Childhood Cancer: बच्चे को कैंसर होने का पता चलना परिवार के लिए बड़ी घातक खबर होती है। कैंसर से पीड़ित बच्चे वाले परिवार का जीवन कभी भी सामान्य नहीं होता। हालांकि चाइल्डहुड कैंसर की अच्छी बात ये है कि इसका उपचार हो सकता है और बच्चा फिर से सामान्य जीवन जी सकता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह भी है कि चाइल्डहुड कैंसर की वजह से उत्पन्न होने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव काफी लंबे समय तक बने रहे सकते हैं। जिसका सही उपचार किया जाना जरूरी है। तो चलिए जानते हैं बच्चों की समस्या से कैसे निपटें।
चाइल्डहुड कैंसर के मनोवैज्ञानिक प्रभाव

कैंसर के उपचार के दौरान बच्चा अपनी पढ़ाई से वंचित रहता है और वो अपने दोस्तों के साथ ज्यादा संपर्क में भी नहीं रह पाता है। बार-बार अस्पताल में भर्ती होना और दर्दनाक मेडिकल ट्रीटमेंट से गुजरना बच्चे को कमजोर बना सकता है। कई बच्चों को अधिक जटिल सीएनसी-डायरेक्टेड थेरेपी जैसे ब्रेन रेडिएशन या न्यूरोसर्जरी की भी आवश्यकता होती है, इन थेरेपी से गुजरने वाले बच्चों को किशोरावस्था या वयस्कता की अवस्था में मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
एक बार जब उपचार पूरा हो जाता है, तब भी इस बात का हमेशा डर बना रहता है कि कहीं उपचार के बाद भी बीमारी वापस तो नहीं लौट आएगी। सामान्य जीवन में लौटने की चुनौती अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याओं को जन्म दे सकती है। एक अध्ययन में पाया गया है कि 75 से 80 प्रतिशत चाइल्डहुड कैंसर पीडि़तों को गंभीर मुद्दों का सामना नहीं करना पड़ता है। लेकिन कुछ बच्चों को कुछ लक्षणों का अनुभव हो सकता है।
सबसे सामान्य समस्याओं में किसी दवा की लत लगना, एंग्जाइटी, डिप्रेशन, पुअर अटेंशन, हीन भावना, एडजस्टमेंट डिस्ऑर्डर, एंटीसोशल बिहेवियर और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर आदि शामिल हैं। कम शिक्षा, खराब वेतन, विकलांगता स्थिति और वैवाहिक प्रॉब्लम्स कुछ ऐसे सामाजिक मुद्दे हैं, जिनका चाइल्डहुड कैंसर सर्वाइवर के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए उपचार के दौरान और उपचार के बाद भी बच्चे के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक हेल्थ को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
कैंसर पीड़ित बच्चों के माता-पिता की भूमिका

बच्चे की सबसे ज्यादा देखभाल उसके माता-पिता और फैमिली मेंबर्स ही करते हैं। माता-पिता के लिए जरूरी है कि वे बच्चे को प्यारभरी देखभाल प्रदान करें जो बच्चे को सपोर्ट देगी। कैंसर पीडि़त बच्चे की देखभाल करते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
- – बच्चे को फिजीकल एक्टीविटी करने से तब तक न रोकें जब तक कि डॉक्टर ने ऐसा करने की सलाह न दी हो। बेहतर फिजीकल हेल्थ मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है।
- – पार्क या किसी खुले स्थान पर बच्चे को ले जाएं। भीड़-भाड़ वाले स्थानों से जहां तक हो सके बचने की कोशिश करें।
- – लंबे समय तक स्क्रीन पर टाइम बिताने या कमरे में अकेले रहने से बच्चे को बचने की कोशिश करें।
- – बच्चे को कुकिंग, घर की साफ-सफाई, अखबार पढ़कर सुनाना जैसे घरेलू कामों में शामिल करें। इससे उन्हें व्यस्त रहने और तनाव से बचने में मदद मिलेगी।
- – बच्चों को स्केचिंग, कलरिंग, संगीत और नृत्य जैसी आर्ट एक्टिविटी में शामिल करें।
- – बच्चा अगर समझदार है तो उसे बीमारी के बारे में स्पष्ट रूप से समझाएं।
- – बच्चे में बीमारी का डर पैदा न करें बल्कि इससे लड़ने के लिए उनमें आत्मविश्वास जगाएं।
- – उपचार पूरा होने के बाद बच्चे को सामाजिक गतिविधियों में शामिल करें, इससे उनकी झिझक को दूर करने में मदद मिलेगी।
- – चाइल्डहुड कैंसर से पीडि़त बच्चों और किशोरों को इमोशनल, मोरल और सोशल सपोर्ट की जरूरत होती है। इसका हमेशा ख्याल रखें।
- – वोकेशनल और ऑक्यूपेशनल सपोर्ट भी महत्वपूर्ण होता है।
हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की भूमिका

यह भी बहुत महत्वपूर्ण होता है कि बच्चे को ऐसी नर्सिंग केयर मिले, जो चाइल्ड फ्रेंडली हो और जिसमें मेडिकल स्पेशलिस्ट की एक अच्छी टीम हो। डॉक्टर के अलावा, चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, प्ले थेरेपिस्ट, नर्स, मेडिकल सोशल वर्कर और पोषण विशेषज्ञ सभी को बच्चे की ट्रीटमेंट जर्नी को यथासंभव आसान बनाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
आस-पड़ोस की भूमिका
कैंसर से उबर चुके बच्चों और वयस्कों को समाजिक तौर पर फिर से अपनाना चाहिए। कैंसर सर्वाइवल्स को गर्मजोशी से गले लगाना महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा उन्हें वोकेशनल, ऑक्यूपेशनल और सोशल अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराना भी महत्वपूर्ण होता है।
