआ करते थे। इसका निर्माण उन्होंने ही किया, जिसे पूरा होने में 60 साल लगे। नाथमल जी की हवेली वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इसका निर्माण महारावल बेरिसाल ने करवाया और नाथमल को निवास स्वरुप उपहार में दे दिया। इस समय इस हवेली में नाथमल की 7 वीं पीढ़ी रहती है। सलीम सिंह की हवेली जैसलमेर किले के पास स्थित है। इसका निर्माण सलीम सिंह ने करवाया था जो उस समय जैसलमेर के प्रधान मंत्री थे। यह काफ़ी अच्छी और ख़ूबसूरत है।

गडीसर झील पर सूर्यास्त: गडीसर झील को जैसलमेर के बड़े आकर्षण में गिना जा सकता है। यह झील महारावल गडसी द्वारा बनाई गई एक पानी का जलाशय है। रेगिस्तान होने के नाते इस क्षेत्र में पानी की कमी थी और यह झील मूल रूप से पीने और दैनिक उपयोग के लिए बनाई गई थी। वर्तमान में इसका स्वरूप काफ़ी बदल गया है और यह जैसलमेर का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है के बीचों बीच कुछ चबूतरे और दो छतरीनुमा ढाँचे स्थित हैं। इस जगह पर शाम के समय घूमना काफ़ी सकून देने वाला पल होता है। झील में उड़ते परिंदों को देखना मन को ख़ुश कर देता है। इस झील में बोटिंग भी ख़ूब होती है। शाम के समय नाव की सवारी आपके यात्रा के अनुभवों को बढ़ा देगा इसलिए इस जगह पर शाम को जाकर नाव की सवारी ज़रूर करें।

जैसलमेर में दूसरा दिन 

Jaisalmer
Jaisalmer Second Day

सैम सैंड ड्यून्स में जीप और ऊँट की सफारी: शहर से कुछ दूरी पर रेगिस्तान के बीच बसा सैम गांव अपने रेत के टीलों और उनकी ख़ूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस जगह पर जाकर आपको रेगिस्तान की जो छटा और संस्कृति दिखाई देगी उसे कभी नहीं भूल पाएँगे। रास्ते में आपको कई तरह की विंड मील भी चलती हुई दिखाई देंगी और कई तरह के रोमांचक खेल भी। जैसलमेर में रहते हुए यदि आप रेगिस्तान सफारी के लिए नहीं गए तो इस यात्रा के असल रोमांच से वंचित रह जायेंगे। इस जगह पर आपको जीप और ऊँट की सफारी का मज़ा ज़रूर लेना चाहिए। 

सैम सैंड डयून्स पर मज़ेदार सांस्कृतिक शाम: दिन भर की रोमांचक गतिविधियों के बाद यहाँ के बने कैम्प में ठहरने का मज़ा बहुत अलग होता है। कैंप में आपका परम्परागत तरीके से स्वागत किया जाता है और राजस्थानी लोक संगीत और नृत्य की तरह तरह की प्रस्तुतियाँ होती हैं। इस ख़ूबसूरत शाम का आनंद लेते हुए आप शाम की चाय और स्वादिष्ट स्नैक्स का लुत्फ़ उठा सकते हैं। कार्यक्रम के बाद रात में आपके लिए पारंपरिक राजस्थानी डिनर परोसा जाता है जिसमें दाल, बाटी, चूरमा, चावल, केर-सांगरी जैसे स्थानीय व्यंजन शामिल होते हैं।

जैसलमेर में तीसरा दिन 

Jaisalmer Day
Jaisalmer Third Day

जैसलमेर के किले पर जाएँ: शहर के बीचोंबीच स्थित जैसलमेर के क़िले को सोनार किला के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बहुत ही भव्य क़िला है जिसमें शहर की एक बहुत बड़ी आबादी रहती है। भाटी राजपूतों द्वारा बनाया गया यह क़िला शहर के सबसे बड़े आकर्षणों में गिना जाता है। इस क़िले के अंदर बहुत सारे बाज़ार भी हैं, जहाँ से लोग ख़रीददारी करते हैं। बताया जाता है कि यह राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना किला है और खिलजियों, तुगलकों, मुगलों और राठौर शासकों के द्वारा लड़ी गयीं कई लड़ाइयों का हिस्सा रहा है। इस किले के चार प्रवेश द्वार हैं जिसे गणेश, अक्षय, सूरज और हवा पोल के नाम से जाना जाता है। इस किले की बनावट और वास्तुकला बड़ी ही अद्भुत है। किले के भीतर किले का राज महल, लक्ष्मीनाथ मंदिर, जैन मंदिर और व्यापारी हवेली स्थित है।

कुलधरा के वीरान गाँव: शहर से लगभग 30-35 किमी की दूरी पर एक सुनसान निर्जन और छोड़ा हुआ गाँव है। ऐसा बताया जाता है कि यह गाँव 13 वीं शताब्दी के आसपास पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया एक समृद्ध गाँव था। किन्तु 19 वीं शताब्दी के आरंभ में इसे छोड़कर लोग रातोंरात कहीं और चले गए। कुछ लोग पानी की कमी तो कुछ लोग सलीम सिंह नामक दीवान के अत्याचारों को इसका कारण मानते हैं। पालीवाल ब्राह्मणों ने गाँव छोड़ते हुए शाप दिया था कि यह गाँव सदा के लिए वीरान रहेगा और दोबारा इसे कोई नहीं बसा पाएगा। इस जगह पर आज भी सैकड़ों इमारतों के खंडहर देखे जा सकते हैं। इस गांव को देखकर एक अजीब सी अनुभूति होती है। कुछ लोग इस गांव को भूतों का गांव भी कहते हैं और अपने साथ हुए घटनाओं से जुड़ी कहानियाँ सुनाते हैं। 

जैसलमेर युद्ध संग्रहालय: जैसलमेर में रहते हुए आप शहर से तक़रीबन 10 किमी की दूरी पर स्थित युद्ध संग्रहालय को देखने जा सकते हैं। जैसलमेर-जोधपुर राजमार्ग पर स्थित यह संग्रहालय भारतीय जवानों की वीरता का प्रतीक है। यह संग्रहालय विशेष रूप से 1965 के भारत-पाक युद्ध और 1971 के लॉन्गेवाला युद्ध के दौरान सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की स्मृति में स्थापित किया गया है। भारतीय सेना द्वारा स्थापित इस संग्रहालय में टैंक, बंदूक और सैन्य वाहनों को प्रदर्शित किया गया है। 

संजय शेफर्ड एक लेखक और घुमक्कड़ हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और मुंबई में हुई। 2016 से परस्पर घूम और लिख रहे हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन एवं टोयटा, महेन्द्रा एडवेंचर और पर्यटन मंत्रालय...

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